सड़कों पर ठिठुर रहे लोगों को रैन बसेरे में पहुंचाएगा स्टाफ, लोग इनकी मदद को आएं आगे : रणदीप सिंह
सर्दी अपना असर दिखाने लगी है। आने वाले दिनों में यह और सितम करेगी।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : सर्दी अपना असर दिखाने लगी है। आने वाले दिनों में यह और सितम करेगी। जब सर्दी से बचने के लिए लोग अपने घरों में दुबके होते हैं तब सड़कों पर बेसहारा लोग ठिठुर रहे होते हैं। तब हर किसी को रेडक्रॉस के अधिकारियों की याद आती है। इसके कर्मचारी आएंगे और इन लोगों को रैन बसेरे तक पहुंचाएंगे। इसके अलावा रक्तदान व समाज सेवा क्षेत्र में भी रेडक्रॉस अपनी अहम भूमिका निभा रही है। रेडक्रॉस द्वारा लोगों के लिए कौन-कौन सी योजनाएं चलाई जा रही हैं, इसके अलावा लोग कैसे इससे जुड़ कर समाज सेवा कर सकते हैं। इन सब विषयों पर जिला रेडक्रॉस सचिव रणदीप सिंह ने दैनिक जागरण संवाददाता राजेश कुमार ने बातचीत की। सवाल : बेसहारा लोगों के ठहरने के लिए क्या व्यवस्था की है?
जवाब : बेसहारा लोगों को ठंड से बचाने के लिए शहर में रेलवे स्टेशन के पास, बस स्टैंड यमुनानगर, स्टेशन रोड पर निरंकारी भवन के सामने व जगाधरी बस स्टैंड पर स्थायी रैन बसेरे बनाए गए हैं। इसके अलावा रेलवे स्टेशन यमुनानगर के पास धर्मशाला में एक अस्थायी रैन बसेरा बनाया है। सवाल : लोगों को रैन बसेरे तक पहुंचाने के लिए क्या व्यवस्था है?
जवाब : जो लोग सड़कों पर बैठे रहते हैं उन्हें रैन बसेरे तक पहुंचाने के लिए रात 9 से 11 बजे तक रेडक्रॉस के स्टाफ की ड्यूटी लगाई है। स्टाफ उन्हें गाड़ी में बिठाकर रैन बसेरे तक पहुंचाता है। रैन बसेरे दरी, रजाई, बेड की व्यवस्था की गई है। सवाल : रक्त की कमी को कैसे पूरा कर रहे हैं?
जवाब : रेडक्रॉस लोगों की मदद से विभिन्न जगहों पर समय-समय पर रक्तदान शिविर लगा रही है। फिलहाल जिला में रक्त की कमी नहीं है। शहर में एक सरकारी व चार प्राइवेट ब्लड बैंक हैं। गत वर्ष रेडक्रॉस ने 121 कैंप लगाए थे, जिनमें 22000 लोगों ने रक्तदान कर जरूरतमंदों की जान बचाने में अपना योगदान दिया। रक्तदान के मामले में यमुनानगर प्रदेश में चौथे नंबर पर है। सवाल : दिव्यांग लोगों के लिए क्या योजना है?
जवाब : दिव्यांग लोगों के लिए यमुनानगर बस स्टैंड के पास पुनर्वास केंद्र बनाया गया है। जहां पर लोगों के लिए कृत्रिम अंग बिल्कुल मुफ्त बनाए जाते हैं। इसी साल एलिम्को कंपनी के माध्यम से 40 लाख रुपये के कृत्रिम अंग, तिपहिया साइकिल, व्हील चेयर केंद्रीय मंत्री रतन लाल कटारिया के माध्यम से दिव्यांगों को दिए हैं। सवाल : पारिवारिक विवाद सुलझाने में रेडक्रॉस की क्या भूमिका है?
जवाब : इसके लिए रेडक्रॉस परिवार कल्याण केंद्र बस स्टैंड के पास चला रही है। इसमें काउंसलर रखा गया है। परिवार में पति-पत्नी या अन्य परिजनों के होने वाले विवाद को काउंसिलिग के माध्यम से सुलझाया जाता है। सवाल : जन्मजात बीमारी से ग्रस्त बच्चों की कैसे मदद कर रहे हैं?
जवाब : शून्य से पांच साल तक के बच्चों के लिए केंद्र सरकार ने योजना शुरू की है। इस उम्र में जो बच्चा बोल व सुन नहीं सकता उनका रजिस्ट्रेशन रेडक्रॉस में कराया जा सकता है। अभी तक पांच बच्चे रजिस्टर हो चुके हैं। इन बच्चों का मुफ्त आप्रेशन कराया जाता है जिस पर पांच से 10 लाख के बीच खर्च आता है। सवाल : वर्तमान में फर्स्ट एड कितनी जरूरी है?
जवाब : सभी को फर्स्ट एड की ट्रेनिग जरूर लेनी चाहिए। रेडक्रॉस स्कूल, कॉलेजों व फैक्ट्रियों में जाकर छात्रों व मजदूरों को फर्स्ट एड की ट्रेनिग दे रही है ताकि किसी दुर्घटना की स्थिति में वे दूसरों की मदद कर सकें। हर साल 10 से 12 हजार लोगों को यह ट्रेनिग दी जाती है। सवाल : क्या रैन बसेरों में आमजन भी मदद कर सकता है?
जवाब : रैन बसेरे में ठहरने वाले लोगों के लिए सरस्वती शुगर मिल प्रबंधकों ने 30 रजाई, दरी, चादर व एक सोच, नई सोच एनजीओ ने 10 रजाई दान में दी है। इसी तरह कोई भी व्यक्ति इनकी मदद करने के लिए आगे आ सकता है। बेसहारा लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था के लिए भी लोग दान कर सकते हैं।