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डिच ड्रेन पर कौन सा विभाग बनाएगा सीईटीपी, तय नहीं कर पाए अधिकारी

भूमि व जल प्रदूषण का बड़ा कारण बन रही डिच ड्रेन के पानी के लिए तैयारी हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 07:46 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 07:46 AM (IST)
डिच ड्रेन पर कौन सा विभाग बनाएगा सीईटीपी, तय नहीं कर पाए अधिकारी

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : भूमि व जल प्रदूषण का बड़ा कारण बन रही डिच ड्रेन के पानी के शुद्धिकरण के लिए कौन सा विभाग सीईटीपी (कामन इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट) लगाएगा, यह पांच वर्ष बाद भी तय नहीं हो पाया है। हालांकि इसका संबंध सिचाई विभाग, जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग, नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से है, लेकिन सभी विभाग एक दूसरे की जिम्मेदारी बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं। बता दें कि वर्ष-2016 में सीएम मनोहर लाल ने सीईटीपी बनाने की घोषणा की थी। अभी तक यह मामला लटका हुआ है। जिसके चलते मच्छरों की भरमार है। खामियाजा आसपास के गांव भुगत रहे हैं। साथ ही औद्योगिक इकाइयों को केमिकल युक्त पानी गिरने व नियमित रूप से सफाई न होने के कारण यह ड्रेन जमीन को जहरीला कर रही है। इनकी भी सुनिए निर्माण की जिम्मेदारी निगम की : कश्यप

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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी निर्मल कश्यप का कहना है कि सीईटीपी के निर्माण की जिम्मेदारी नगर निगम की है। बोर्ड का काम निगरानी का है। प्रदूषण बोर्ड की जिम्मेदारी सीईटीपी के निर्माण की :मित्तल

सिचाई विभाग के एसई आरएस मित्तल का कहना है कि डिच ड्रेन का निर्माण विभाग ने करा दिया था। सफाई भी विभाग ही करवाता है। सीईटीपी का निर्माण करवाना प्रदूषण बोर्ड की जिम्मेदारी है। नहीं उठाया फोन :

नगर निगम के एसई आनंद स्वरूप को इस बारे में बात करने के लिए कई दफा काल किया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। इसलिए बनाई थी डिच ड्रेन

मेटल फैक्ट्रियों और अन्य बड़ी औद्योगिक इकाइयों का जहरीला पानी सीधे पश्चिमी यमुना नहर में न गिरे इसके लिए कुछ वर्ष पूर्व पश्चिमी यमुना नहर के साथ-साथ डिच ड्रेन बनवाई गई थी। हमीदा हेड से रादौर की ओर चलते हुए जहां से डिच ड्रेन शुरू होती है वहीं से इसका गंदा व जहरीला पानी सीधा यमुना नहर में तो गिर ही रहा है साथ जो बचता है वह करनाल जिले में जाकर यमुना नदी को प्रदूषित करने का काम कर रहा है। खर्च करोड़ों, परिणाम जीरो

शहर की औद्योगिक इकाइयों का गंदा व जहरीला पानी यमुना नहर में जाने से रोकने के लिए न्यायालय के आदेशों पर 13.71 करोड़ की लागत से बनाई गई थी। डिच ड्रेन में शहर की छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयों इकाइयों का केमिकल युक्त पानी डाला जाना था, लेकिन औद्योगिक कचरा बेरोकटोक पश्चिमी यमुना नहर में जा रहा है। क्षेत्र के लोगों के मुताबिक जब से डिच ड्रेन बनी है तब से एक बार भी इसकी सफाई नहीं हुई। ड्रेन कचरे से अटी पड़ी है।

फैक्ट्री मालिकों की मनमानी

कई इकाइयां अपने जहरीले पानी को बिना ट्रीट किए बाहर छोड़ रही हैं। जगाधरी में मेटल उद्योग कुटीर उद्योग के रूप में घर-घर चल रहे है। यहां बर्तनों के निर्माण और उनकी पालिश के लिए तेजाब का इस्तेमाल किया जाता है। इस तेजाबी पानी को सीधे नालियों या सीवरेज में छोड़ा जा रहा है, जो नालों से होता हुआ ड्रेन में गिर रहा है।

यमुना नहर किनारे बसे लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान

भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री रामबीर सिंह चौहान व जिलाध्यक्ष पिटू राणा का कहना है कि यमुनानगर के गंदे और केमिकल युक्त पानी की निकासी के लिए डिच ड्रेन बनाई गई थी। यह ड्रेन अभिशाप साबित हो रही है। कच्ची डिच ड्रेन से सबसे ज्यादा नुकसान यमुना नहर किनारे बसे लोगों को उठाना पड़ रहा है। डिच ड्रेन यमुनानगर से बनानी शुरू की गई करनाल तक इसे बनाया गया। करनाल में भी इसका गंदा पानी यमुना नदी में मिल रहा है। इसकी नियमित रूप से सफाई करना व पानी को ट्रीट करने की योजना जल्द बनाई जानी चाहिए।


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