गृहरक्षा वाहिनी की कंपनियों को नहीं मिली जमीन
गृहरक्षा पांचवी वाहिनी की विभिन्न कंपनियों के नाम भूमि हंस्तातरित करने की कवायद दो वर्ष बाद भी पूरी नहीं हो पाई है।
संवाद सहयोगी, बिलासपुर : गृहरक्षा पांचवीं वाहिनी की कंपनियों के नाम भूमि हस्तांतरित करने की कवायद दो वर्ष बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। भूमि को हस्तांतरित करने में वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए एक्ट) बाधा बना हुआ है। ऐसे में बटालियन के नाम न तो भूमि हो पाई है और न उसे अपना भवन मिलने की उम्मीद बंधी है। अपना भवन न होने पर कंपनियां निजी भवनों में बैठकर अपना कार्य निपटा रही हैं। गृहरक्षा पांचवीं वाहिनी बिलासपुर की छह कंपनियां हैं। इनमें से 5/1 बिलासपुर, 5/2 घुमारवीं, 5/3 झंडूता, 5/4 बस्सी, 5/5 मारकंड और 5/6 भराड़ी में है। इनमें से कंपनी बिलासपुर तथा कंपनी मारकंड के पास अपनी भूमि है, जबकि शेष निजी भवनों में चलाई जा रही हैं। कंपनी कमांडर ने भूमि चयनित कर विभिन्न विभागों के अधिकारियों को एनओसी के लिए पत्र प्रेषित किया था। इसमें से लोक निर्माण, आइपीएच, विद्युत बोर्ड तथा वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा था। इनमें से लोक निर्माण विभाग, विद्युत बोर्ड तथा आइपीएच ने एनओसी दे दी है, जबकि वन विभाग अभी तक ऐसा नहीं कर पाया है। इस वजह से भूमि को कंपनी के नाम हस्तांतरित करने की कवायद अधर में है।
घुमारवीं कंपनी ने घुमारवीं के ब्लॉक रोड पर कोर्ट परिसर के साथ ही भूमि चयनित की है। बस्सी कंपनी ने लुहार बस्ती के समीप भूमि देखी है। झंडूता कंपनी ने मिनी सचिवालय के समीप, जबकि भराड़ी कंपनी ने बड़साय नामक स्थान पर भूमि चयनित की है। हालांकि बस्सी कंपनी को स्थानीय वन समिति से स्वीकृति मिल गई है लेकिन इसे अभी डीएफओ कार्यालय से स्वीकृति मिलना शेष है। ऐसे में कंपनियों को भूमि स्वीकृत होने के बाद ही भवन निर्माण की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। वन विभाग इन कंपनियों को कब तक एनओसी देगा, इसका कोई पता नहीं है। तब तक कंपनियों को अपना कार्य निजी भवनों में बैठकर निपटाना पड़ेगा। अभी नहीं मिली एनओसी : अजय बौद्ध
कमांडेंट बटालियन बिलासपुर अजय सिंह बौद्ध (एचपीएस) ने बताया कि कंपनी की ओर से भूमि चयनित कर ली गई है। मामले को एनओसी के लिए वन विभाग के पास भेजा है। अभी तक एनओसी नहीं मिली है। वहीं डीएफओ बिलासपुर सरोज भाई पटेल ने बताया कि मामला उनके ध्यान में है। कागजी कार्रवाई पूरी होते ही इस संबंध में एनओसी दे दी जाएगी।
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