चमलोग में शोभायात्रा से श्रीमद्भागवत कथा का आगाज
संवाद सहयोगी, बरमाणा : श्री राधाकृष्ण आश्रम चमलोग में श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर श्रीमद्भागवत
संवाद सहयोगी, बरमाणा : श्री राधाकृष्ण आश्रम चमलोग में श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ शोभायात्रा व कलश यात्रा से शुरू हुआ। कथाव्यास डॉ. मनोज शैल ने कहा कि गुरु के बिना जीवन अपूर्ण है। अत: मनुष्य को निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सद्गुरु की शरण लेनी चाहिए। सत्संग में जीवन को लगाकर ही सद्गुरू मिलते हैं। श्रीमद्भावत रुपी सत्संग का हमें सदा पान करना चाहिए, जिससे जीवन भक्ति में लगता है। भक्ति ज्ञान वैराग्य का उज्ज्वलतम आदर्श श्रीमद् भागवत ही प्रकट करता है। उन्होंने नारद-भक्ति संवाद का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि देवर्षि नारद जी पूर्ण पृथ्वी का भ्रमण करने के बाद जब वृन्दावन में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि लोगों ने ज्ञान वैराग्य से रहित भक्ति को स्वीकार किया है। इससे वे दुखी हुए क्योंकि ज्ञान वैराग्य के बिना भक्ति अपूर्ण होती है। अत: भक्ति की पूर्णता के लिउ वे सनकादि मुनियों की शरण में गए और उनके मार्गदर्शन में भक्ति,ज्ञान, वैराग्य के विस्तार के लिए श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ रुपी सत्कर्म का अनुष्ठान किया जिससे ज्ञान वैराग्य के साथ भक्ति का प्रसार हुआ।