ओवरलोड पर अंकुश लगाने की कवायद, अब घाटों पर ही लगेंगे धर्मकांटे
यदि सब कुछ तय समय सीमा में हुआ तो जल्द ही ओवरलोड पर अंकुश लगने वाला है। रेत के लदे ट्रैक्टर-ट्राली, डंपर व ट्रक घाट से ही तुलकर कर बाहर निकलेंगे। प्रशासन ने धर्म कांटे लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जठलाना घाट से इसकी शुरुआत है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : यदि सब कुछ तय समय सीमा में हुआ तो जल्द ही ओवरलोड पर अंकुश लगने वाला है। रेत के लदे ट्रैक्टर-ट्राली, डंपर व ट्रक घाट से ही तुलकर कर बाहर निकलेंगे। प्रशासन ने धर्म कांटे लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जठलाना घाट से इसकी शुरुआत है। जिले में खनन की कुल 32 साइट्स हैं, जिनमें से भी 17 चल रही हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक सभी चालू साइट्स पर कांटे लगाए जाने की योजना है। बता दें कि यमुना के घाटों से दिनरात रेत से लदे ओवर लोड वाहन निकल रहे हैं। इन घाटों पर अवैध खनन के साथ-साथ ओवरलोड प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है। इनके कारण सड़क हादसे भी बढ़ रहे हैं।
यमुनानगर में इसलिए जरूरी
जिले में प्रदेश का सबसे बड़ा खनन जोन है। खिजराबाद से गुमथला राव तक 70 किलोमीटर यमुना क्षेत्र है। खिजराबाद क्षेत्र में रेत के अलावा पत्थर का भी बड़ा कारोबार है। सैकड़ों यूनिट स्क्री¨नग व क्रशर लगे हैं। रेत व बजरी से लदे पांच हजार से अधिक वाहन हर दिन निकलते हैं। इन वाहनों में वजन का कोई मापदंड नहीं हैं। माइ¨नग जोन से निकलकर ये वाहन प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा दिल्ली सहित पड़ोसी राज्यों में पहुंच रहे हैं। इन वाहनों में क्षमता से कई-कई गुणा अधिक रेत बजरी भर ली जाती है। अंकुश लगाने के लिए आरटीआइ व पुलिस विभाग भी नाकाम साबित हो रहा है।
टूट रही सड़कें
बूड़िया-खदरी-देवधर मार्ग, पांसरा-शहजादपुर रोड, अंबाला रोड, अग्रसैन चौक से लेकर कैल बाइपास तक, जठलाना गुमथला रोड, जठलाना-रादौर रोड सहित अन्य कई सड़कें हैं जो ओवरलोड की भेंट चढ़ चुकी हैं। एक तो वाहनों में क्षमता से कई गुणा अधिक रेत होता है, दूसरा पानी टपकता है। जिससे सड़कें टूटकर बिखर चुकी हैं। इन सड़कों से दिनरात भारी वाहन गुजर रहे हैं। अन्य वाहन चालकों के लिए इन सड़कों से गुजरना मुश्किल होता है। शहर की सड़कों पर भी ओवरलोड वाहनों को धड़ल्ले से गुजरते हुए देखा जा सकता है।
300 करोड़ का सलाना रेवेन्यू
जिले में खनन के लिए खनन की जिले में 32 साइट हैं। इनका रिवेन्यू 300 करोड़ रुपये सलाना है। अधूरे कागजात के चलते केवल 17 साइट ही चल रही है। जिनका रेवेन्यू 150 करोड़ रुपये है। अवैध खनन एरिया की गिनती करना मुश्किल काम है। साढौरा, बिलासपुर, खिजराबाद, जठलाना एरिया में रिवर बेड के अलावा खेतों में अवैध खनन होती है, जो हर रोज लाखों रुपये की काली कमाई करते हैं। इसी तरह से 300 के करीब जोन में स्टोन क्रशर चल रहे हैं। बिना अनुमति के काफी संख्या में क्रशर चल रहे हैं। कुछ दिनों पहले प्रदूषण विभाग ने बिना एनओसी के क्रशर पर 20 स्टोन क्रशर पर सील लगाई है। सील के बाद भी कुछ लोगों ने क्रशर चलाए हुए है।
नेटवर्क से चलता ओवरलोड
ओवरलोड के पीछे पूरा नेटवर्क काम करता है। मोबाइल व बाइक सवार युवकों को अधिकारी और अन्य तरह की गतिविधियों की निगरानी के लिए रखें हुए हैं। सड़कों पर जांच के लिए यदि कोई टीम निकलती है तो सैकड़ों में इसकी सूचना वाहन चालक को मिल जाती है। वाहन चालक तुरंत दिशा बदल लेते हैं। या फिर आगे जाने की बजाय वाहन को सड़क किनारे खड़ा कर दिया जाता है। ओवरलोड वाहनों ने जोन के अलावा बीकेडी व ¨लक रोड को क्षति ग्रस्त किया हुआ है।
पहले लगा चुके 15 नाके
ओवरलोड पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासन पहले भी काफी कसरत कर चुका है। अलग-अलग जगहों पर 15 नाके लगाए गए। इन पर 350 कर्मचारी तैनात किए। कर्मचारियों के दिनरात पहरा दिए जाने के बावजूद सड़कों से ओवरलोड वाहन गुजरे। इन नाकों पर पैसे लेकर वाहन निकालने के भी आरोप लगे। योजना सिरे न चढ़ने के बाद कुछ समय बाद इनको हटा दिया गया।