..ताकि हड्डियां न हों कमजोर
उम्र बढ़ने के साथ ही महिलाओं में हड्डियां कमजोर होने की समस्या आम है। अब तो 35 वर्ष की उम्र में भी महिलाओं में हड्डियां कमजोर होने के लक्षण नजर आने लगते हैं यानी भविष्य में हल्की ठोकर लगने से फ्रैक्चर होने की आशंका बढ़ जाती है। तकनीकी रूप से कहें तो उनकी बोन मिनरल डेंसिटी (बी
उम्र बढ़ने के साथ ही महिलाओं में हड्डियां कमजोर होने की समस्या आम है। अब तो 35 वर्ष की उम्र में भी महिलाओं में हड्डियां कमजोर होने के लक्षण नजर आने लगते हैं यानी भविष्य में हल्की ठोकर लगने से फ्रैक्चर होने की आशंका बढ़ जाती है। तकनीकी रूप से कहें तो उनकी बोन मिनरल डेंसिटी (बीएमडी) हाई नहीं रह जाती। यह ओस्टिओपेनिक की अवस्था है। हड्डियों में मिनरल्स (मुख्यत: कैल्शियम) की मात्रा बीएमडी कहलाती है। इससे ही हड्डियों को ताकत मिलती है।
दरअसल ओस्टियोपीनिया को ही ओस्टियोपोरोसिस की शुरुआती अवस्था कहा जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक विभिन्न कारणों से आजकल लगभग सभी महिलाओं में ओस्टियोपोरोसिस की समस्या बढ़ती जा रही है। इनमें से कुछ ऐसे कारण हैं, जिन्हें बदला नहींजा सकता जैसे आपकी फैमिली हिस्ट्री, र्यूमेटाइड आथ्र्राइटिस इत्यादि।
इसके बावजूद हड्डियां कमजोर होने का खतरा उत्पन्न करने वाले कुछ ऐसे भी कारण हैं, जिन पर सूझबूझ से लगाम लगायी जा सकती है। इस तरह आप बीमारी उत्पन्न होने से पहले ही उसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए आपको अपनी जीवनशैली, खानपान और फिटनेस में समय रहते जरूरी बदलाव करने होंगे। हां, अगर आप कैल्शियम की टैबलेट्स लेने के बारे में सोच रही हैं तो सचेत हो जाएं। इसके प्राकृतिक विकल्प ज्यादा उपयुक्त रहते हैं। हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आपका यह जानना जरूरी है कि क्या सही है और क्या गलत।
मिथ
परिवार में किसी को ओस्टियोपोरोसिस नहीं है, इसलिए मुझे इसका कोई खतरा नहींहै।
हकीकत
करीब 98 प्रतिशत बोन मास 25 की आयु तक बन जाता है। जाहिर तौर पर बाल्यावस्था और युवावस्था में आपका खानपान और जीवनशैली जिस तरह की रही है उसके आधार पर भविष्य की सेहत का अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर आपका वजन नियंत्रित है, आप शारीरिक रूप से सक्रिय हैं और आपने कैल्शियम की अधिकता वाले खाद्य पदार्र्थो का खूब सेवन किया है तो आपका बोन मास का स्तर उच्चतम स्तर पर रहता है। जब आप 40 की आयु में पहुंचती हैं तो हड्डियों को कमजोर बनाने वाली कोशिकाएं अधिक सक्रिय हो जाती हैं, जबकि हड्डियां निर्मित करने वाली कोशिकाओं की सक्रियता कम हो जाती है। इस संबंध में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके परिवार में किसी को यह बीमारी है अथवा नहीं। हालांकि यह भी सच है कि हड्डियों की कोशिकाएं हमेशा बनती रहती हैं, पर युवावस्था के मुकाबले बढ़ती उम्र में उनके निर्माण की गति कम हो जाती है। इस प्रकार युवावस्था में अच्छे खानपान व संयमित जीवनशैली से आप बढ़ती उम्र में हड्डियां कमजोर होने की समस्या पर अंकुश लगा सकती हैं।
हेल्दी लाइफस्टाइल व समुचित खानपान और शारीरिक सक्रियता बरकरार रखते हुए आप बोन मिनरल डेंसिटी को सुरक्षित रख सकती हैं। इसके लिए रोजाना एक्सरसाइज करें। यदि वजन ज्यादा है तो उसे घटाने की कोशिश करें, क्योंकि जिन महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स कम होता है उनकी हड्डियां कमजोर होने की आशंका अधिक रहती है।
मिथ
कैल्शियम सप्लीमेंट्स के सेवन से हड्डियां कमजोर होने की समस्या से निजात मिलती है।
हकीकत
वास्तव में आप हड्डियों का कमजोर होना रोक नहीं सकतीं। हां, समुचित उपाय से इस प्रक्रिया को धीमा जरूर कर सकती हैं। बेहतर होगा कि आप प्राकृतिक स्रोतों से कैल्शियम ग्रहण करें।
करीब 25 की आयु तक शरीर हड्डियों में कैल्शियम का निर्माण करता है। 25 की आयु के बाद हमें यह कैल्शियम सुरक्षित रखने की जरूरत होती है। प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त कैल्शियम का कोई विकल्प नहीं है। यहां एक और तत्व मायने रखता है, जो विटामिन डी है। यह कैल्शियम को एब्जार्ब्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां यह बात गौर करने वाली है कि लंबी अवधि तक एयर कंडीशंड स्थानों पर बैठने, देर रात काम करने और जीवनशैली संबंधी अन्य आदतों के कारण विटामिन डी की कमी की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इस कमी की वजह से शरीर में कैल्शियम एब्जार्ब्व करने में दिक्कत पेश आती है।
इस परेशानी से बचने के लिए आहार में सब्जियों, दूध व उससे बने उत्पादों, दालों, फलों व अनाज को शामिल करने से आप रोजाना 400-600 मिलीग्राम कैल्शियम प्राप्त कर सकती हैं। जंक फूड से बचना चाहिए, क्योंकि उसमें हड्डियों का निर्माण करने वाले पोषक तत्व कम मात्रा में पाए जाते हैं। विटामिन डी ग्रहण करने के लिए आपको कुछ मिनट सूर्य की किरणों के संपर्क में आने की जरूरत है। खिड़की-दरवाजे खोलने पर आने वाली धूप भी आपकी इस जरूरत को पूरा कर सकती है।
मिथ
दुग्ध उत्पादों का सेवन कैल्शियम प्राप्त करने का सर्वोत्तम तरीका है।
हकीकत
कैल्शियम कई अन्य खाद्य पदार्र्थो जैसे फलों (पाइनएपल, ऑरेंज, प्लम खजूर, अंगूर), हरी पत्तीदार सब्जियों (मेथी, पालक, शलजम, चौलाई, सहजन, कमल ककड़ी इत्यादि), दालों (मुख्यत: सोयाबीन) में पाया जाता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक दूध कैल्शियम का अच्छा स्रोत है, पर स्किम्ड दूध अधिक बेहतर रहता है। अगर आपको दूध बहुत अधिक पसंद नहीं है तो हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
(डॉ.गीतिका ओबेराय)