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रुठा मौसम, सूख गए गेहूं के खेत

मौसम की बेरुखी का असर इस बार खेत-खलिहानों में भी दिखने लगा है। चंबा में सिर्फ 10 फीसद खेती ही ऐसी है जिसे सिंचाई का सहारा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Mar 2021 07:48 AM (IST)Updated: Tue, 09 Mar 2021 07:48 AM (IST)
रुठा मौसम, सूख गए गेहूं के खेत
रुठा मौसम, सूख गए गेहूं के खेत

मान सिंह वर्मा, चंबा

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मौसम की बेरुखी का असर इस बार खेत-खलिहानों में भी दिखने लगा है। चंबा में सिर्फ 10 फीसद खेती ही ऐसी है जिसे सिंचाई का सहारा है। 90 फीसद खेती पूरी तरह से इंद्रदेव की मेहरबानी पर निर्भर है। ऐसे में गेहूं सहित सरसो, जो व विभिन्न तरह की सब्जियों के उत्पादन में काफी गिरावट होने की आशंका है। हालांकि कृषि विशेषज्ञों के अनुसार चंबा में गेंहू के उत्पादन में अधिक गिरावट नहीं आएगी। भले ही बारिश कम हुई है लेकिन गेहूं की बिजाई के समय बारिश हो रही थी, ऐसे में खेतों में नमी होने के चलते किसानों ने समय रहते फसल बीज दी थी। सर्दी के मौसम में भले ही कम बारिश हुई है लेकिन समय रहते बोई गई गेहूं को बीच-बीच में बारिश का सहारा मिलता रहा है, जिससे उत्पादन में अधिक गिरावट नहीं होगी। उधर किसानों की मानें तो बारिश न होने से इस बार गेहूं सहित अन्य फसलों के उत्पादन में 20 से 30 प्रतिशत गिरावट होगी। कई क्षेत्रों के किसान 30 से 40 प्रतिशत उत्पादन में कमी आने की बात कर रहे हैं।

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चंबा में 19 हजार हेक्टेयर में होती है गेहूं की फसल

कृषि विभाग की मानें तो चंबा में 19 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती की जाती है जिसमें 35 से 37 टन गेहूं का उत्पादन होता है। पिछले वर्ष की बात करें तो चंबा में 36 हजार टन गेहूं का उत्पादन हुआ था। कृषि विशेषज्ञों ने इस बार भी चंबा में 36 हजार टन तक गेहूं उत्पादन की उम्मीद जताई है। हालांकि विशेषज्ञ इसमें 10 प्रतिशत तक की गिरावट का अनुमान भी लगा रहे हैं।

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ज्यादातर खेतों में लहला रही एचडी 3086 किस्म

चंबा में इस बार ज्यादातर किसानों ने गेहूं की एचडी 3086 किस्म को तवज्जो दी है। गेहूं की अन्य तरह की किस्म में लगने वाले पीला रतुआ रोग को मात देने वाली एचडी 3086 किस्म ही कृषि विभाग की ओर से किसानों को उपलब्ध करवाई है। उधर विभाग की मानें तो इस बार चंबा में गेहूं का 1800 क्विंटल एचडी 3086 किस्म का बीज किसानों को दिया गया है जिससे अच्छी पैदावार होने की संभावना है।

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15 से 20 दिन पहले तैयार हो जाएगी फसल

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस बार बदले मौसम के मिजाज के चलते मार्च में ही मई जैसी गर्मी पड़ने लगी है जिसका असर खेत खलिहानों में दिखने लगा है। ऐसे में गेहूं के अलावा किसानों की ओर से बीजी गई विभिन्न तरह की फसलें 15 से 20 दिन पहले तैयार हो जाएंगी।

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समय रहते किसानों ने गेहूं की बिजाई कर दी थी, ऐसे में फसल के उत्पादन में ज्यादा कमी नहीं आएगी। कुछ क्षेत्रों में बारिश न होने का असर जरूर दिखा है। आठ से दस प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।

-राहुल कटोच, कार्यकारी उपनिदेशक कृषि विभाग चंबा।

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बारिश न होने से गेहूं सहित अन्य फसलें खेतों में ही सूखने लगी हैं। नमी वाले स्थानों पर फसल ठीक है, जबकि किनारों के अलावा नमी रहित स्थानों पर फसल मुरझाने लगी है जिससे इस बार उत्पादन में काफी गिरावट आने की संभावना है।

-जीत ठाकुर, किसान।

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इस बार काफी कम बारिश हुई है, ऐसे में खेत खलिहानों को भी उपयुक्त मात्रा में पानी नहीं मिल पाया है। बारिश एवं बर्फबारी न होने के चलते मार्च में ही मई जैसी गर्मी आने से अभी से ही गेहूं का रंग बदलने लगा है जिसका उत्पादन पर भी असर पड़ेगा।

छबिंद्र कुमार, किसान


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