जान गंवाने वाले छात्र-छात्राओं को एबीवीपी ने दी श्रद्धांजलि
चीन के थियानमेन चौक पर लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहे छात्रों पर चार जून 1989 को उस समय की कम्युनिस्ट सरकार ने टैंकों व हथियारों की सहायता से हमला कर 10000 प्रदर्शनकारियों को मौत के घाट उतार दिया था।
संवाद सहयोगी, तेलका : चीन के थियानमेन चौक पर लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहे छात्रों पर चार जून 1989 को उस समय की कम्युनिस्ट सरकार ने टैंकों व हथियारों की सहायता से हमला कर 10,000 प्रदर्शनकारियों को मौत के घाट उतार दिया था। यह बात अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद चंबा के जिला संयोजक अभिलाष शर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि इस नरसंहार में जान गंवाने वाले तथा कम्युनिस्ट हिसा का शिकार होने वाले सभी प्रदर्शनकारियों को एबीवीपी ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने कहा कि कम्युनिस्ट हिसा का लघु रूप हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में भी देख सकते हैं जहां हमेशा से कम्युनिस्ट हिसा अपने चर्म पर रही है। इसी कम्युनिस्ट हिसा का नतीजा था कि चार गैर कम्युनिस्ट छात्र नेताओं को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा था। उन्होंने आरोप लगाया कि छात्रहित का बुर्का ओढ़ हमेशा से कम्युनिस्ट हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में हिसा के माध्यम से अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिश करते रहते हैं। आज तक सैकड़ों छात्र इनकी इसी हिसा का शिकार हो चुके हैं, जिसमें कुछ को अपने शरीर के अंगों को गंवाना पड़ा तो कुछ को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। एक तरफ तो भारतीय कम्युनिस्ट पूरे देश भर में लोकतंत्र तथा अपने अधिकारों की बात करते हैं। परंतु जहां भी कम्युनिस्ट विचारधारा की सरकार होती है, वहां हमेशा से लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन होता आ रहा है। चीन की यह घटना इसका उदाहरण है।