बस स्टैंड पर उड़ रही कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां
कोरोना वायरस लोगों के लिए घातक बनता जा रहा है। फिर भी बस स्टैंड यमुनानगर पर सतर्कता बिल्कुल भी नहीं दिख रही। यहां आने वाले यात्री एक दूसरे से ऐसे सट कर बैठे हैं जैसे इन्हें कोरोना वायरस महामारी का कोई खतरा न हो। कोविड-19 के नियमों की यहां धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
कोरोना वायरस लोगों के लिए घातक बनता जा रहा है। फिर भी बस स्टैंड यमुनानगर पर सतर्कता बिल्कुल भी नहीं दिख रही। यहां आने वाले यात्री एक दूसरे से ऐसे सट कर बैठे हैं, जैसे इन्हें कोरोना वायरस महामारी का कोई खतरा न हो। कोविड-19 के नियमों की यहां धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। अधिकारी भी यात्रियों की सुरक्षा को लेकर बिल्कुल गंभीर नहीं है। तभी तो किसी यात्री को न तो एक दूसरे से दूरी बनाकर रहने बारे कहा जाता है और न बिना मास्क के यात्रियों पर कोई कार्रवाई की जा रही है।
चालक-परिचालक ही नहीं लगा रहे मास्क
दैनिक जागरण टीम वीरवार दोपहर एक बजकर 40 मिनट पर यमुनानगर बस स्टैंड पर पहुंची। बस स्टैंड के गेट पर ही काफी लोग बिना मास्क के आते-जाते दिखे। गेट पर भले ही निजी वाहनों की एंट्री का बैनर लगा है, परंतु अंदर रोडवेज यूनियन कार्यालयों के सामने प्राइवेट वाहनों का जमावड़ा लगा था। जिस जगह पर सहारनपुर के लिए बस खड़ी होती है वहां काउंटर के बाहर तीन यात्री टिकट ले रहे हैं। तीनों ही एक दूसरे से सट कर खड़े थे। जो कर्मचारी टिकट दे रहा था उसने खुद चेहरे पर मास्क नहीं लगा रखा था। हमने कर्मचारी से पूछा कि बस में अब कितनी सवारी सफर कर रही हैं तो उन्होंने कहा कि कोई नियम नहीं है। कहने को तो 50 फीसद सवारी के साथ ही बस चलानी है लेकिन सवारी किसी की बात मानती ही नहीं। इसलिए बसें फुल होकर चल रही हैं। हालांकि दोपहर के समय बस स्टैंड पर भीड़ कम दिखी। बसों में भी सवारी बहुत कम बैठी थी।
बिना मास्क के यात्री व कर्मचारी
थोड़ा आगे बढ़े तो बिलासपुर जाने वाली बस का इंतजार कर रहे यात्री बिना मास्क के दिखे। इनके बैठने के लिए जो कुर्सियां व सीमेंट की स्लैब बनाई गई हैं सभी उन पर एक दूसरे से सट कर बैठे मिले। जबकि सरकार कह रही है कि एक दूसरे से कम से कम दो वर्ग गज की दूरी बनाकर रखें। परंतु यात्रियों के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है। बस स्टैंड पर आना-जाना कर रहे चालक, परिचालक भी मास्क नहीं लगा रहे। किसी ने मास्क लगा रखा है तो वह नाक व मुंह पर न होकर नीचे कर रखा है। मास्क के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है। यहां सबसे खास बात यह रही कि बस स्टैंड पर बैठ युवा जहां बिना मास्क के हैं वहीं, बुजुर्ग व बच्चे मास्क लगा रहे हैं। यानि बुजुर्ग व बच्चे कोरोना वायरस से बचाव के प्रति ज्यादा जागरूक व गंभीर हैं।
स्टैंड पर सैनिटाइजर तक नहीं
बस स्टैंड पर यात्रियों के हाथों को सैनिटाइज करने के लिए सैनिटाइजर तक नहीं है। गत वर्ष जब कोरोना की पहली लहर थी तो उसमें पूरा प्रशासन अलर्ट था। बस स्टैंड पर आने वाले प्रत्येक यात्री की थर्मल स्कैनिग होती थी। बस में चढ़ने से पहले भी हाथों को सैनिटाइज किया जाता था, परंतु अब ऐसा नहीं है। बस स्टैंड पर न किसी की थर्मल स्कैनिग हो रही है और न ही किसी के हाथ सैनिटाइज किए जा रहे हैं।