Move to Jagran APP

अस्पताल हिसा के खिलाफ कानून की मांग पर सड़क पर उतरे डॉक्टर, ओपीडी रही बंद

कोलकाता में डॉ. प्रतिभान मुखर्जी पर हिसक भीड़ के हमले के बाद डॉक्टरों में रोष है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jun 2019 08:48 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 08:48 AM (IST)
अस्पताल हिसा के खिलाफ कानून की मांग  पर सड़क पर उतरे डॉक्टर, ओपीडी रही बंद
अस्पताल हिसा के खिलाफ कानून की मांग पर सड़क पर उतरे डॉक्टर, ओपीडी रही बंद

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

loksabha election banner

कोलकाता में डॉ. प्रतिभान मुखर्जी पर हिसक भीड़ के हमले के बाद डॉक्टरों में रोष है। लॉ अगेंस्ट हॉस्पिटल वायलेंस की मांग पर जिलेभर के प्राइवेट अस्पतालों में सोमवार को ओपीडी बंद रही। इससे मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ी। हालांकि इमरजेंसी में उपचार किया जा रहा था। आइएमए के बैनर तले चिकित्सकों ने शहर में रोष मार्च निकाला। रोष मार्च में नीमा (नेशनल इंटीग्रेटिड मेडिकल एसोसिएशन), केमिस्ट एसोसिएशन, आइडीए (इंडियन डेंटल एसोसिएशन) और हरियाणा मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन भी साथ रहे। इसके बाद सभी डॉक्टरों ने पंचायत भवन में बैठक भी की। इसमें एसोसिएशनों के पदाधिकारियों ने अपने विचार रखे। नेहरू पार्क में पश्चिम बंगाल के खिलाफ नारेबाजी

सुबह साढ़े 10 बजे नेहरू पार्क पर सभी प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सक एकत्र हुए। इनमें मेडिकल से जुड़ी अन्य एसोसिएशनों के पदाधिकारी भी शामिल हुए। सभी अपने-अपने बैनर लेकर आए थे। नेहरू पार्क से ही आइएमए के साथ सभी ने रोष मार्च शुरू किया। हाथों में बैनर और तख्तियां लेकर डॉक्टरनिकले। इस दौरान पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ भी नारेबाजी हुई। यहां से चिकित्सक प्यारा चौक, मधु चौक, कन्हैया चौक से होते हुए पंचायत भवन पहुंचे। कन्हैया चौक पर लगा जाम

रोष मार्च निकालते हुए चिकित्सक जब कन्हैया चौक पर एकत्र हुए तो यहां जाम लग गया। सड़क पर ही चिकित्सकों ने लॉ अगेंस्ट हॉस्पिटल वायलेंस की मांग को लेकर नारेबाजी की। इसके साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी हुई। यहां पर करीब दस मिनट तक नारेबाजी होती रही। इससे जाम लग गया। चौक पर मौजूद होमगार्डों ने किसी तरह से जाम को खुलवाया। पुलिस ने खुलवाया दोनों ओर का जाम

कन्हैया चौक से डॉक्टर नारेबाजी करते हुए पंचायत भवन पर पहुंचे। यहां भी सड़क पर ही नारेबाजी करने लगे। इससे यातायात प्रभावित हो गया। दोनों और जाम लग गया। बाद में शहर यमुनानगर पुलिस पहुंची और जाम खुलवाया। इसके बाद सभी चिकित्सक अंदर पहुंचे और यहां पर बैठक की। दो गाड़ियों में फ्रूटी और पानी का इंतजाम

रोष मार्च सवा दो किमी लंबा था। गर्मी को देखते हुए पानी और फ्रूटी का इंतजाम भी किया गया था। डॉक्टरों के साथ-साथ दो गाड़ियां चल रही थीं। रास्ते में डॉक्टरों को पानी दिया जा रहा था, जिससे कि गर्मी की वजह से कोई परेशानी न हो। हालांकि इसके बावजूद भी कुछ डॉक्टरअपनी गाड़ियों से पंचायत भवन पहुंचे। अस्पतालों में ओपीडी नहीं होने से निराश लौटे मरीज

जिले में 150 प्राइवेट अस्पताल हैं। किसी में भी ओपीडी नहीं हुई। इस वजह से कुछ मरीजों को निराश लौटना पड़ा। हालांकि इमरजेंसी बंद नहीं की थी। दशमेश कॉलोनी के पवन कुमार गाबा अस्पताल में अपने बच्चे को दिखाने के लिए आए थे, लेकिन ओपीडी न होने की वजह से उन्हें लौटना पड़ा। इसी तरह से संतोष अस्पताल में भी ओपीडी बंद थी। यहां पर मरीज आए, तो उन्हें वापस भेज दिया गया। मित्तल अस्पताल में भी ओपीडी बंद रही। सभी अस्पतालों ने हड़ताल का नोटिस चस्पा कर रखा था। वहीं सोमवार को कबीर जयंती के उपलक्ष्य में सिविल अस्पताल में भी छुट्टी रही। इससे यहां पर भी ओपीडी बंद रही। हालांकि इक्का-दुक्का मरीज ही यहां पर पहुंचे। सरकार नहीं सुन रही इसलिए उतरे सड़क पर

आइएमए के प्रधान डॉ. योगेश जिदल ने कहा कि जिले में सभी मेडिकल सेवाएं बंद हैं। इसमें रूटीन ओपीडी वर्किंग अस्पतालों में बंद कर दी गई है। केवल इमरजेंसी सेवाएं अस्पतालों ने दी। ये पूरे देश में आंदोलन चल रहा है। हमारी सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन की ओर से यह कॉल थी। इसके समर्थन में यमुनानगर के सभी प्राइवेट डॉक्टर हड़ताल पर रहे। नीमा, डेंटल और केमिस्ट एसोसिएशन सभी इस हड़ताल में हमारे साथ हैं। जो भी हमारे साथ हैं। कोलकाता में हुई घटना के बाद ही पूरे देश में यह मामला गूंजा है। यहां सवाल यह है कि यदि 85 साल का मरीज इमरजेंसी में मर जाता है तो क्या डॉक्टर को मार दिया जाए। अब हम इस स्थिति में पहुंच गए हैं कि सड़कों पर उतरने के अलावा कोई चारा नहीं रहा। पांच दिनों से पश्चिम बंगाल में सभी मेडिकल सेवाएं बंद हैं। इसके बावजूद वहां की सरकार ने किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की। पूरे देश में जो हड़ताल हो रही है। सख्त कानून बनाया जाए : आइएमए

इसमें आइएमए की मांग है कि ऐसा सख्त कानून लाया जाए, जो इस तरह की घटना के जिम्मेदारों को सख्त सजा मिले। जब तक यह मांग पूरी नहीं हो जाती है। डॉक्टर रुकने वाले नहीं है। इस तरह की आगे भी हड़ताल हो सकती है। हमारी लड़ाई मरीजों के साथ नहीं, बल्कि सरकार के साथ है। इसलिए ही इमरजेंसी सेवाओं को बंद नहीं किया गया है। हम डॉक्टर हैं, हमें भी सिक्योरिटी चाहिए। तीन दिन पहले भी कैंडल मार्च निकाला। सरकार को ज्ञापन दिया, लेकिन कही पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इसलिए ही यह कदम उठाना पड़ रहा है। मरीजों को परेशानी है। हमारी रोजी-रोटी भी तो मरीजों से चल रही है। दो दिन तक यदि ओपीडी नहीं चलेगी, तो मरीज को कोई दिक्कत नहीं होगी। सभी जगह फिलहाल इमरजेंसी सेवाएं चल रही हैं। ये भी रहे मौजूद

आइएमए के उपप्रधान डॉ. विक्रम भारती, डॉ. रविद्र गिल, डॉ. डीके सोनी, डॉ. नरेंद्र कश्यप, डॉ. ईश चड्ढा, नीमा के प्रधान डॉ. दिनेश सैनी, डॉ. रमेश चौहान, डॉ. विपिन शर्मा, डॉ. चंद्र तुली, कैमिस्ट एसोसिएशन के प्रधान डॉ. मनजीत सिंह, हरियाणा मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन के प्रधान डॉ. विरेंद्र और आइडीए से डॉ. मयंक जैन भी मुख्य रूप से मौजूद रहे।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.