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लहसुन का सुरक्षा कवच बन रही पराली, पैदावार में 25 फीसद तक बढ़ोतरी

क्षेत्र के किसान धान के अवशेषों का प्रयोग लहसुन की फसल को ताकतवर बनाने के लिए कर रहे हैं। इन दिनों लहसुन की फसल लगाने का कार्य तेजी से चल रहा है। कंबाइन व हाथ से कटाई के बाद किसान अवशेषों को लहसुन लगाने के बाद उस पर बिछा रहे हैं। विशेषज्ञ इस तकनीक को बहुत कारगर मान रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 11:58 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 11:58 PM (IST)
लहसुन का सुरक्षा कवच बन रही पराली, पैदावार में 25 फीसद तक बढ़ोतरी

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : क्षेत्र के किसान धान के अवशेषों का प्रयोग लहसुन की फसल को ताकतवर बनाने के लिए कर रहे हैं। इन दिनों लहसुन की फसल लगाने का कार्य तेजी से चल रहा है। कंबाइन व हाथ से कटाई के बाद किसान अवशेषों को लहसुन लगाने के बाद उस पर बिछा रहे हैं। विशेषज्ञ इस तकनीक को बहुत कारगर मान रहे हैं। उनके मुताबिक इसका एक नहीं बल्कि कई फायदे हैं। यमुनानगर के साथ-साथ अन्य जिलों में भी इसे अपनाया जा रहा है। खेत में पड़ी पराली पोषक तत्वों की आपूर्ति करेगी। न केवल लहसुन बल्कि आगामी फसल को भी इसका फायदा होगा। ये होंगे फायदे

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-लहसुन के खेत में खरपतवार नहीं होगा। फसल पर पराली की परत जमा हो जाएगी।

-फसल में नमी बरकरार रहेगी। 50 फीसद पानी की बचत हो सकेगी।

-10-15 हजार रुपये प्रति एकड़ निराई-गुड़ाई पर होने वाला खर्च बच सकेगा।

-निराई-गुड़ाई के समय खुरपी से लहसुन का तना या गंठी कट जाती है, लेकिन इस विधि से नहीं कटेगी।

-20-25 फीसद पैदावार बढ़ेगी। जमीन नर्म होने के कारण आसान की लहसुन की पड़ाई हो सकेगी।

-पौधा स्वस्थ होगा और रासायनिक खाद की जरूरत भी कम होगी।

-लहसुन की फसल के साथ-साथ आगामी फसल को भी फायदा होगा। फोटो : 8

सकारात्मक परिणाम सामने आए

भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री रामबीर सिंह चौहान का कहना है कि वे कई वर्ष से लहसुन की फसल उगा रहे हैं। हर वर्ष खेत में लहसुन लगाकर उसके ऊपर पराली बिछा दी जाती है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। सीजन में निराई गुड़ाई के लिए लेबर की समस्या भी इस विधि को अपनाने के बाद काफी हद तक दूर हो गई है। फोटो : 7

खर्च में आती कमी

दामला के किसान राजू का कहना है कि फसल अवशेष प्रबंधन जरूरी है। उन्होंने आज तक खेतों में अवशेषों को नहीं जलाया। लहसुन लगाने के बाद उस पर पराली बिछा दें तो फसल पर आने वाला खर्च कम हो जाता है। दूसरा बड़ा फायदा यह है कि धान के अवशेषों का सदुपयोग हो जाता है। इसको खेतों में जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। फोटो :6

फसल अवशेषों को जलाएं नहीं, प्रबंधन करें

धान के अवशेषों के प्रबंधन का यह बहुत अच्छा तरीका है। हरियाणा के यमुनानगर, करनाल व कुरुक्षेत्र सहित कई जिलों में लहसुन की बिजाई अच्छे स्तर पर होती है। नमी बनी रहती है और खरपतवार भी नहीं उगते। किसान फसल अवशेषों को जलाएं नहीं बल्कि उसको लहसुन लगाने के बाद उसके ऊपर बिछा दें। इसके एक नहीं बल्कि कई फायदे हैं। प्रति एकड़ 30-40 क्विंटल पराली बिछाई जा सकती है।

एनके गोयल, वरिष्ठ संयोजक, कृषि विज्ञान केंद्र दामला।


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