पासिंग के दौरान जांची जाती है वाहनों की फिटनेस
जिला चंबा में हर वर्ष सड़क हादसों में कई लोगों की जान चली जाती है।
संवाद सहयोगी, चंबा : जिला चंबा में हर वर्ष सड़क हादसों में कई लोगों की जान चली जाती है। जिले में सड़कों के किनारे क्रैश बैरियर की कमी महसूस होती है। लापरवाही व तेज गति के साथ वाहन चलाना भी हादसों का प्रमुख कारण है। चंबा जिला में अब तक हुए सड़क हादसों में वाहनों की खराब फिटनेस को जिम्मेदार नहीं माना गया है।
चंबा जिला में हर माह वाहनों की पासिग की जाती है। पासिग जिला मुख्यालय चंबा सहित अन्य स्थानों पर होती है। इस दौरान वाहनों की फिटनेस की जांच होती है। जिले में वाहनों की फिटनेस को जांचने के लिए परिवहन नियमों का पालन किया जाता है। जब भी पासिग होती है तो वाहनों का प्रदूषण प्रमाणपत्र, दस्तावेज, टैक्स, इंजन, मैकेनिकल व इलेक्टिकल वर्क सहित अन्य जरूरी मापदंडों पर गाड़ी को खरा उतरना होता है। इस दौरान यदि कोई गाड़ी फिटनेस टेस्ट पास नहीं करती है तो उसे चलाने की अनुमति नहीं दी जाती है।
ऐसे व्यावसायिक वाहन जो आठ साल से चलाए जा रहे हैं, उनकी दो वर्ष में एक बार पासिग होती है। आठ साल के बाद एक-एक साल के बाद फिटनेस की जांच होती है। निजी वाहनों की पासिग 15 साल की होती है। उसके बाद पांच साल की रिन्यूअल होती है। पासिग के दौरान गाड़ी का बीमा, परमिट, आग से बचाव के अग्निशमन यंत्र को परखा जाता है। व्यावसायिक ट्रैक्टर की पासिग आठ साल के दौरान दो साल में एक बार, उसके बाद एक-एक साल में की जाती है। कृषि के लिए उपयोग में लाए जाने वाले ट्रैक्टरों की फिटनेस 15 वर्ष की होती है। उसके बाद पांच वर्ष की रिन्यूअल होती है।
--------- चलाए जाते हैं जागरूकता अभियान
चंबा जिला में वाहन चालकों व मालिकों को जागरूक करने के लिए परिवहन विभाग द्वारा अभियान चलाए जाते हैं। परिवहन विभाग के अनुसार गाड़ियों की फिटनेस के संबंध में ऑनलाइन पता चल जाता है। जिस गाड़ी की फिटनेस न हो, उसके वाहन मालिक को मैसेज भेजा जाता है। इसके बाद वाहन की पासिग करवाई जाती है।
------- चंबा जिला में वाहनों की फिटनेस लगातार जांची जा रही है। विभिन्न स्थानों पर नाके भी लगाए जाते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई वाहन बिना फिटनेस के तो नहीं चलाया जा रहा है। यदि कोई वाहन बिना फिटनेस के चलाया पाया गया तो मालिक के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
ओंकार सिंह, आरटीओ, चंबा।