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गो सेंक्चुयरी के विरोध में धार टटोह के लोग, आवाज की बुलंद

गो सेंक्चुरी बनाने के विरोध में लोगों ने आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया है। सरकार के निर्णय के विरोध में स्थानीय ग्रामीणों, महिला मंडल व युवक मंडल के पदाधिकारियों और सदस्यों की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में उपस्थित सभी लोगों ने प्रस्तावित गो सेंक्चुरी का विरोध जताया है। लोगों का कहना है कि गांव धार-टटोह व अन्य पालंगरियों के लोगों का यह देहाती चरागाह है। सरकार के इस निर्णय के विरोध में

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Dec 2018 05:45 PM (IST)Updated: Tue, 04 Dec 2018 05:45 PM (IST)
गो सेंक्चुयरी के विरोध में धार टटोह के लोग, आवाज की बुलंद
गो सेंक्चुयरी के विरोध में धार टटोह के लोग, आवाज की बुलंद

संवाद सहयोगी, बिलासपुर : ग्राम पंचायत धार-टटोह में दो सौ बीघा जंगल पर जिला प्रशासन व हिमाचल सरकार की ओर से बेसहारा गायों को रखने के लिए गो सेंक्चुयरी बनाने के विरोध में लोगों ने आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया है। सरकार के निर्णय के विरोध में स्थानीय ग्रामीणों, महिला व युवक मंडल के पदाधिकारियों और सदस्यों की बैठक मंगलवार को हुई। बैठक में उपस्थित सभी लोगों ने प्रस्तावित गो सेंक्चुयरी का विरोध जताया है।

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लोगों का कहना है कि गांव धार-टटोह व अन्य पालंगरियों के लोगों का यह देहाती चरागाह है। सरकार के इस निर्णय का शिव शक्ति युवक मंडल क्वाली टटोह और महिला मंडल टटोह ने विरोध किया है। महिला मंडल टटोह की प्रधान रूमा देवी का कहना है कि पशुओं के लिए घास चारा व चूल्हा जलाने की लकड़ियों के लिए स्थनीय लोग इसी चरागाह पर निर्भर हैं। यहां के बहुत से लोग खेतीबाड़ी व पशुपालन करते हैं। ऐसे में गो सेंक्चुयरी बनाने के लिए जो दो सौ बीघा जमीन आवंटित की जा रही है उससे यहां के लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए प्रशासन से मांग की जाती है इस बारे में स्थानीय लोगों को विश्वास में लेकर ही कोई निर्णय लें।

इस अवसर पर कर्मचंद, प्रवीण, संजय, सुनीता देवी, गंगा, शीला, रीता, सुमिता, निर्मला, कांता, ¨पकी और लक्ष्मी इंद्रपाल ठाकुर, धनीराम, परमानंद, रामजी, राज कुमार प्रधान शिव शक्ति युवक मंडल, पंकज, पल¨वद्र, चमन, राजेश, कुलदीप, अनिल, ख्याली राम, अमरनाथ, प्रेमलाल, रणजीत ¨सह, तेजपाल उपस्थित थे।

वहीं पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार को यहां पर सेंक्चुयरी एरिया बनाने से पहले स्थानीय लोगों को विश्वास में लेना चाहिए था। जहां पर इस सेंक्चुरी को बनाने का निर्णय लिया गया, वह एक चरागाह है जहां सदियों से स्थानीय लोगों के पशु चरते हैं। सरकार को अपने निर्णय पर एक बार फिर से विचार करना चाहिए।


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