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बकरोआ पंचायत में फसलें उजाड़ रहे बंदर

जिला बिलासपुर की ग्राम पंचायत बकरोआ के 6 गांव उत्पाती बंदरों के आंतक से काफी परेशान है। बंदर जहां लोगों की फसलें नष्ट कर रहे हैं वहीं घर के भीतर घुसकर खाद्य सामग्री ले जा रहे हैं। पेहड़वी, अवारी, मझासू, घुमाणी, मझोन आदि गांव में बंदरों का भारी आतंक हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अधिकांश बंदर बाहर से छोड़े गए हैं जो मकान के दरवाजे में लगी कुंडी को खोलकर अंदर

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 03:28 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 03:28 PM (IST)
बकरोआ पंचायत में फसलें उजाड़ रहे बंदर

संवाद सहयोगी, भगेड़ : जिला बिलासपुर की ग्राम पंचायत बकरोआ के छह गांव बंदरों से परेशान है। बंदर जहां फसलें नष्ट कर रहे हैं वहीं घर के भीतर घुसकर खाद्य सामग्री चट कर रहे हैं। पेहड़वी, अवारी, मझासू, घुमाणी, मझोन सहित अन्य गांव इस समस्या से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अधिकांश बंदर बाहर से उनके गांव में छोड़े गए हैं। बंदर मकानों की छत पर बैठकर स्लेट को हटाकर भी अंदर घुस जाते हैं। भगाने पर खाने को दौड़ते हैं।

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बंदरों ने का जीना हराम कर दिया है। घरों के भीतर घुसकर बंदर खाद्य सामग्री चट कर रहे हैं। प्रशासन को इनसे छुटकारा दिलाने के लिए कार्य करना चाहिए।

शंकर दास

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बंदर लोगों के घरों के अंदर से सामान तक उठा ले जाते हैं। लोगों को रसोई में ताला लगाकर बाहर निकलना पड़ रहा है। दिन प्रतिदिन बंदरों की तादाद बढ़ती जा रही है।

अरुण कुमार

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बंदरों को यदि भगाने की कोशिश करते हैं तो हमला करना शुरू कर देते हैं। लोगों के डराने पर भी नहीं डरते हैं। पटाखे फोड़ने पर भी अब बंदर नहीं भागते हैं।

कांता देवी

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बंदर रसोईघर में लगी कुंडी को खोलकर खाने की सामग्री ले जाते हैं। कई बार प्रशासन से समस्या का समाधान करने की मांग उठाई है लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।

अनिल भारद्वाज

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बंदरों की बढ़ती तादाद सिरदर्द बन गई है। पहले बंदरों की संख्या कम थी लेकिन पिछले कुछ दिनों से इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। अब तो बंदर हमलावर हो रहे हैं।

-कर्मी देवी

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पंचायत स्तर पर कई बार समस्या का समाधान करने की मांग की जा चुकी है लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। डरते हैं कि कहीं छोटे बच्चों ये हमला न कर दें।

गीता देवी

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बंदर जहां लोगों की फसलें नष्ट कर रहे हैं वहीं घर के भीतर घुसकर खाद्य सामग्री ले जा रहे हैं। पेहड़वी, अवारी, मझासू, घुमाणी, मझोन गांव में बंदरों की दहशत है।

रमेश चंद

------------------------घर में महिलाओं को खाना बनाना भी मुश्किल हो गया है। बंदर मकानों की छत पर बैठकर स्लेट को हटाकर भी अंदर घुस जाते हैं। भगाने पर बंदर काटने को दौड़ते हैं।

दुनी चंद

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इस समस्या के लिए पंचायत में कोई प्रावधान नहीं है। सरकार को प्रस्ताव भेजकर अवगत कर करवाया जाएगा। लोगों की समस्याओं का समाधान करना उनकी प्राथमिकता है।

अंजना धीमान, प्रधान, ग्राम पंचायत बकरोआ


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