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जर्जर रंगमहल में चल रहे चार सरकारी कार्यालय

द्घद्गह्मह्म2द्घ है। चंबा शहर के बीच में एतिहासिक रंगमहल की दीवारें दरक गई हैं। इसके अलावा भवन की लकड़ी भी सड़ गई है। इसकी छत पूरी तरह से जर्जर हालत में है और बारिश होने पर पानी टपकता है। लंबे समय से इसकी मरम्मत न होने के कारण यह भवन काफी दयनीय हालत में है। मौजूदा समय में इस इमारत में जिला रोजगार कार्यालय श्रम विभाग भाषा एवं संस्कृति विभाग के अलावा हैंडलूम एवं हैंडीक्राफ्ट कारपोरेशन का कार्यालय चल रहा हैं। यहां पर हर रोज सैकड़ों लोग काम करवाने के सिलसिले में पहुंचते हैं। भवन की हालत खस्ता होने से कभी भी यह गिर सकता है और एक बड़ा हादसा हो सकता है। रंगमहल के अलावा अलावा कई ऐसे शिक्षण संस्थान व सरकारी कार्यालय हैं जो खंडहर हो चुके भवनों में चल रहे हैं। खंडहर में तबदील हो चुके भवनों की दीवारों

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 06:44 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 06:40 AM (IST)
जर्जर रंगमहल में चल रहे चार सरकारी कार्यालय

संवाद सहयोगी, चंबा : जिला मुख्यालय चंबा में कई सरकारी कार्याजय रजवाड़े के समय के भवनों में चल रहे हैं। कई दशक पहले बने भवनों की हालत काफी खस्ता हो चुकी है और गिरने की कगार पर हैं। चंबा शहर के बीच में एतिहासिक रंगमहल की दीवारें दरक गई हैं। इसके अलावा भवन की लकड़ी भी सड़ गई है। छत जर्जर हो चुकी है और बारिश होने पर पानी टपकता है। मरम्मत न होने के कारण भवन हालत दयनीय हो गई है। रंगमहल में जिला रोजगार कार्यालय, श्रम विभाग, भाषा एवं संस्कृति विभाग व हैंडलूम एवं हेंडीक्राफ्ट कॉरपोरेशन का कार्यालय है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों लोग काम करवाने के लिए पहुंचते हैं।

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वहीं कई ऐसे शिक्षण संस्थान व सरकारी कार्यालय हैं, जो खंडहर हो चुके भवनों में हैं। खंडहर में तबदील हो चुके भवनों की दीवारों पर घास और पौधे उग गए हैं। इसके साथ ही प्लास्टर व ईटें तक निकल चुकी हैं और फर्श भी उखड़ चुका हैं। खस्ताहाल भवनों से आसपास के स्थानीय भवनों पर भी खतरा मंडरा रहा है। इनके अलावा और भी कई ऐसे असुरक्षित भवन हैं। रंगमहल की मरम्मत के लिए कई बार नगर परिषद योजनाएं तो बनाती है लेकिन धरातल पर कार्य नहीं हो पाता है।

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चंबा के राजा उमेद सिंह के कार्यकाल 1748-46 में रंगमहल भवन की नींव रखी गई थी। इसे बनाने में आधी शताब्दी का समय लगा था। राजा चढ़त सिंह के कार्यकाल के दौरान 1808-44 ई में भवन बनकर तैयार हुआ था। राज परिवार की महिलाएं इस भवन में रहती थी और पुरुषों का प्रवेश वर्जित था। हालांकि यह भवन ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल हैं, मगर पुरातत्व विभाग भी भवन को खराब होने से बचाने में असहाय नजर आता है। आजादी के बाद भवन को सरकार की संपति घोषित कर दिया गया।

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शिक्षा विभाग ने असुरक्षित भवनों की रिपोर्ट मांगी

-विभाग ने असुरक्षित घोषित आठ भवनों को गिराया

-आदेश की अवहेलना पर होगी कार्रवाई

संवाद सहयोगी, चंबा : शिक्षा विभाग ने चंबा जिले में आठ असुरक्षित भवनों को गिरा दिया है। कुछ समय पहले आठ असुरक्षित भवनों को चिह्नित किया था। इन भवनों को लंबे समय से खाली करवाया गया था, ताकि विद्यार्थियों के साथ कोई हादसा न हो। शिक्षा विभाग ने भटियात के हटली, रायपुर, टूंडी, धुलारा, अवांह तथा तीसा, ककीरा, किहार स्कूलों के भवनों को गिराया है। विभाग ने स्कूल प्रभारियों को असुरक्षित भवनों का ब्योरा व मरम्मत कार्य संबधी औपचारिकता जमा करवाने के निर्देश दिए हैं। अगर किसी जर्जर भवन में कक्षाएं चल रही हैं तो स्कूल प्रभारी बच्चों को दूसरी जगह शिफ्ट करवाएं। इसके लिए निजी भवनों की भी विकल्प खोजें। स्कूल प्रभारियों को रिपोर्ट शिक्षा उपनिदेशक के कार्यालय में जमा करवानी होगी। आदेश की अवहेलना करने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। यदि बच्चों को बिठाने के लिए वैकल्पिक स्थान की व्यवस्था नहीं होती है तो विभाग व जिला प्रशासन को सूचित किया जाए। निजी भवन को किराये पर लेने के लिए सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर शिक्षा विभाग के कार्यालय को भेजें।

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चंबा में अभी आठ असुरक्षित स्कूल भवनों को गिराया गया है। स्कूल प्रभारियों को असुरक्षित भवनों की रिपोर्ट जमा करवाने के निर्देश दिए हैं। अन्य असुरक्षित भवनों को चिह्नित करने के भी आदेश दिए हैं।

-देवेंद्र पाल, उपनिदेशक, उच्च शिक्षा विभाग, चंबा।


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