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Himachal News: सेब के नगर में पकड़ नहीं जमा पा रहे आम, पिछले सत्तर सालों से बागवानों को नहीं मिल पा रहा बाजार

Himachal Pradesh News हिमाचल प्रदेश का बिलासपुर एक गर्म जलवायु वाला इलाका है। जिस तरह से ठंडे क्षेत्रों में सेब का अधिक मात्रा में उत्पादन होता है वहीं बिलासपुर जिले में आम का उत्पादन किया जाता है। बिलासपुर (Bilaspur) जिले में करीब 2500 आम उत्पादक है तथा जिला में करीब चार हजार मीट्रिक टन आम का उत्पादन किया जाता है।

By Rajneesh Kumar Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 01 May 2024 03:39 PM (IST)
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Himachal News: सेब के नगर में पकड़ नहीं जमा पा रहे आम
रजनीश महाजन, बिलासपुर। Himachal Pradesh News: बागवानों की आर्थिकी को पंख लगाने के दावे तो किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर नजर दौड़ाई जाए तो धरातल पर यह दावे केवल कागजों में ही दफन नजर आते हैं।

बिलासपुर जिला की बात करें तो बिलासपुर एक गर्म जलवायु का क्षेत्र है। जिस प्रकार ठंडे क्षेत्रों में सेब का अधिक मात्रा में उत्पादन होता है वहीं बिलासपुर जिला में आम का उत्पादन किया जाता है।

लेकिन हैरानी की बात है कि सात दशक बीत जाने के बाद भी बिलासपुर के आम उत्पादकों को बाजार नहीं मिल पाया है। आज भी बागवान अपने स्तर पर आम बेचने को मजबूर हैं।

बिलासपुर जिला में करीब 2500 आम उत्पादक है तथा जिला में करीब चार हजार मीट्रिक टन आम का उत्पादन किया जाता है। ऐसे में बागवान इसे बेचने के लिए पंजाब की मंडियों में जाते हैं या फिर ठेकेदार मनमर्जी के दामों पर किसानों से आम की खरीददारी करते हैं।

फसल के दाम दस से अधिक नहीं

जिला में बात करें तो बागवानों को आम की फसल के दाम 10 रुपये से अधिक नहीं मिल पाते हैं। बागवानों को पहले जहां मौसम की बेरुखी का सामना करना पड़ता वहीं सही दाम न मिलने के कारण उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता है क्योंकि ठेकेदार अपना लाभ देखकर फसल खरीदते हैं।

लंबा अरसा बीत जाने के बावजूद बागवान उस इंतजार में जब उनका आम घर द्वार बेहतर दामों पर मिल सके। बागवानों की मानें तो आम आदि नगदी फसलों में आते हैं और उन्होंने बेहतर आर्थिकी के लिए बागवानी का दामन थामा था, लेकिन उन्हें उम्मीदों के अनुरूप दाम नहीं मिल पाया है।

क्या कहते हैं बागवान 

बिलासपुर जिला में आम की फसल काफी अधिक होती है। गर्म जलवायु के कारण यहां पर आम लोगों की मुख्य फसल है, लेकिन आज तक आम को बेचने के लिए बाजार नहीं मिल पाया है। लोग अपने स्तर पर ही आम बेचने को मजबूर हैं। कई बार पंजाब की मंडियो में आम ले जाते हैं। वहां पर कई बार उचित दाम नहीं मिल पाते हैं।

-बद्री राम।

बागवानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के दावे तो किए जाते हैं, लेकिन बागवानों की समस्याओं के समाधान के लिए कोई कदम नहीं उठाए जाते हैं।

लोगों को आज तक आम बेचने के लिए मार्केट नहीं मिल पाई है। कई बार आम की फसल पेड़ों पर ही खराब हो जाती है। लोगों को पूरा मेहनताना भी नहीं मिल पाता है।

-जीतराम

जन प्रतिनिधियों को चाहिए कि वह आम के उत्पादकों के लिए मंडी में सुविधा उपलब्ध करवाए और बागवानों को न्यूनतम मूल्य से अधिक दामों पर आम की खरीद हो।

इसके बाद ही बागवानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने का सपना साकार हो सकता है। अधिकांश लोग दशहरी आम का ही उत्पादन करते हैं।

-अनीश ठाकुर।

बिलासपुर में करीब 2500 आम उत्पादक हैं। इनमें कई बागवानों ने बड़े बगीचे लगाए हैं जबकि कुछ बागवानों ने कम संख्या में पौधे लगाए हैं।

मंडी की सुविधा न होने के कारण लोग अपनी फसल ठेकेदारों को ही बेचते हैं। ठेकेदार मर्जी के दामों पर फसल खरीदते हैं। इससे बागवानों को नुकसान उठाना पड़ता है।

-अमर सिंह।

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बागवानों की उनका हक मिल सके इसके लिए सरकार ने न्यूनतम मूल्य 12.50 रुपये निर्धारित किया गया है। इसके साथ फलों के प्रसंस्करण के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। शिवा प्रोजेक्ट के माध्यम से इसे बेचा जाएगा। इसके साथ ही जूस, आचार व अन्य उत्पादन तैयार करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

-राजेश धर्माणी, तकनीकी शिक्षा मंत्री, हिमाचल प्रदेश सरकार।

आम उत्पादकों को आम बेचने के लिए सही व्यवस्था होनी चाहिए। इस मुद्दे को प्रदेश सरकार के समक्ष रखेंगे ताकि बिलासपुर में स्थित मंडियों में अन्य सब्जियों के बिक्री के साथ आम को भी बेचने की सुविधा मिल सके। यहां पर स्टोरेज की भी समस्या है तो इस समस्या को भी प्रदेश सरकार के समक्ष रखा जाएगा।

-त्रिलोक जम्वाल, विधायक भाजपा, सदर विधानसभा क्षेत्र।

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