मांगें पूरी न होने तक सड़क पर उतरेगी वर्करें : कुंज भट्ट
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : लंबित मांगों को लेकर आंगनबाड़ी वर्कर्स का पारा हाई दिखाई ि
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : लंबित मांगों को लेकर आंगनबाड़ी वर्कर्स का पारा हाई दिखाई दिया। वर्कर्स ने पहले जगाधरी की अनाज मंडी के बाहर बृहस्पतिवार को तीन घंटे धरना प्रदर्शन किया। इसके बाद अनाज मंडी से कन्हैया चौक तक रोष मार्च निकाला। उनकी अध्यक्षता यूनियन प्रधान कुंज भट्ट ने किया।
उन्होंने कहा कि जब तक मांग पूरी नहीं होगी वर्कर आराम से नहीं बैठने वाली। अपनी मांगे सरकार से मनवाकर ही दम लेगी। यदि जल्द से जल्द सरकार उनकी मांगे पूरी नहीं करती तो वे सरकार के साथ आर पार की लड़ाई लड़ेगी।
यूनियन की जिला प्रधान कुंज भटट, सर्वजीत, अनीता, कुसुम ने बताया कि महिला वर्कर्स में सरकार के प्रति काफी रोष है। बीजेपी ने सत्ता में आने से पहले जो वादा किया था, वह वादा आज तक पूरा नहीं कर पाई। केंद्र व राज्य सरकार उनकी मांगों के प्रति अनदेखी कर रही है। जिस कारण उन्हें धरना देने के लिए मजबूर होना पडा। सरकार ने पिछले चार सालों में उनकी एक भी मांग पूरी नहीं की। उल्टा वर्कर्स व हेल्पर्स को केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के नाम पर पीड़ित किया जा रहा है। जिस कारण उच्च अधिकारी समस्या का समाधान करने के बजाय वर्कर्स पर ताना कसते कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उच्च अधिकारी समस्या का समाधान करने की बजाय वर्कर्स का मजाक उड़ा रहे है। उन्होंने अपनी मांगों को हर स्तर पर उठाया, लेकिन आज तक इस पर कोई अमल नहीं किया गया। उनसे काम तो अफसर से भी अधिक लिया जाता है, लेकिन इसके बदले मानदेय उन्हें गुजारे लायक भी नहीं दिया जाता। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी मांगों का समाधान नहीं किया गया तो वह आर पारा की लड़ाई लड़ने को तैयार है। जिसकी जि मेदारी सरकार की होगी। मौके पर विजय, जितेंद्र, रमेश, कर्मजीत, रा¨जद्र कौर, गुर¨वद्र, अंग्रेजो, सत्या, ओमवती आदि मौजूद थी।
ये हैं मुख्य मांगें
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक निर्धारित न्यूनतम वेतन वर्कर्स को 18 हजार व हेल्पर को 15 हजार रुपये दिया जाए। केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के बराबर समाजिक सुरक्षा व अन्य सुविधाएं आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स को भी दिया जाए। अतिरिक्त आंगनबाड़ी केंद्र का चार्ज संभालने वाली वर्कर को अतिरिक्त कार्य का 50 प्रतिशत दिया जाए। जोकि केवल पचास रुपये ही दिया जाता है। यह 1980 में लागू किया गया था, जो आज तक नहीं बढ़ाया गया। हेल्पर के छुट्टी जाने पर काम अधिक होता है। इसलिए तब तक अतिरिक्त हेल्पर का प्रावधान किया जाए। आंगनबाड़ी लाभार्थी को दिए जाने वाले आहार, पोषाहार की मात्रा व गुणवत्ता बढ़ाई जाए। निर्धारित बजट को मूल्य वृद्धि के साथ जोड़ा जाए। खाना बनाने के लिए सरकार खुद सिलेंडर की सप्लाई करे। सुपरवाईजरों के सभी पद वर्कर्स की प्रमोशन से भरे जाए। सर्दी व गर्मी की छुट्टियां भी निर्धारित की जाए।