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विशेषज्ञ इमरजेंसी में, ओपीडी लाचार

कांग्रेस सरकार में अरसे तक डाक्टरों का टोटा झेलने वाले जिला अस्पताल बिलासपुर में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने पर भी हालात नहीं सुधर सके। डाक्टरों की नियुक्ति तो हो गई लेकिन लोगों की दिक्क्तें कम नहीं हुई है। इलाज की आस में अस्पताल में पहुंचने वाले मरीज बेरंग होकर घर लौट रहे हैं। अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टरों को इमरजेंसी में तैनात किया जा रहा है, जिससे इन विशेषज्ञों डाक्टरों के पास इलाज

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 05:47 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 05:47 PM (IST)
विशेषज्ञ इमरजेंसी में, ओपीडी लाचार
विशेषज्ञ इमरजेंसी में, ओपीडी लाचार

दिक्कत

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जिला बिलासपुर के सबसे बड़े अस्पताल में मरीजों को होना पड़ रहा परेशान

संवाद सहयोगी, बिलासपुर : जिला के सबसे बड़े बिलासपुर अस्पताल में रोजाना अपनी विभिन्न बीमारियों को लेकर ओपीडी में आने वाले मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा विशेषज्ञ चिकित्सकों की डयूटी भी इमरजेंसी में लगाई जा रही है। ऐसे में विशेषज्ञों चिकित्सकों के पास इलाज की आस में पहुंचे मरीज चैकअप नहीं करवा पा रहे हैं। 22 चिकित्सकों वाले जिला अस्पताल में इस अव्यवस्था के कारण इमरजेंसी में ही रूटीन के मरीजों को चेक करने का कार्य हो रहा है और वह भी पूरे नहीं हो पाते।

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कोई एमबीबीएस चिकित्सक तैनात नहीं

इसे लेकर अस्पताल प्रबंधन का तर्क है कि यहां विशेषज्ञ चिकित्सक ही मौजूद हैं। यहां कोई एमबीबीएस चिकित्सक नहीं, जिसे अलग से इमरजेंसी में तैनात किया जाए। प्रबंधन के इस तर्क से मरीजों को दिक्कतों के साथ ही उपलब्ध चिकित्सकों का कार्य भी प्रभावित हो रहा है। ऐसे में यदि कोई दुर्घटना हो जाए तो इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक पहले घायलों को देखते हैं, बाद में रूटीन मरीजों की भीड़ का सामना करते हैं। यही नहीं इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक को यदि पोस्टमार्टम के लिए जाना पड़े तो अन्य किसी विशेषज्ञ को अपनी ओपीडी छोड़कर इमरजेंसी ओपीडी में सेवाएं देनी पड़ती हैं।

-------------------------- नए चिकित्सक सेवाएं देने को तैयार नहीं

जिला अस्पताल बिलासपुर में कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर तैनात किए जाने की आवश्यकता है ताकि विशेषज्ञों चिकित्सकों की ओपीडी प्रभावित न हो। दरअसल बिलासपुर अस्पताल में नए चिकित्सक सेवाएं देने के लिए तैयार नहीं। इसका एक कारण पीजी पॉलिसी के लिए पात्रता है। बिलासपुर सहित निचले हिमाचल के अन्य जिलों में सेवाएं देने पर नए एमबीबीएस दो वर्ष बाद पीजी के लिए पात्र नहीं होते। इस कारण युवा चिकित्सक प्रदेश के दूरवर्ती इलाकों किन्नौर और लाहुल-स्पीति में सेवाएं देना पंसद कर रहे हैं।

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अस्पताल में इमरजेंसी ओपीडी चलाना बेहद अनिवार्य है, लेकिन इसके लिए अलग से कोई एमबीबीएस चिकित्सक नहीं। वैसे मामले में एमएस ही अधिक जानकारी दे सकते हैं, जो इसके लिए अधिकृत हैं।

- डॉ. बीके चौधरी, सीएमओ बिलासपुर।


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