मेडिकल कॉलेज में टेस्ट करवाने के लिए ठोकरें खा रहीं गर्भवती महिलाएं
चंबा पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज चंबा में टेस्ट करवाने के लिए गर्भवती महिलाओं को ठोकरें खाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
संवाद सहयोगी, चंबा : पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज चंबा में टेस्ट करवाने के लिए गर्भवती महिलाओं को ठोकरें खाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हैरत की बात है कि लैब में टेस्ट किटें खत्म होने की सूचना कॉलेज प्रबंधन के उच्च अधिकारियों को देने के बाद भी व्यवस्था नहीं सही हो पाई है। इस कारण लोगों ने भी कॉलेज प्रबंधन की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। मेडिकल कॉलेज में पिछले दो दिनों से एचबीएस, आरए फैक्टर तथा एचबीएसएजी टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं जिससे खासकर गर्भवती महिलाओं को टेस्ट करवाने के लिए निजी लैब का रुख करना पड़ रहा है। जबकि प्रदेश में गर्भवती महिलाओं के हर प्रकार के टेस्ट मुफ्त करवाने की सुविधा दी गई है। टेस्ट के लिए गर्भवती महिलाओं को निजी लैब में 260 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। शुक्रवार को भी राख क्षेत्र से गर्भवती महिला मनु पत्नी सेफ्तु अपने स्वास्थ्य की जांच मेडिकल कॉलेज में पहुंची थी। चिकित्सक ने टेस्ट करवाने के निर्देश दिए, लेकिन तीनों टेस्ट न होने के कारण महिला को निजी लैब में जाकर महंगे दाम चुकाकर टेस्ट करवाना पड़ा।
मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्था के कारण आए दिन मरीजों और तीमारदारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस कारण कई तीमारदार अपने मरीजों का इलाज निजी अस्पताल में ही करवाना बेहतर समझते हैं। गर्भवती महिला मनु ने बताया कि वह सुबह से अपने स्वास्थ्य की जांच करवाने के लिए मेडिकल कॉलेज चंबा पहुंची थी। यहां टेस्ट की सुविधा न होने पर निजी लैब में जाकर टेस्ट करवाना पड़ा। महिला ने बताया कि उसके पास आइआरडीपी तथा स्मार्ट कार्ड की सुविधा है, लेकिन टेस्ट न होने पर उसे निजी लैब में महंगा दाम देकर टेस्ट करवाना पड़ा। चंबा में टेस्ट किटें खत्म होने के बाद डिमांड भेज दी गई है। सोमवार तक टेस्ट किटें पहुंच जाएगी जिसके बाद टेस्ट सुविधा शुरू हो जाएगी।
विनोद शर्मा, चिकित्सा अधीक्षक मेडिकल कॉलेज चंबा। क्या है एचसीबी, आरए फैक्टर और एचबीएसएजी टेस्ट
एचसीबी व एचबीएसएजी टेस्ट गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच के लिए करवाए जाते हैं। जबकि आरए फैक्टर टेस्ट जोड़ों की दर्द के लिए किया जाता है। इस टेस्ट से जोड़ों में दर्द व लीवर में संक्रमण की जानकारी जुटाई जाती है। टेस्ट रिपोर्ट के हिसाब से चिकित्सक गर्भवती महिलाओं का उपचार करते हैं तथा टेस्ट के अधार पर ही दवाइयां उपलब्ध करवाई जाती हैं।