आज भी दीये की रोशनी में पढऩे को मजबूर है ये बच्चे
बच्चों को शाम ढलने से पहले पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है। ऐसे में यहां पर सरकार के बड़े-बड़े दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
सुरंगानी, अजय भारद्वाज।आज भले ही सरकार व विद्युत बोर्ड गांव-गांव में बिजली सुविधा उपलब्ध करवाने के दावे कर रहा हो लेकिन आज भी जिला चंबा का एक ऐसा गांव है, जहां पर आजादी से आज तक बिजली की सुविधा मुहैया नहीं करवाई गई है। यह गांव सलूणी तहसील की पंचायत सिंगाधार के तहत आता है, जिसका नाम शार गांव है।
गांव में करीब 20 से 25 लोग रहते हैं। भले ही गांव में रहने वाले लोगों की संख्या कम हो, लेकिन फिर भी इसे अव्यवस्था या अनदेखी से कम नहीं आंका जा सकता है। आजादी के 70 साल के बाद भी यहां के हालात जस के तस हैं। आज भी गांव के ग्रामीण बिना बिजली सुविधा के अंधरे में रातें काटने के लिए मजबूर हैं। गांव में बिजली न होने के चलते यहां के लोग दिन के उजाले में अपना काम निपटा कर शाम से पहले घरों में कैद हो जाते हैं।
बच्चों को शाम ढलने से पहले पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है। ऐसे में यहां पर सरकार के बड़े-बड़े दावे खोखले साबित हो रहे हैं। स्थानीय निवासी मुन्नू, लतिफ, युसफ, शामदीन, लालू, जानो, काला का कहना है कि उन्होंने कई बार विद्युत बोर्ड को इस बारे में अवगत करवाया तथा बिजली सुविधा देने की मांग की, लेकिन आज तक कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। बिजली न होने के कारण न तो वे टीवी पर देश व दुनिया में हो रही हलचल को जान सकते हैं और न ही रात के समय बिजली से होने वाले अन्य कार्य कर सकते हैं। सबसे अधिक समस्या स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को पेश आ रही है। क्योंकि, बच्चों को अपना स्कूल का कार्य आते ही दिन की रोशनी में ही निपटाना पड़ रहा है। यदि किसी कारणवश उन्हें स्कूल से घर पहुंचने में देर हो तो समस्या बढ़ जाती है।
उक्त परिवारों का नाम बिजली घर-घर योजना में डाल दिया गया है। जैसे ही इसकी अप्रूवल मिलेगी। वैसे ही इन परिवारों के घरों में बिजली कनेक्शन लगा दिए जाएंगे, ताकि लोगों को बिजली न होने के कारण पेश आ रही दिक्कतों का समाधान हो सके।
-कुलवीर सिंह परमार, सहायक अभियंता, विद्युत बोर्ड, सलूणी।
लिखित में प्रस्ताव बिजली बोर्ड सलूणी को भेज दिया है। बिजली न होने के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए इस कार्य को जल्द करवाने की मांग रखी गई है।
-चतर सिंह, पंचायत प्रधान, सिंगाधार।