एंबुलेंस नहीं, सिर्फ पालकी ही सहारा
संवाद सहयोगी बिलासपुर आजादी के सात दशकों बाद बेशक भारत मंगल पर कदम रखने की तैयारी में ह
संवाद सहयोगी, बिलासपुर : आजादी के सात दशकों बाद बेशक भारत मंगल पर कदम रखने की तैयारी में है, लेकिन विकास से कोसों दूर घुमारवीं के दाबला गांव में मरीजों को अस्पताल पहुंचाना आफत है। गांव में सड़क सुविधा न होने से पहले तो मरीज को पालकी में ले जाना पड़ता है, वहीं रही सही कसर को सीर खड्ड पूरा कर देती है। बहरहाल, घुमारवीं उपमंडल के दाबला गांव में लोग नरकीय जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। घुमारवीं के दाबला गांव का वार्ड नंबर चार आज भी सड़क सुविधा से महरूम है। 25 से 30 परिवारों से संबंधित 100 लोगों की जनसंख्या वाला यह गांव शांत पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है, लेकिन यहां के लोगों का जीवन जितना सरल नजर आता है उतना है नहीं। दरअसल गांव के लोगों की मुश्किलें सड़क सुविधा न होने से ओर बढ़ जाती हैं। दाबला गांव की एक बीमार बच्ची को ग्रामीणों पालकी में डाल कर खड्ड पार करवाई, जिसके बाद उसे अस्पताल तक पहुंचाया गया। सड़क सुविधा न होने के चलते यहां एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती है, जिससे ग्रामीणों को इमरजेंसी के दौरान मरीज को ऐसे ही पालकी बनाकर कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद खड्ड पार करवानी पड़ती है और फिर कहीं जाकर एंबुलेंस व निजी वाहन तक मरीज को पहुंचाना पड़ता है। वहीं स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव तक सड़क सुविधा न होने के चलते उन्हें इस तरह की दिक्कतों का हर बार सामना करना पड़ता है और यह समस्या तब और भी गंभीर हो जाती है, जब बरसात के दिनों में सीर खड्ड पानी से भर जाती है और ऐसे में मरीज को खड्ड पार करवाना काफी मुश्किल हो जाता है। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि गांव तक सड़क न होने के कारण एक कैंसर पीड़ित बुजुर्ग महिला को भी ऐसे ही पालकी में बिठाकर अस्पताल ले जाया गया था, मगर उन्होंने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। अगर सड़क सुविधा होती तो समय पर उनका इलाज हो सकता था। स्थानीय ग्रामीणों ने सरकार व प्रशासन से जल्द ही सड़क सुविधा मुहैया करवाने की मांग की है।
बजट होगा तो बना देंगे सड़क
लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता मनोहर लाल शर्मा ने बताया कि बजट का प्रावधान होगा तो सड़क बना दी जाएगी।