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अनेला कुंड में फूटा फब्बारा, सैकड़ों श्रद्धालुओं ने किया स्नान

विकास खंड चंबा की ग्राम पंचायत पुखरी के अनेला गांव में हर वर्ष की भांि

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 06:31 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 06:31 PM (IST)
अनेला कुंड में फूटा फब्बारा, सैकड़ों श्रद्धालुओं ने किया स्नान

संवाद सहयोगी, पुखरी : विकास खंड चंबा की ग्राम पंचायत पुखरी के अनेला गांव में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सोमवार की सुबह करीब चार बजे शिव मंदिर स्थित पोखर से पानी का फब्बारा फूटा, जिसमें सैकड़ों भक्तों ने स्नान किया। स्नान के बाद लोग घरों को कुंड का पवित्र पानी भी साथ ले गए। यह कुंड वर्ष भर सूखा रहता है। राधा अष्टमी के दिन जब मणिमहेश में झील पानी से लबालब हो जाती है उसी समय अनेला शिव मंदिर स्थित सूखे पोखर में अचानक पानी का फब्बारा फूट पड़ता है। देखते ही देखते यह कुंड पानी से लबालब भर जाता है। लोगों के बीच हमेशा से ही आश्चर्य का विषय रहा है कि पूरा साल भर सूखा रहने के बाद महज एक दिन राधाष्टमी पर ही इस पोखर में अचानक पानी की धारा कैसे फूट पड़ती है।

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जनश्रुति के अनुसार, एक समय भगवान शिव पार्वती के साथ भ्रमण पर निकले थे। कश्मीर से चंबा होते हुए वे भरमौर निकलना चाह रहे थे। जैसे ही पुखरी के अनेला गांव में पहुंचे तो वहां पर एक स्थानीय गड़रिये ने भेड़-बकरियों का बाड़ा लगा रखा था तथा आग भी जला रखी थी। जलती आग देखकर भगवान शिव ने पार्वती सहित वहीं पर ठहरने का निर्णय लिया। जैसे ही वे बाड़े के बाहर आकर बैठे तो गडरिये के कुत्ते भौंकने की बजाय उनके समक्ष बैठ गए। गडरिये को शक हुआ कि जो कुत्ते थोड़ी सी आहट पर भौंकने लग जाते हैं वे इन दोनों को देखकर चुपचाप कैसे रह गए। हो न हो ये दोनों कोई दिव्य शक्ति हैं। गडरिये ने उन्हें भीतर बुलाया तथा उनकी खूब सेवा की। सुबह भगवान शिव ने उनसे कहा कि आपकी भेड़-बकरियों को कोई भी जीव नहीं काटेगा। वह हर वर्ष उनके यहां आते रहेंगे। इसके बाद वे वहां से आगे के लिए रवाना हो गए। जिस स्थान पर भगवान शिव ने लाठी रखी थी अगले वर्ष राधाष्टमी के दिन वहां से पानी की धारा फूट पड़ी। इसके बाद से लेकर आज दिन तक उक्त स्थान पर राधाष्टमी के दिन पूरे वर्ष भर सूखा रहने वाले पोखर से पानी की धारा फूट पड़ती है। जो लोग किसी कारणवश मणिमहेश नहीं जा पाते हैं, वे उक्त पोखर से पानी निकालकर पवित्र स्नान करते हैं। इसके साथ ही घरों को पोखर का पवित्र पानी भी ले जाते हैं।


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