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अफीम माफिया ने चौहारघाटी में आलू-मटर की जगह बीज दी पोस्‍त की पौध, पुलिस व प्रशासन अनजान

Afeem crop in Chauharghati मंडी जिला के चौहारघाटी में अवैध पोस्त की खेती फिर से तैयार हो रही है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sat, 11 May 2019 12:44 PM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 01:02 PM (IST)
अफीम माफिया ने चौहारघाटी में आलू-मटर की जगह बीज दी पोस्‍त की पौध, पुलिस व प्रशासन अनजान
अफीम माफिया ने चौहारघाटी में आलू-मटर की जगह बीज दी पोस्‍त की पौध, पुलिस व प्रशासन अनजान

पद्धर, आशीष भोज। मंडी जिला के चौहारघाटी में अफीम माफिया द्वारा पोस्‍त की खेती फिर से तैयार की जा रही है। यहां नशे की खेती का कारोबार बदस्तूर जारी है। इस बार भी पोस्‍त की खेती होने की भनक लगते ही पुलिस चौहारघाटी की चढ़ाई चढ़ सकती है। घाटी के तरसवाण पंचायत में इस बार आलू मटर की बजाय खेत अफीम (पोस्त) की फसल से लहलहा रहे हैं। यहां धरमेहड़, तरसवाण, दगवानधार, बुलंग, गढगांव, समालंग सहित अन्य दूरदराज गांव में भारी मात्रा में अफीम की खेती की पुख्ता सूचना है। बीते वर्ष घाटी की कथोग पंचायत में अफीम की अवैध खेती को लेकर तीन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज हुए थे। इस बार भी दुर्गम गांव में भारी मात्रा में अवैध खेती की सूचना पुलिस को मिली है। ऐसे में अफीम की खेती के लिए बदनाम हुई मंडी जिला की चौहारघाटी फिर से नशे की खेती को लेकर सुर्खियों में आने लगी है।

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पुलिस व राजस्व विभाग की आंखों में धूल झोंककर कई लोग चौहारघाटी में वन भूमि में अफीम की खेती करते आए हैं। इस बात का खुलासा लगभग तीन साल पूर्व ही वन भूमि में बड़ी संख्या में अफीम की खेती मिलने से हुआ था। चौहारघाटी में कई ऐसे दुर्गम गांव व जंगल हैं जहां स्थानीय लोगों के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति आसानी से नहीं पहुंच सकता। हालांकि घाटी में अब सड़कों का जाल बिछ चुका है। छिटपुट गांव ऐसे बचे हैं जो सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाए हैं। इस बात का फायदा उठाकर कुछ लोगों ने वन भूमि पर अफीम की खेती शुरू कर दी है। अब यह फसल तैयार होकर खेतों में लहलहाने लगी है।

साल 2002 में हजारों बीघा भूमि में अफीम की खेती का खुलासा होने के बाद चौहार घाटी सुर्खियों में आई थी। चौहारघाटी में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती का भांडाफोड़ चंडीगढ़ से आई एनसीबी की टीम ने किया था। इससे प्रदेश में हड़कंप मच गया था। उस समय चौहारघाटी सड़क सुविधा से कम जुड़ी हुई थी। उस दौरान घाटी की तरस्वाण, धमच्याण, मढ़, सिल्हबुधाणी, सुधार, कथोग और रोपा पंचायत में निजी व वन भूमि का कोई ऐसा भाग खाली नहीं बचा था, जहां अफीम की खेती न पाई गई हो। इसके बाद सरकार ने अफीम की खेती को नष्ट करने व लोगों को जागरूक करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान भी चलाया। लेकिन बावजूद इसके नशे की अवैध खेती का कारोबार बदस्तूर जारी है।

वर्ष 2002 में जब एनसीबी की टीम ने खुलासा किया था कि राजस्व विभाग उस समय कागजों में चौहार घाटी में मटर, राजमाह व आलू की खेती दर्शाता रहा। जबकि खेतों में अफीम की फसल लहलहाती रही। लोग अब भी चोरी छिपे खेती करने से बाज नहीं आ रहे हैं। मादक पदार्थ अधिनियम के तहत कोई कार्रवाई से बचने के लिए लोगों ने अफीम की खेती के लिए जहां वन भूमि को चुना है। वहीं खेतों में भी आलू मटर की फसल के साथ अफीम की पौध लहलहा रही है।

चौहारघाटी में वन भूमि में अफीम की खेती का मामला ध्यानार्थ है। पुलिस टीम शीघ्र ही कार्रवाई करेगी। राजस्व विभाग से भी रिकॉर्ड मांगा जाएगा। -गुरदेव शर्मा, पुलिस अधीक्षक मंडी।

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