घर जाने की जिद पर कामगारों ने छोड़ा खाना, किसी तरह से मनाया गया
कड़ी मशक्कत के बाद प्रशासन ने उन्हें खाना खाने के लिए राजी किया।
संवाद सहयोगी, बिलासपुर :
हमको खाने की इच्छा नहीं साहब। हम तो अपने बाल बच्चन में जाना चाहत हैं। हमें तो सरकार किसी तरह घर तक पहुंचा दें। अब और इंतजार नहीं कर सकते।
यह कहना है बिलासपुर रुके शेल्टर होम में रुके कामगारों का। शनिवार को कामगारों ने नाश्ता करने से इंकार कर दिया। प्रशासन के आश्वासन पर नाश्ता तो कर लिया बाद में लंच न करने की जिद पर अड़ गए। काफी मान मनव्वल के बाद प्रशासन कामगारों को खाने के लिए राजी कर पाया।
कस्बा के राजकीय मॉडल संस्कृति सीसे स्कूल, वेद व्यास भवन, डीएवी सीसे स्कूल कपालमोचन और बिलासपुर के सरकारी सीसे स्कूल में करीब पांच सौ प्रवासी मजदूर रह रहे हैं। इनमें अधिकतर बिहार के सीवान और कटिहार जिला के कामगार हैं। चार दिन पहले उन्हें मानकपुर लक्कड़ मंडी से यहां शिफ्ट किया था। आरोप है कि उन्हें यह कहकर बसों में बिठाया गया था कि अंबाला से ट्रेन में बिठाया जाएगा, लेकिन बिलासपुर पहुंच कर हैरानी हुई। किसी तरह से उन्होंने चार दिन तो काट लिए। प्रशासन ने उनके साथ के 96 श्रमिकों को उनके गृह जिलों में भेज दिया है। जब से वह गए हैं तो इनकी बेचैनी बढ़ गई है।
तहसीलदार से सरपंच तक पहुंचे मनाने
कामगारों ने जब खाने से मना कर दिया, तो उन्हें मनाने के लिए तहसीलदार बिलासपुर तरुण सहोता, एसएचओ रवि खुडियां व सरपंच चंद्रमोहन कटारिया स्कूल में पहुंचे। बाद में उन्हें प्रशासनिक अधिकारियों ने आश्वासन दिलाया कि शीघ्र ही उनके भेजने की व्यवस्था हो जाएगी।
15 दिन पैदल चलकर उप्र बॉर्डर पर पहुंचे थे
कामगारों ने बताया कि 15 दिन पैदल चलकर उप्र बॉर्डर पर पहुंचे थे। वहां से उप्र पुलिस ने डंडे मारकर लौटा दिया। अब सरकार उन्हें आश्वासन दे रही है। उन्हें घर जाने के सिवाय और कुछ मंजूर नहीं है।