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मोदी और जनता के रिश्तों का है यह करिश्माई कमाल

भाजपा की ऐतिहासिक जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लाखों मतदाताओं की करिश्माई केमिस्ट्री का कमाल है।

By BabitaEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 03:21 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 03:21 PM (IST)
मोदी और जनता के रिश्तों का है यह करिश्माई कमाल

बिलासपुर, जेएनएन। यह सीधे हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के लाखों मतदाताओं का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रिश्तों की करिश्माई केमिस्ट्री का कमाल है कि यहां भाजपा की जीत ऐतिहासिक हो गई। मोदी व जनता के बीच के खामोश रिश्तों की थाह कांग्रेस को तो हो ही नहीं सकती थी लेकिन भाजपा को भी नहीं रही। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के सभी हलकों का जनादेश बता रहा है कि प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व के आगे भाजपा के तमाम नेतृत्व तो गौण हुए ही साथ में पार्टी विचारधाराओं के अलग-अलग प्रवाह में कई दिशाओं में बहने वाली जनता ने इस बार मोदी लहर को पकड़ लिया।

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मोदी के हक में उठी इस सियासी सुनामी में हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में भाजपा के भीतर से भी अनुराग के खिलाफ बिछाई गई बिसातें भी बुरी तरह से उखड़ गईं। यही वजह है कि पूरे संसदीय क्षेत्र में मोदी लहर में अनुराग की इस जीत से कांग्रेस भौंचक्की है। कांग्रेस की हालत ऐसी है कि उसे 17 विधानसभा क्षेत्रों में लाज बचाने तक की जगह नहीं मिली है।

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में इस बार तमाम सियासतदानों के लिए जनता की खामोशी रहस्य बनी हुई थी। न तो कांग्रेस इस खामोशी का वाजिब अर्थ निकाल पा रही थी और न ही भाजपा। दोनों के दिमाग में अजीब भय बसा हुआ था। कांग्रेस ने अपना प्रचार भाजपा प्रत्याशी अनुराग ठाकुर पर केंद्रित किया था, जबकि भाजपा ने अनुराग के नामांकन के दिन से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर अपना प्रचार केंद्रित कर दिया था। अनुराग के सामने उनके लंबे कार्यकाल के प्रति वोटर की उदासीनता के अलावा पार्टी के भीतर से ही आशंकित नुकसान जैसे खतरे भी बराबर बने हुए थे।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही रहे। उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी फैक्टर के करिश्मे की काट करने के भरसक प्रयास किए। दूसरी ओर अनुराग के पक्ष में उतरे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आदि ने अपना प्रचार पूरी तरह से राष्ट्रवाद पर ही केंद्रित रखा। लेकिन दोनों पक्ष जनता व मोदी के बीच के रिश्तों की प्रगाढ़ता को पूरी तरह से  आंक नहीं पाए। भाजपा को भी मोदी लहर के इस कद्र प्रचंड होने का आभास नहीं था। जब नतीजे आए तो सभी हलकों में अनुराग के खाते में मोदी के नाम पर जुटते चले गए मतों की आंधी ने सभी को चौंका दिया। इतना जरूर रहा कि अनुराग ने डेढ़ वर्ष में जितनी मेहनत जनता के साथ संवाद बनाने में की उससे अधिक उन्होंने टिकट के ऐलान के बाद की।

उन्होंने भी पूरी तरह से मोदी पर अपनी रणनीति कायम रखी। यह भी कड़वा सत्य है कि भाजपा के भीतर से ही अनुराग की जोरदार खिलाफत भी हुई। उन्हें हराने के लिए सियासी बिसातें भी बिछीं। लेकिन मोदी की आंधी में ऐसे तमाम प्रयास कहीं भी अपना असर नहीं छोड़ पाए। यहां तक कि कांग्रेस का बड़ा परंपरागत वोट बैंक भी मोदी के खाते में ही गया। संसदीय हलके में पर्दे के आगे और पीछे अनुराग की खिलाफत कर रहे या फिर उनके हक में आवाज बुलंद करने में पिछड़ रहे भाजपा के ही कुछ नेताओं की भी जनता ने एक नहीं सुनी और सीधे मोदी के नाम पर मोहर लगाते चली गई।

जनता ने अपनी खामोशी इस बार प्रचार में जुटे नेताओं की जनसभा में जुटकर नहीं तोड़ी बल्कि अपने इरादों को पूरी तरह से ईवीएम में मोदी के पक्ष में वोट देकर जाहिर किया। ऐसा इसलिए भी कि जनता ने प्रचार में भटकने की बजाय काफी पहले से ही मन बना लिया था कि उसे मोदी को दोबारा देश की सत्ता सौंपनी है। जनता ने अपने इरादों का आभास भाजपा की जनसभाओं में भी नहीं होने दिया और अब नतीजे सभी के सामने हैं। कांग्रेस की हालत ऐसी है कि वह जड़ों से उखड़ गई है। उसके पास अब न तो सिर छिपाने की जगह बची है और न ही लाज बचाने की। 

अपने घर में हार गए रामलाल

चौथी बार लोकसभा चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामलाल ठाकुर आखिरकार प्रचंड मोदी लहर में इस बार अपने हलके से भी लीड नहीं ले पाए। एक दफा 2004 के चुनाव में 1600 मत से पराजित होने वाले रामलाल की उस दौर में भी अपने हलके से पांच हजार से ज्यादा की लीड आई थी। उम्मीद थी कि जिले से कांग्रेस को न सही, लेकिन खुद रामलाल अपने हलके से तो कुछ लीड लेकर आगे बढ़ेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वह मतों की गिनती के पहले राउंड से लेकर आखिरी दसवें राउंड तक लगातार पिछड़ते ही गए। अनुराग ठाकुर ने मतगणना के शुरू में ही उन पर बढ़त बना ली, जो लगातार आगे बढ़ती रही। अंत में दसवें राउंड में उनके हलके में भी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का रिकार्ड बन गया। 

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