रंगनाथ मंदिर बना नशेड़ियों का अड्डा
संवाद सहयोगी बिलासपुर आठवीं व नौवीं शताब्दी में बने ऐतिहासिक रंगनाथ मंदिर में जहां आज भ
संवाद सहयोगी, बिलासपुर : आठवीं व नौवीं शताब्दी में बने ऐतिहासिक रंगनाथ मंदिर में जहां आज भी बिलासपुर के लोगों की अटूट आस्था है तो आज यह प्राचीन मंदिर जर्जर हालत में पहुंच चुका है। भाखड़ा बांध निर्माण के दौरान पुराना बिलासपुर शहर जलमग्न हो गया था। हालांकि शहर को तो नए सिरे से बसाया गया, लेकिन भगवान रंगनाथ मंदिर सहित अन्य जलमग्न हुए मंदिरों की कलाकृतियां आज भी जस की तस है जहां एक ओर यह ऐतिहासिक मंदिर नशेड़ियों का अड्डा बनता जा रहा है तो वहीं जनता के प्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारी जल्द ही इन मंदिरों को पुर्नस्थापित करने का आश्वासन देते नजर आ रहे हैं। जिला बिलासपुर के सांडू के मैदान में ऐतिहासिक धरोहर जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं वे धरोहर जर्जर होने के साथ नशेड़ियों का अड्डा बन कर रह गई है। भाखड़ा बांध निर्माण के दौरान नया शहर बसाने के साथ ही भगवान रंगनाथ की मूर्तियां तो लक्ष्मी नारायण मंदिर में स्थापित की गई मगर इस ऐतिहासिक मंदिर की कला मूर्तियां आज भी वहीं हैं। प्रशासन व सरकार की अनदेखी के चलते आजतक मंदिर को पुर्नरस्थापित नहीं किया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रदेश सरकार व प्रशासन को चाहिए कि जल्द इस मंदिर का जीर्णाेधार किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति व धरोहर से रूबरू हो सके और ये जगह पर्यटन की दृष्टि से भी आगे बढ़ सके। वहीं जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल ने कहा कि पुर्नस्थापित को लेकर बातचीत चली हुई है। दो एजेंसियों ने अपनी पहली रिपोर्ट तैयार कर ली है और टेक्निकल रिपोर्ट के लिए उन्होंने मार्च माह के बाद आना था, मगर कोरोना वायरस के चलते उनका दौरा रद हो गया है, साथ ही उन्हें पूरी उम्मीद है कि देश में हालात सामान्य होने पर जल्द ही दोनो एजेंसियां यहां आएंगी और अपनी टेक्निकल रिपोर्ट पुरातत्व विभाग को भेजेगी।