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जठलाना-रादौर मार्ग पर जोखिम में जान, बेलगाम दौड़ते वाहन

जठलाना-रादौर मार्ग पर जान जोखिम में रहती है। कारण कुछ और नहीं बल्कि रेत से भरे वाहनों को बेलगाम दौड़ना है। जठलाना मोड़ से लेकर रादौर तक आधा दर्जन शिक्षण संस्थान भी हैं। बावजूद इसके न तो वाहनों की गति पर अंकुश है और न ही स्पीड ब्रेकर की व्यवस्था की गई है। बच्चों के साथ हादसों का खतरा बढ़ गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Nov 2021 05:20 PM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 05:20 PM (IST)
जठलाना-रादौर मार्ग पर जोखिम में जान, बेलगाम दौड़ते वाहन

संवाद सहयोगी, रादौर : जठलाना-रादौर मार्ग पर जान जोखिम में रहती है। कारण कुछ और नहीं बल्कि रेत से भरे वाहनों को बेलगाम दौड़ना है। जठलाना मोड़ से लेकर रादौर तक आधा दर्जन शिक्षण संस्थान भी हैं। बावजूद इसके न तो वाहनों की गति पर अंकुश है और न ही स्पीड ब्रेकर की व्यवस्था की गई है। बच्चों के साथ हादसों का खतरा बढ़ गया है। हालांकि स्कूल प्रशासन कई बार स्कूल के पास स्पीड ब्रेकर लगाने की मांग कर चुके हैं। लेकिन अधिकारी उन्हें बहाना बनाकर टाल देते हैं। अब स्कूल प्रशासन की ओर से जिला उपायुक्त से मामले में हस्तक्षेप कर स्पीड ब्रेकर लगवाने की मांग की है। हर दिन गुजरते हैं वाहन, रफ्तार रहती है अधिक :

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जठलाना रोड क्षेत्र के व्यस्त मार्गों में से एक है। इस मार्ग से क्षेत्र से हर दिन हजारों वाहन गुजरते है। अधिकतर वाहन रेत से लदे होते है। इन वाहनों की रफ्तार काफी अधिक होती है। ऐसे में कभी भी यह वाहन सड़क से गुजरने वालों के लिए खतरा बन सकते है। कई प्रकार इस सड़क पर हादसे हो भी चुके है। लेकिन प्रशासन का इस ओर अभी तक कोई ध्यान नहीं है। स्कूल आने वाले बच्चों को खतरा अधिक :

गुमथला मोड़ से लेकर रादौर तक आधा दर्जन शिक्षण संस्थान हैं। दोनों स्कूलों में हर दिन सैकड़ों छात्र साइकिल व बाइक से पहुंचते है। दिनभर इस सड़क से हजारों वाहन तेज रफ्तार से गुजरते है। स्कूलों के नजदीक से गुजरते समय भी इन वाहनों की रफ्तार कम नहीं होती। ऐसे में स्कूल लगने व छुट्टी के समय बच्चों के इन तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आने का भय बना रहता है। स्कूल संचालक कई बार विभाग के पास यहां स्पीड ब्रेकर लगवाने की मांग कर चुके है। लेकिन बार बार मांग करने के बाद भी विभागीय अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे है। ऐसे में यह लापरवाही कभी भी बच्चों की सुरक्षा पर भारी पड़ सकती है। इस बारे जब पीडब्ल्यूडी विभाग के एसडीओ जसमेर सिंह से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।


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