कूल्हे का अव्यवस्थित विकास अब मिल सकती है निजात
बच्चों में कूल्हे का अव्यवस्थित विकास भविष्य में कई समस्याएं पैदा कर सकता है लेकिन अब इस रोग का कारगर इलाज संभव है...
बच्चों में कूल्हे का अव्यवस्थित विकास भविष्य में कई समस्याएं पैदा कर सकता है लेकिन अब इस रोग का कारगर इलाज संभव है...
मां-बाप के लिए बच्चे का जन्म से विकारग्रस्त होना चिंता और परेशानी का कारण बन जाता है। बच्चों को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि ऐसे विकारों को नजरअंदाज कर दिया जाए, तो न सिर्फ इलाज असंभव हो सकता है बल्कि रोग गंभीर हो जाने पर विकलांगता हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप बच्चे के मन में हीन-भावना पैदा हो जाती है। यही नहीं, वयस्क होकर वह कई नौकरियों के लिए भी अयोग्य करार दिया जाता है। सामान्यत: हर 1000 बच्चों में से एक बच्चा जन्मजात विकारों से संबंधित रोगों से प्रभावित होता है। कूल्हे का अव्यवस्थित विकास एक ऐसा ही विकार है।
मर्ज क्या है
कई बार बच्चों में विकास की अव्यवस्था के कारण जांघ के सॉकेट की गहराई कम हो जाती है और जोड़ ढीला रहता है, जो आसानी से खिसक जाता है। इस स्थिति को कूल्हे का अव्यवस्थित विकास कहते हैं। यह एक जन्मजात बीमारी है, जो बच्चे के जन्म के पहले वर्ष के दौरान भी विकसित हो सकती है। रोग दोनों में से किसी भी कूल्हे में हो सकता है।
कारण
कूल्हे के अव्यवस्थित विकास के कई कारण हो सकते हैं। जैसे समय से पहले जन्मे बच्चे, आनुवंशिक कारण और एमनियोटिक फ्लूड (बच्चेदानी में तरल पदार्थ की कमी) के निम्न स्तर के कारण यह रोग हो सकता है।
लक्षण
-पैर का छोटा-बड़ा दिखना।
-जांघ पर सिलवट।
-कूल्हे के एक तरफ कम गतिशीलता या लचीलापन,
-लंगड़ाना और पैर की उंगली घूमना
परीक्षण: कूल्हे का अल्ट्रासाउंड परीक्षण और एक्स- रे।
उपचार: इसके अंतर्गत सर्जरीरहित और सर्जिकल विधियां शामिल हैं। सर्जरीरहित विधि के अंतर्गत छोटे बच्चों के जांघ की हड्डी को कूल्हे के सॉकेट में स्थिर करने के लिए सबसे पहले एक नरम पोजीशनिंग डिवाइस ट्रिपल डायपर्स में तीन से छह सप्ताह के लिए स्थिर रखा जाता है। दो से तीन सप्ताह के बाद प्रगति की पुन: जांच की जाती है। यदि यह तरीका सफल नहीं होता है, तो विशेष ब्रेस युक्त पेल्विक हार्नेस (एक तरह की विशिष्ट पेटी) का प्रयोग किया जाता है। इसके विशेष ब्रेस द्वारा कूल्हे के सॉकेट में जांघ की हड्डी को तब तक स्थिर रखते हैं, जब तक बच्चे के कूल्हे का जोड़ अपनी सॉकेट में स्थिर या टिकाऊ नहीं हो जाता। हर दूसरे सप्ताह प्रगति की जांच की जाती है।
सर्जरी से इलाज (दो साल से अधिक उम्र वाले बच्चे): यदि ऑपरेशन के बगैर जांघ की हड्डी को कूल्हे के सॉकेट में फिट करने में सफलता नहीं मिलती है, तो सर्जरी अत्यंत आवश्यक है। ओपन हिप सर्जरी द्वारा सफलतापूर्वक हिप सॉकेट में जांघ की हड्डी को स्थापित कर दिया जाता है। इस प्रकार बच्चा फिर से सामान्य गतिविधियां कर सकता है।
डॉ. एस. के. सिंह