चंबा में उगेगा अब अमेरिका व इटली का सेब
चंबा में अब अमेरिका व इटली का सेब तैयार होगा। बागवानी विभाग ने सेब की विदेशी किस्मों के पौधे आयात किए हैं।
सुरेश ठाकुर, चंबा
चंबा में अब अमेरिका व इटली का सेब तैयार होगा। बागवानी विभाग ने सेब की विदेशी किस्मों के पौधे आयात किए हैं। विभाग ने चंबा जिला के लिए 25 हजार विदेशी सेब के पौधों की मांग भेजी है। जिसमें से 20 हजार पौधों की मंजूरी मिल गई है, जो इसी सप्ताह चंबा पहुंच जाएंगे। एडवांस वैरायटी का सेब अमेरिका व इटली में तैयार होता है। साथ ही यूरोप के अन्य देशों में भी इसकी पैदावार होती है। चंबा जिला के ऊंचाई वाले क्षेत्रों के मौसम को देखते हुए इस किस्म के सेब की यहां अच्छी पैदावार होने की संभावना है। बाजार में इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है। विदेशों में इस सेब की काफी मांग है। अब एशियन देशों में भी इस सेब की तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है।
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वर्ष 2004 में लाहुल स्पीति के ताबो में अमेरिकी किस्म के सेब का पहला सरकारी बाग स्थापित किया गया था। यह ागीचा हार्टीकल्चर यूनिवर्सिटी नौणी ने लगाया था। दो साल बाद हिमाचल के बागवानी विभाग ने प्रयोग के तौर पर किन्नौर के भोगटू इलाके में सेब की अमेरिकी स्पर किस्मों का बगीचा लगाया। इसी कड़ी में वर्ष 2007 में बागवानी विभाग ने अमेरिका से 25 हजार सेब के पौधे मंगवाकर बागवानों में वितरित किए। इस अरसे में बागवानों और वैज्ञानिकों को यह बखूबी पता चल गया कि सेब की किस विदेशी किस्म की क्या खूबी और क्या खामी है तथा यह भी सामने आया कि हिमाचल के लिए कौन सी किस्में अच्छी हैं।
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खामियां
सुपर चीफ की अमेरिकी व इटली किस्म में शुरुआती एक-दो साल में ग्रोथ काफी अच्छी पाई गई है लेकिन तीसरे साल इसके पौधे की ग्रोथ प्रभावित होने लगती है। इससे पौधे का विकास रुक जाता है। अधिक बीमे फटने के कारण फल का आकार छोटा रह जाता है। जिन इलाकों में अमूमन यूं भी अन्य किस्मों की ग्रोथ कम होती है, वहां सुपर चीफ कामयाब नहीं है। अगर बगीचों में सीधे ही सुपर चीफ का पौधा लगाया जाए तो इसकी ग्रोथ रेट बहुत कम पाई गई है। अगर पौधे की ग्रोथ रुक जाए तो पौधे की स्किन पर पेपरीवार का अटैक हो जाता है। यदि पेपरीवार का प्रबंधन न किया जाए तो पौधा ही नष्ट हो जाता है।
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सावधानी
सुपर चीफ किस्म के पौधे लगाने में मुख्य रूप से बागवानों को रूट स्टॉक को दो साल तक इंतजार करने के बाद पौधे को ग्राफ्ट करना चाहिए। उसके बाद पौधे के विकास के लिए बीमों की छंटाई अधिक करनी चाहिए। इससे पौधे का घेरा बढ़ेगा। यदि सुपर चीफ किस्म में प्रूनिग की सही तकनीक अपनाई जाए तो पांच से छह साल के भीतर इसका एक पौधा तीन से चार पेटी सेब पैदा करने में सक्षम है।
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यह है खासियत
अमेरिकी व इटली एडवांस वैरायटी की खासियत है कि इसमें फल जल्दी उगते हैं। इसमें तीन साल बाद सेब तैयार हो जाता है। इसके अलावा इन पौधों में हर साल अच्छी फसल होती है। सेब की अन्य किस्मों की तरह एक साल छोड़कर फसल तैयार नहीं होती।
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चंबा में रोपे जाएंगे 25 हजार पौधे
अमेरिकी व इटली सेब की उत्पादक क्षमता पारंपरिक सेब से कही अधिक है। एक हेक्टेयर जमीन पर करीब 2666 तक पौधे लगाए जा सकते हैं, जबकि अन्य किस्मों के 170 से 250 पौधे ही एक हेक्टेयर जमीन पर रोपे जाते हैं। एडवांस वैरायटी के सेब के पौधे नजदीक लगाए जाते हैं जो कम जगह घेरते हैं और फसल अधिक देते हैं। बागवानी विभाग द्वारा विदेशी किस्मों के हिमाचल प्रदेश उद्यान विभाग विकास योजना के तहत 25000 सेब के पौधे आयात किए हैं।
-सुशील अवस्थी ,उपनिदेशक बागवानी विभाग चंबा।