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Yamunanagar News: घर खर्च में बचत कर दिव्यांगों का सुगम जीवन बना रहीं ये महिलाएं, उपलब्ध करवा रहीं कृत्रिम उपकरण

यमुनानगर में महिलाएं दिव्यांगों की परेशानी में उनकी मदद कर रही है। ये गृहणियों ने मिलकर एक संस्था बनाई है जो घर खर्च की राशि में बचत करके दिव्यांगों के लिए कृत्रिम अंगों की व्यवस्था कर रही हैं। नव चेतना सोसाइटी ने अब तक 70 दिव्यांगों को कृत्रिम उपकरण उपलब्ध करवाए हैं। सभी महिलाओं ने बैठक कर निर्णय लिया कि क्यों न ऐसे जरूरतमंद लोगों की सहायता की जाए?

By Jagran News Edited By: Deepak Saxena Published: Tue, 16 Apr 2024 07:22 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2024 07:22 PM (IST)
घर खर्च में बचत कर दिव्यांगों का सुगम जीवन बना रहीं ये महिलाएं।

संजीव कांबोज, यमुनानगर। ये महिलाएं अपने खर्च की बचत से दिव्यांगों को समाज की मुख्य धारा में जोड़ रही हैं। इनकी एक टोली नर सेवा को नारायण सेवा मान लिया है। ये जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा की राह भी दिखा रही हैं। चार वर्ष पहले इन महिलाओं ने नव चेतना सोसाइटी बनाकर जरूरतमंद लोगों की सहायता करने का निर्णय लिया।

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अब दिव्यांगजन को निशुल्क कृत्रिम अंग भी उपलब्ध करा रही हैं। 70 लोगों को उनकी जरूरत के अनुसार कृत्रिम अंग लगवाए जा चुके हैं। यही ही नहीं, समय-समय पर इन कृत्रिम अंगों की मरम्मत के साथ-साथ नए अंग दोबारा भी उपलब्ध कराए जाते हैं। इसका पूरा खर्च ये महिलाएं स्वयं उठाती हैं। पॉकेट मनी का कुछ हिस्सा बचाकर ये महिलाएं समाज की सेवा के कार्यों में खर्च कर रही हैं।

इसलिए लिया निर्णय

नव चेतना सोसाइटी की अध्यक्ष दीपिका गुप्ता, पदाधिकारी रूपाली, दिव्या मित्तल, आरती, अर्चना, प्रीती, सुगंधा, रंजु, मीनू व पूजा गोयल ने बताया कि करीब चार वर्ष पहले उन्होंने संस्था बनाकर सामाजिक कार्यों की शुरुआत की थी। विभिन्न स्कूलों में बच्चों को शिक्षण सामग्री बांटना, उनको जरूरत के मुताबिक कपड़े देना आदि गतिविधियां कराई जाती हैं। इस दौरान उन्होंने दिव्यांगजनों के दर्द को महसूस किया। चौक चौराहों पर ऐसे लोगों को भीख भी मांगते हुए देखा।

उनकी लाचारी को दूर करने की ठान ली। सभी महिलाओं ने बैठक कर निर्णय लिया कि क्यों न ऐसे जरूरतमंद लोगों की सहायता की जाए? उनको कृत्रिम अंग उपलब्ध कराए जाएं, क्योंकि साधन संपन्न लोग तो स्वयं व्यवस्था कर लेते हैं। मुश्किलें गरीब लोगों की बढ़ जाती हैं। वह मजबूरीवश सुविधाओं से दूर रह जाते हैं।

भविष्य की योजना

संस्था की पदाधिकारियों ने बताया कि उन्होंने कृत्रिम अंग तैयार करने वाली जोधपुर की संस्था से संपर्क साधा है। जिन दिव्यांग जनों को कृत्रिम अंग मुहैया करवा दिए गए हैं, अब उनकी मरम्मत भी समय-समय पर कराई जाएगी। साथ ही नए शिविरों का आयोजन किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंद लोगों तक यह सेवा पहुंचाई जा सके। उनको कृत्रिम अंग उपलब्ध कराए जा सकें।

लड़कियों को दिखा रही स्वरोजगार की राह

संस्था की ओर से एक सिलाई एवं कढ़ाई सेंटर भी चलाया हुआ है। इसमें बड़ी संख्या में लड़कियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वह प्रशिक्षण लेकर कौशल में दक्ष होकर स्वरोजगार शुरू कर सकें। इसके अलावा दो कोचिंग सेंटर चलाए हुए हैं। इनमें गरीब परिवारों के बच्चों को कक्षा चार से दसवीं तक की पढ़ाई मुफ्त कराई जाती है। संस्था का प्रयास है कि कोई भी बच्चा संसाधनों की कमी में अशिक्षित न रहे।

समाज सेवा से मिलता सुकून

संस्था से जुड़ी महिलाओं को कहना है कि अपने घरों का काम करने के बाद वे समाज सेवा के लिए समय निकालती हैं। अपने लिये तो सब जीते हैं, लेकिन समाज और अभाव में जिंदगी जी रहे लोगों के लिए भी जीना चाहिए। फिजूलखर्ची के बजाय बचत कर जरूरतमंदों की सहायता करने से उन्हें बड़ा सुकून मिलता है।

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