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बिना पैसे व सिफारिश के पुलिस में भर्ती हो गई मजदूर की बेटियां, परिजन बोले हमें तो उम्मीद भी नहीं थी

जिले में 40 महिला पुलिसकर्मियों को मिली नियुक्ति अवनीश कुमार यमुनानगर पुलिस महकमे में ह

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Mar 2019 07:14 PM (IST)Updated: Wed, 06 Mar 2019 12:26 AM (IST)
बिना पैसे व सिफारिश के पुलिस में भर्ती हो गई मजदूर की बेटियां, परिजन बोले हमें तो उम्मीद भी नहीं थी
बिना पैसे व सिफारिश के पुलिस में भर्ती हो गई मजदूर की बेटियां, परिजन बोले हमें तो उम्मीद भी नहीं थी

अवनीश कुमार, यमुनानगर:

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पुलिस महकमे में हुई भर्तियों में बेटियां भी पीछे नहीं हैं। यमुनानगर जिले में 40 महिला पुलिसकर्मियों को नियुक्ति मिली है तो जिले से भी पुलिस कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुई युवतियों को दूसरे जिलों में ज्वाइनिग मिली है। करीब 35 लड़कियां यहां से पुलिस विभाग में भर्ती हुई। इनके पिता खेतीबाड़ी अथवा मजदूरी करते हैं। इनका कहना है कि उनकी न तो कोई सिफारिश है और न ही किसी नेता से बात हुई। फोटो : 37

आइएएस बनने के लिए पढ़ाई करूंगी : पायल

छछरौली के गांव डमौली की पायल का सपना आइएएस बनने का है। इसके लिए वह मेहनत भी कर रही है। पिता खेतीबाड़ी करते हैं। तीन भाई-बहनों में वह सबसे बड़ी है। पायल का कहना है कि पुलिस भर्ती में आवेदन किया। अब चयन हो गया है। आगे की पढ़ाई अपने दम पर करूंगी। हमारे पास किसी को देने के लिए पैसा नहीं था। पुलिसभर्ती में गए तो डर लग रहा था कि कहीं पैसे न देने पड़े, लेकिन किसी को कोई पैसा नहीं देना पड़ा। फोटो : 38

परीक्षा के लिए आने-जाने पर खर्च हुए 1500 : कोमल

रादौर के गांव नागल खजूरी से कोमल ने भी पुलिस भर्ती की परीक्षा पास की। उनके पिता भी खेती करते हैं। छोटा भाई शुभम बीकॉम कर रहा है। कोमल काफी समय से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी। कोमल का कहना है कि पहली बार पूरी तरह से फेयर भर्ती हुई है। उनके हजार से 1500 रुपये ही खर्च हुए। वह भी परीक्षा देने के लिए आने जाने में। फोटो : 39

मेहनत के आधार पर मिली नौकरी : आरती

छप्पर के गांव गंदापुरा की रहने वाली आरती भी पुलिस कांस्टेबल के लिए चयनित हुई है। परिवार में केवल दो बहनें हैं। बड़ी बहन पहले ही पुलिस में भर्ती हो चुकी है। वर्तमान में वह कुरुक्षेत्र में तैनात हैं। पिता मजदूरी करते हैं। आरती का कहना है कि बड़ी बहन को पुलिस में देख उन्हें भी शौक लगा था। हालांकि ग्रुप डी की परीक्षा भी उन्होंने दी, लेकिन उसमें कुछ ही अंकों से वह रह गई। इसके बाद पुलिस भर्ती निकली तो उन्होंने इसके लिए आवेदन कर दिया। इसमें चयन हो गया। उनका कहना है कि पुलिस भर्ती के लिए मेहनत की, उसके आधार पर नौकरी मिली। मेहनत का फल मिला : ज्योति

साढौरा के रामपुर अराइयां से ज्योति का चयन कांस्टेबल के पद पर हुआ है। उन्हें तैनाती के लिए पंचकूला बुलाया गया है। ज्योति की दस माह पहले दुर्गादास से शादी हुई थी। दुर्गादास मजदूरी करते हैं। उनका कहना है कि पत्नी को सरकारी नौकरी मिल गई है। किसी को कोई पैसा नहीं देना पड़ा। केवल फार्म भरने और आने जाने का खर्च ही हुआ है। सरकारी नौकरी बड़े भाग्य से मिलती है। उनकी पत्नी ने भी इसके लिए मेहनत की। जिसका उसे फल मिला है। वह बेहद खुश हैं। पूरे गांव में एक ही चयन : पूनम

बिलासपुर के गांव भोलीवाला से सुलेंद्र कुमार की बेटी पूनम का चयन कांस्टेबल के लिए हुआ है। उनके पिता अपनी बेटी की इस सफलता से खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। गांव से अकेले पूनम का चयन हुआ है। पूनम को तैनाती के लिए पंचकूला में बुलवाया गया है।


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