बच्चों पर मोटापे की मार
स्वास्थ्य ठीक न हो, तो बच्चों की कार्य करने,पढ़ने और लिखने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। अगर वजन की दृष्टि से देखें, तो उम्र व लंबाई के अनुसार एक उचित वजन होना जरूरी है। इसके उपरांत यदि वजन ज्यादा है, तो वह मोटापा कहलायेगा, जो बेहतर स्वास्थ्य का सूचक नहीं है। दुष्प्रभाव मोटाप्
स्वास्थ्य ठीक न हो, तो बच्चों की कार्य करने, पढ़ने और लिखने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। अगर वजन की दृष्टि से देखें, तो उम्र व लंबाई के अनुसार एक उचित वजन होना जरूरी है। इसके उपरांत यदि वजन ज्यादा है, तो वह मोटापा कहलायेगा, जो बेहतर स्वास्थ्य का सूचक नहीं है।
दुष्प्रभाव
मोटापे के कारण कम उम्र में ही बच्चे की लिपिड प्रोफाइल, ट्राई ग्लिसराइड, हाई ब्लड प्रेशर, इम्पेयर्ड ग्लूकोज टॉलरेन्स और डाइबिटीज आदि रोगों की समस्या उत्पन्न हो सकती है। बच्चा कम उम्र में ही हृदय रोग से ग्रस्त हो सकता है। इससे बचने के लिए अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार बच्चे को ओमेगा 3 फैटी एसिड्स युक्त खाद्य पदार्थ (जैसे अखरोट आदि) खिलाने से इन रोगों से कुछ हद तक बचा जा सकता है।
इसके अलाव मोटापे के बरकरार रहने से बच्चे के लिव का कार्य भी बाधित हो सकता है। इसका कारण नॉन-एल्कोहॅलिक फैटी लिवर डिजीज और भविष्य में एक प्रकार की हेपेटाइटिस और लिवर सिरोसिस जैसी बीमारी भी हो सकती है।
कारण व बचाव
1.मोटापे का कारण सुस्त जीवन- शैली, व्यायाम व आउट डोर खेलों से दूर रहने के साथ-साथ ज्यादा कैलोरीयुक्त भोजन लेना है। देश में पैदल चलने व साइकिल चलाने की बजाय मोटर साइकिल व कारें चलाने को तरजीह दी जाती है। शहर के बहुत बड़े भाग में बच्चों के लिए खेल के मैदानों का अभाव, इस समस्या का बहुत बड़ा कारण है। टेलीविजन, वीडियो गेम्स व कंप्यूटर को बहुत हद तक दोष दिया जा सकता है।
2. बच्चों की डाइट की बात करें, तो माता-पिता उन्हें कम कैलोरी के भोजन के नाम पर अक्सर रूखी-सूखी सब्जियां खिलाने का प्रयास करते हैं, जो बच्चों के पसंद की नहीं होतीं। इस मुद्दे को लेकर घर में कभी-कभी मतभेद खुलकर सामने आ जाते हैं। इस बारे में अभिभावकों को एक सलाह दूंगा। वह यह कि बच्चों को हरी व स्वास्थ्यवर्धक पौष्टिक सब्जियां खिलाने के लिए उनका रूप बदला जा सकता है। जैसे पालक की भुजिया की जगह पालक पनीर बनाकर दिया जाए या उसके लिए घर में बनाये पिच्जा के ऊपर टमाटर की मोटी सतह रखी जाए।
3.बच्चों को मोटापे से बचाने के लिए एक उचित वातावरण भी तैयार करना पड़ता है। जैसे परिवार में वयस्क लोग नियमित व्यायाम व स्वास्थ्यवर्धक भोजन करते हों। याद रखें, बच्चे बताने व पढ़ाने से उतना नहीं सीखते जितना कि उदाहरण से।
(डॉ.निखिल गुप्ता,वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ)