जुकाम के अलावा एलर्जी से भी बचाएं
इस मौसम में बच्चों को सिर्फ जुकाम से ही नहीं बल्कि सामान्य एलर्जी से भी बचाने की जरूरत है। अगर आप थोड़ा सा ध्यान रखें तो दोनों में फर्क को भी समझ सकते हैं और इन खतरों से बचाने की पहल भी कर सकते हैं...
इस मौसम में बच्चों को सिर्फ जुकाम से ही नहीं बल्कि सामान्य एलर्जी से भी बचाने की
जरूरत है। अगर आप थोड़ा सा ध्यान रखें तो दोनों में फर्क को भी समझ सकते हैं और
इन खतरों से बचाने की पहल भी कर सकते हैं...
सर्दियों के मौसम में अपने लाड़ले या लाड़ली को कई तरह के बाहरी खतरों
से बचाना होता है। वैसे तो एक वर्ष
तक के बच्चे आम तौर पर शारीरिक रूप से
स्वस्थ होते हैं और उन्हें होने वाली बीमारियां
महज तात्कालिक होती हैं। फिर भी कुछ
समस्याएं होती हैं, जो बच्चों को बार-बार
परेशान करती रहती हैं। इन समस्याओं को
लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। इस दौरान
बच्चों को जुकाम के साथ ही एलर्जी का भी
खतरा रहता है। जुकाम और एलर्जी के फर्क
को सावधानी से समझने की जरूरत है। कई
बार लोग एलर्जी को भी जुकाम मानकर
उसकी उपेक्षा करते रहते हैं या उसी मुताबिक
उसका उपचार करने की कोशिश में लगे रहते
हैं। दोनों के लक्षण भी इतने समान होते हैं कि
इनका फर्क समझना अक्सर मुश्किल होता है,
लेकिन थोड़ी सावधानी से इसका अंदाजा
लगाया जा सकता है।
इन लक्षणों पर रखें नजर
अगर आपके बच्चे को जुकाम के लक्षण डेढ़-
दो हफ्ते से ज्यादा वक्त से कायम हैं, तो यह
एलर्जी हो सकती है। हालांकि यह हर बार
जरूरी नहीं होता। कई बार यह सेकेंडरी
इंफेक्शन के कारण भी होता है, मगर ऐसे
मामले में डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर होता
है। अगर आपके बच्चे की नाक हमेशा बहती
रहती हो, या भरी रहती हो तब भी आपको
सावधान होने की जरूरत है। आम तौर पर
ऐसा एलर्जी की वजह से होता है। इसी तरह
यह भी ध्यान रखें कि जुकाम के कारण जब
बच्चे की नाक से म्यूकस निकलता है, तो वह
पीला या हरा रंग लिए होता है और वह काफी
गाढ़ा होता है, मगर एलर्जी के कारण जब नाक
से म्यूकस आता है तो वह साफ और पानी
जैसा पतला होता है।
अगर बच्चा लगातार बार-बार छींक रहा
हो, तब भी यह एलर्जी के लक्षण होते हैं। इसी
तरह बच्चे के शरीर पर चकत्ते या निशान
उभर रहे हों, खुजली हो रही हो, लाल-पीले
धब्बे पड़ रहे हों या लगातार वह नाक पर
खुजली कर रहा हो, दबा रहा हो या खींच रहा
हो, तब भी यह एलर्जी हो सकती है। अगर
बच्चे की आंखें लाल हो गई हों, बहुत पानी
आ रहा हो या बार-बार उसे मसल रहा हो,
तब भी आपको सावधान होने की जरूरत है।
बच्चे को ठंड से बचाने के लिए घरेलू नुस्खों
का भी उपयोग कर सकते हैं। लहसुन, हींग
और अजवायन को सरसों के तेल के साथ
तेज गर्म करें ताकि इनका अर्क तेल के अंदर
मिल जाए। फिर इस तेल को छानकर रख लें।
इस तेल से आप बच्चे की नियमित मालिश
करें।
स्तनपान का महत्व
विशेषज्ञों का कहना है कि जिन बच्चों को
कम से कम छह महीने तक की अवधि तक
माता ने स्तनपान करवाया हो, उसे एलर्जी की
आशंका कम होती है। खासकर जिन परिवार
में पहले से एलर्जी का इतिहास हो, उनमें
बच्चों को स्तनपान करवाने पर विशेष ध्यान
देना चाहिए। ठोस भोजन छह महीने से पहले
नहीं दें। इसी तरह गाय का दूध, अंडे की
सफेदी वाला भाग, गेहूं, चाकलेट, मूंगफली
या मेवा बच्चों को देते समय विशेष सावधानी
रखें। बच्चों को ये चीजें एक-एक कर शुरू
करें। जब इन्हें देना शुरू करें, तो ध्यान रखें
कि उसकी बच्चे के शरीर पर क्या प्रतिक्रिया
हो रही है। हो सकता है कि इनमें से किसी
एक चीज को लेकर बच्चे के शरीर में एलर्जी
पैदा हो रही हो, बारी-बारी से इन चीजों को
शुरू कर आप शरीर पर उसकी पहचान कर
सकते हैं।
कुछ बच्चों में दूध से एलर्जी
बहुत से बच्चों को दूध से एलर्जी होती है।
इन बच्चों में उस एंजाइम की कमी होती है
जो दूध की शर्करा को पचा पाए। ऐसे बच्चों
को अगर दूध दिया जाए, तो उन्हें पेट में दर्द
हो सकता है, पेट फूल सकता है या फिर दस्त
हो सकते हैं। आम तौर पर लोगों का मानना
है कि जिन परिवारों के लोगों में जानवरों से
एलर्जी होती है, उन्हें बच्चों को जानवरों से
दूर रखना चाहिए। हालांकि हाल के दिनों में
हुए शोध-अध्ययनों से यह स्पष्ट होता है
कि घर में अगर पालतू जानवर हों, तो
उससे बच्चों को ऐसी एलर्जी से बचाया जा
सकता है।
डॉक्टर से करें संपर्क
अक्सर ये एलर्जी उम्र बढऩे के साथ अपने
आप खत्म हो जाती हैं और फिर कभी नहीं
होती, लेकिन कुछ मामलों में इनके दोबारा होने
का खतरा भी रहता है। अगर एलर्जी के कोई
भी लक्षण प्रकट हों, तो आपको डॉक्टर से
संपर्क करना नहीं भूलना चाहिए। खास
तौर पर अगर उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही
हो, बेहोशी की अवस्था आ रही हो या बदन
ठंडा पड़ रहा हो, तब तो आपको तुरंत डॉक्टर
से संपर्क कर लेना चाहिए। हालांकि बच्चों को
एलर्जी किसी भी समय हो सकती है, लेकिन
सर्दियों के मौसम में अक्सर लोग इसे जुकाम
समझ कर उपेक्षित कर देते हैं।