बखतपुर के छह गांवों को नहीं सड़क सुविधा
स्थानीय निवासी रीता देवी राकेश कुमार कविता आरती दर्शना सोनी जितेंद्र कुमार हरीश कुमार पंकज कुमार ने आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान हर राजनीतिक दल सड़क की आवश्यकता जताकर सहानुभूति जताता है लेकिन बाद में पांच साल तक कोई भी दल पंचायत की सुध लेना तक जरूरी नहीं समझता। इस संपर्क सड़क के बनने से मियाड़ी मियाड़ीगला द्रौला कथियाड़ू जूमन ददियांली जैसे घनी आबादी वाले गांव लाभान्वित होंगे। इन गांवों के लोगों
संवाद सूत्र, खजियार : विकास खंड चंबा की बखतपुर पंचायत के छह गांव आज भी सड़क सुविधा से जुड़ नहीं पाए हैं। इससे यहां के लोगों में सरकार तथा लोक निर्माण विभाग के खिलाफ आक्रोश है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की ओर से प्रत्येक गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने का आश्वासन तो दिया जाता है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। ग्रामीणों का कहना है कि देश 21वीं शताब्दी की आधुनिक सुविधाओं का आनंद ले रहा है, जबकि पंचायत के घनी आबादी वाले छह गांव सड़क जैसी मूलभूत सुविधा के लिए जूझ रहे हैं। पंचायत की हर ग्रामसभा में गेट से मियाड़ी तक सड़क का प्रस्ताव प्राथमिकता से पारित किया जाता है, लेकिन सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं की जा रही है। स्थानीय निवासी रीता देवी, राकेश कुमार, कविता, आरती, दर्शना, सोनी, जितेंद्र कुमार, हरीश कुमार, पंकज कुमार ने आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान हर राजनीतिक दल सड़क की आवश्यकता जताकर सहानुभूति जताता है, लेकिन बाद में पांच साल तक कोई भी दल पंचायत की सुध लेना तक जरूरी नहीं समझता। इस संपर्क सड़क के बनने से मियाड़ी, मियाड़ीगला, द्रौला, कथियाड़ू, जूमन, ददियांली जैसे घनी आबादी वाले गांव लाभान्वित होंगे। इन गांवों के लोगों को जहां गृह निर्माण में भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है, वहीं किसी के बीमार होने पर मरीज को पालकी में डालकर सड़क तक पहुंचाना पड़ता है। लोगों का कहना है कि अगर 450 रुपये सीमेंट प्रति बोरी मार्ग तक पहुंचता है, तो घोड़े-खच्चर पर इस बोरी को उक्त गांव तक पहुंचाने में करीब 200 रुपये अतिरिक्त वहन करने पड़ते हैं। लोगों ने सरकार से मांग की है कि गांव को सड़क से जोड़ा जाए।
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