मेडिकल कॉलेज में नहीं हो रहे सीबीसी व इलेक्ट्रोलाइट के टेस्ट
मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने मंगलवार को प्रेस वार्ता की । इस मौके पर उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार जनजातीय क्षेत्र में तानाशाही रवैया अपना रही हैं। इस मौके पर उन्होंने बताया कि सरकार केवल भाजपा के चहेतों के किए ही कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भरमौर में चिकित्सकों की कमी के कारण जनजातीय क्षेत्र भरमौर के लोगों को उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज चंबा जाना
जागरण संवाददाता, चंबा : पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज चंबा में मरीजों को टेस्ट के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा है। हालात यह हैं कि मेडिकल कॉलेज में करीब एक माह से कंप्लीट हिमोग्राम टेस्ट (सीबीसी) व इलेक्ट्रोलाइट के टेस्ट न होने के कारण मरीजों को अपनी जेब ढ़ीली कर निजी क्लीनिकों में महंगी सेवाएं लेनी पड़ रही हैं। हैरत है कि इतने लंबे समय से मेडिकल कॉलेज में उक्त टेस्ट नहीं हो रहे हैं। मगर कॉलेज प्रबंधन ने इन टेस्टों को करवाने के लिए अभी तक कोई भी प्रबंध नहीं किए हैं। इस कारण लोगों ने भी कॉलेज प्रबंधन की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
लोगों का कहना है कि सरकार ने क्षेत्रीय अस्पताल चंबा का दर्जा बढ़ाकर मेडिकल कॉलेज बना दिया है। मगर यहां पर मरीजों के लिए कोई भी खास सुविधा नहीं है। इस कारण मरीजों को आए दिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही के कारण मरीजों को उपचार करवाने के साथ-साथ अब टेस्ट करवाने के लिए भी दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं।
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स्मार्ट कार्ड व बीपीएल के निशुल्क होते हैं टेस्ट
मेडिकल कॉलेज चंबा में स्मार्ट कार्ड धारकों व बीपीएल परिवार से संबंध रखने वाले मरीजों के टेस्ट निशुल्क किए जाते हैं। मगर मेडिकल कॉलेज चंबा में करीब एक माह से उक्त टेस्ट न होने से मरीजों को टेस्ट के लिए भटकने के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। जो टेस्ट मेडिकल कॉलेज में निशुल्क हो जाते हैं उन्हीं टेस्ट के लिए मरीजों को निजी लैब में जाकर पैसे देकर करवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
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निजी क्लीनिक कूट रहे चांदी
मेडिकल कॉलेज चंबा में हिमोग्राम व इलेक्ट्रोलाइट के टेस्ट न होने से निजी क्लीनिक संचालक खूब चांदी कूट रहे हैं। मेडिकल चंबा में रोजना 800 से 1000 तक मरीज अपने स्वास्थ्य की जांच करवाने के लिए आते हैं। इनमें से अधिकतर मरीजों को चिकित्सक द्वारा टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। मगर मेडिकल कॉलेज चंबा में उक्त दो टेस्ट न होने से उन्हें निजी क्लीनिकों का रुख करना पड़ रहा है।
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मेडिकल कॉलेज में किट व रीजेंट समाप्त होने से ये टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं। इन्हें तुरंत शुरू कर दिया जाएगा। कॉलेज प्रबंधन ने किट व रीजेंटों के लिए आर्डर कर दिया है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए भरपूर प्रयास किए जा रहे हैं।
-डॉ. विनोद शर्मा, चिकित्सा अधीक्षक मेडिकल कॉलेज चंबा।
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क्या है इलेक्ट्रोलाइट
इलेक्ट्रोलाइट पैनल एक तरह का ब्लड टेस्ट है। इससे खून में इलेक्ट्रोलाइट्स और कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा मापी जाती है। इलेक्ट्रोलाइट्स शरीर में पाए जाने वाले सोडियम पोटाशियम मिनिरल होते हैं। खून में ये बाईकार्बोनेट के फॉर्म में हो जाते हैं। इसलिए इस टेस्ट को इलेक्ट्रोलाइट कहा जाता है।
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सीबीसी यानी कंप्लीट ब्लड काउंट
यह जांच खून से जुड़ी कई बीमारियों का पता लगाने के लिए की जाती है। इसमें ब्लड में मौजूद लाल रक्त कणिकाएं, सफेद रक्त कणिकाएं और प्लेटलेट्स की संख्या व उनका आकार देखा जाता है। चिकित्सक द्वारा थकान, कमजोरी, बुखार, चोट पर होने पर या अचानक वजन घटने, खून की कमी, पॉलीसाइथिमिया, इंफेक्शन, रक्त विकार, सर्जरी से पहले, किसी हिस्से में रक्तस्त्राव होने के अलावा कुछ विशेष कैंसर जैसे लिम्फोमा, ल्यूकेमिया व बोनमैरो से जुड़े रोगों को पता लगाने के लिए यह टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं।