पार्को में गड्ढे खोदने तक सिमटा कचरा प्रबंधन, स्वच्छ सर्वेक्षण के बाद भूले अधिकारी
स्वछ सर्वेक्षण-2020 में अछी रैंकिग के लिए शहर के पार्को में कचरा प्रबंधन की योजना गड्ढे खोदने तक सिमट गई। सर्वेक्षण से पहले कचरा प्रबंधन के लिए गड्ढे तो खोद दिए गए लेकिन बाद में उनकी सुध नहीं ली गई। पार्को में अब ये हादसों का कारण भी बन रहे हैं। कचरा प्रबंधन की योजना को पलीता भी लग रहा है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 में अच्छी रैंकिग के लिए शहर के पार्को में कचरा प्रबंधन की योजना गड्ढे खोदने तक सिमट गई। सर्वेक्षण से पहले कचरा प्रबंधन के लिए गड्ढे तो खोद दिए गए, लेकिन बाद में उनकी सुध नहीं ली गई। पार्को में अब ये हादसों का कारण भी बन रहे हैं। कचरा प्रबंधन की योजना को पलीता भी लग रहा है। नगर निगम ने इस योजना पर काम शुरू किया था कि भविष्य में ट्विन सिटी से निकल रहे अधिकांश कचरे का प्रबंधन पार्को में ही किया जा सके। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट तक कचरा कम जाए।
इसलिए लिया था निर्णय
एनजीटी के आदेशों का पालन और स्वच्छ सर्वेक्षण में अच्छे रैंक के लिए नगर निगम ने अपने स्तर पर काफी प्रयास किया है, क्योंकि अब से पहले दो बार स्वच्छ सर्वेक्षण हुआ, लेकिन दोनों बार पिछड़े। वर्ष-2019 में नगर निगम यमुनानगर-जगाधरी को 218वां रैंक मिला था। इससे पहले 443वें रैंक पर रहा। इस बार भी निगम के समक्ष बड़ी चुनौती कचरा प्रबंधन है। कैल गांव में बना नगर निगम का सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट करीब पांच वर्ष बंद पड़ा है। यहां गीले व सूखे कचरे के पहाड़ बन गए हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण में यह प्लांट कमजोर पहलु साबित न हो, इसके लिए कचरे के प्रबंधन पर अधिक जोर दिया गया।
10 पार्को में बनाई थी कचरा प्रबंधन की योजना
नगर निगम ने शहर के 10 प्रमुख पार्को में कचरा प्रबंधन की योजना बनाई। ऐसा करने से पार्कोँ में उगने वाले पौधों के लिए खाद का इस्तेमाल किया जा सकेगा। शहर भी साफ सुथरा रहेगा। इसके लिए निगम ने इन पार्को में गड्ढे तो बनवा दिए, लेकिन कचरे से खाद नहीं बन सका। ये गड्ढे खुले पड़े हैं। इनमें हादसे की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। बारिश होने पर परेशानी और भी बढ़ जाएगी।
यह योजना भी नहीं चढ़ी सिरे
यमुनानगर और जगाधरी शहर के 108 संस्थानों को नोटिस देकर वेस्ट उत्पाद से जैविक खाद तैयार करने आदेश दिए गए थे। इनमें अस्पताल, होटल और स्कूल भी शामिल हैं। ये वह संस्थान हैं, जिनमें से 50 किलो से अधिक कूड़ा-कर्कट निकलता है। 8-10 संस्थानों में ही कचरे से जैविक खाद तैयार हो रही है। शहर से हर दिन 280 टन कचरा निकल रहा है। नगर निगम का प्रयास है कि कम से कम कचरा डंपिग प्वाइंट तक पहुंचे।
ये अंक निर्धारित
गारबेज फ्री सिटी स्टार, रेटिग और ओडीएफ के 1500 नंबर, 1500 नंबर सिटीजन फीडबैक और 1500 अंक सर्विस लेबर प्रोग्रेस के निर्धारित किए गए हैं। 1500 अंक डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन के होंगे।
शहर के पार्को में कचरा प्रबंधन की व्यवस्था की गई है। यदि किसी पार्क में कार्य अधूरा है तो उसको भी पूरा करा दिया जाएगा। हमारा मकसद शहर को साफ-सुथरा रखना है। शहर से निकल रहा कचरा प्लांट तक कम से कम जाए, इसके लिए पार्को व रेस्टोरेंटों में कचरा प्रबंधन की योजना बनाई है।
अनिल नैन, चीफ सेनेटरी इंस्पेक्टर।