प्रभु को याद करने के लिए निकालें समय
संवाद सूत्र, कुठेड़ा : कुठेड़ा कस्बे के टिहरी गांव में श्री रामकथा के तीसरे दिन पंडित स
संवाद सूत्र, कुठेड़ा : कुठेड़ा कस्बे के टिहरी गांव में श्री रामकथा के तीसरे दिन पंडित सुरेश भारद्वाज ने प्रवचनों से लोगों को निहाल किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य को एक पल प्रभु को जरूर याद करना चाहिए। भक्ति में बहुत शक्ति होती है। उन्होंने रामायण के एक रोचक प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि लंका का राजा रावण जब अपने सेनापति मारीच के साथ अपने पुष्पक विमान पर कैलाश पर्वत के ऊपर से जाने की चेष्टा कर रहे थे। तभी विमान अचानक रूक जाता है। इससे रावण को क्रोध आ जाता है। वह क्रोधित होकर कैलाश पर्वत को धरती से उखाड़ने की कोशिश करता है। इतने में कैलाशपति भगवान शिव शंकर अपने अनुचर नंदी से कहते है कि देखो यह कौन अभिमानी है, जो पर्वत को ही हटाने का प्रयास कर रहा है। नंदी ने रावण के पास जाकर उसे समझाने का प्रयास करता है कि मूर्ख राजन क्या पर्वत भी कभी किसी के हिलाने से हिले हैं। रावण का सेनापति मारीच भी अपने महाप्रभु को समझाने का प्रयास करता है लेकिन रावण ने सोचा कि यदि मैं शंकर भगवान को बल से नहीं पा सकता हूं तो भक्ति से प्राप्त करने का प्रयास करता हूं। पंडित ने बताया कि रावण ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को वरदान देने के लिए बाध्य कर दिया। भगवान शंकर ने सशर्त रावण को अमरत्व का वरदान दिया। पंडित सुरेश भारद्वाज ने कहा कि सच्चे मन से यदि भगवान की भक्ति की जाए तो वे किसी के भी वश में हो जाते हैं।