Himachal Election: जेपी नड्डा के गृह जिला में 27 साल से नहीं टूटा यह रिकार्ड, बदलेगा रिवाज या बनी रहेगी परंपरा
Himachal Election 2022 हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के बाद मतगणना की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह जिला पर भी सबकी नजर है। यहां 27 साल से एक रिकार्ड नहीं टूट पाया है।
बिलासपुर, बंशीधर शर्मा। Himachal Election 2022, जिला बिलासपुर में वर्ष 1990 से लेकर 2017 तक कांग्रेस व भाजपा में से कोई भी दल चारों विधानसभा सीटों पर कब्जा कायम नहीं कर पाया है। इस कारण लोगों में इस बार उत्सुकता बनी है कि क्या कोई दल इस बार इस रिवाज को बदल पाएगा या नहीं। 27 साल के इस लंबे अरसे में केवल वर्ष 1990 में भाजपा सरकार के कार्यकाल में ही ऐसा संभव हो पाया था, लेकिन उस समय के नयनादेवी विधानसभा तत्कालीन समय कोट कहलूर से भाजपा समर्थित सीपीआइ प्रत्याशी ने भाजपा के लिए चौथे स्थान पर जीत दर्ज करवाई थी, लेकिन अपने दम पर इस अवधि के दौरान दोनों ही दल चारों सीटें जीतने में नाकामयाब रहे हैं, जिसका खामियाजा अकसर सरकार विरोधी विधायक बनने वाले विस क्षेत्र के लोगों को विकासात्मक कार्यों के रूप में भुगतना पड़ता है।
1990 से लेकर 2017 तक ये रही स्थिति
जिला की बात की जाए तो वर्ष 1990 में भाजपा की शांता कुमार के नेतृत्व में सरकार बनी थी, तत्कालीन समय भाजपा ने जनता दल और सीपीआइ से गठजोड़ करके सरकार बनाई थी तथा उस समय नयनादेवी से भाजपा ने अपना प्रत्याशी चुनाव में नहीं उतारा था तथा गठजोड़ के तहत सीपीआइ के कृष्ण कुमार कौशल को सीट छोड़ी थी। तत्कालीन समय पहली बार नयनादेवी में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था तथा गैर कांग्रेसी विधायक बना था। उस समय बिलासपुर से भाजपा के सदा राम, घुमारवीं से भाजपा के केडी धर्माणी व गेहड़वीं मौजूदा समय झंडूता से भाजपा के रिखीराम कौंडल विजयी हुए थे।
बीतों चुनावों का परिदृश्य
इसके बाद 1993 में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी और नयनादेवी से रामलाल ठाकुर, घुमारवीं से कश्मीर सिंह ठाकुर व गेहड़वी से डा. बीरू राम किशोर कांग्रेस की तरफ से विधायक बने। तत्कालीन समय सदर से भाजपा के विधायक रहे सदाराम ठाकुर को नयनादेवी से चुनाव लड़ाया गया था और सदर से भाजपा के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष को चुनाव मैदान में उतारा गया था तथा वे विजयी रहकर पहली बार विधायक बने थे। वर्ष 1998 को भाजपा ने हिविंका की सहायता से प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। उस समय नयनादेवी से कांग्रेस के रामलाल ठाकुर व घुमारवीं से कांग्रेस के ही कश्मीर सिंह ठाकुर तथा सदर से भाजपा के जगत प्रकाश नड्डा व झंडूता से भाजपा के रिखीराम कौंडल विजयी हुए थे।
2003 में नड्डा की हुई थी हार
2003 में फिर से वीरभ्द्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी और घुमारवीं से भाजपा के केडी धर्माणी ने ही जीत हासिल की, जबकि सदर से जगत प्रकाश नड्डा को हार का मुंह देखना पड़ा और तिलक राज शर्मा कांग्रेस से विधायक बने। इसी प्रकार गेहड़वी से डा. बीरू राम किशोर व नयनादेवी से रामलाल ठाकुर विधायक बने।
2007 में यह रही स्थिति
2007 में प्रदेश में दोबारा भाजपा की प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में सरकार बनी तथा उस समय घुमारवीं से राजेश धर्माणी कांग्रेस के एकमात्र विधायक बने, जबकि सदर से जगत प्रकाश नड्डा, नयनादेवी से रणधीर शर्मा व झंडूता से रिखीराम कौंडल विधायक बने। इसी प्रकार वर्ष 2012 में कांग्रेस की वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी और नयनादेवी से रणधीर शर्मा व झंडूता से रिखीराम कौंडल भाजपा की तरफ से तथा सदर से बंबर ठाकुर व घुमारवीं से राजेश धर्माणी विधायक बने। जबकि 2017 में भाजपा की जयराम ठाकुर के नेतृत्व में सरकार बनी, लेकिन इस बार भी भाजपा चारों सीटों पर जीत दर्ज नहीं कर पाई। इस बार नयनादेवी से रामलाल ठाकुर कांग्रेस की तरफ से विधायक बने, जबकि सदर से सुभाष ठाकुर, घुमारवीं से राजिंद्र गर्ग व झंडूता से जीत राम कटवाल भाजपा की तरफ से विधायक बने।