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नीतियों के खेल में स्टेडियम चित

जागरण संवाददाता यमुनानगर जिले में 1300 खिलाड़ी गोल्ड मेडल के लिए पसीना बहा रहे हैं। खेल

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 01:59 AM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 01:59 AM (IST)
नीतियों के खेल में स्टेडियम चित
नीतियों के खेल में स्टेडियम चित

जागरण संवाददाता, यमुनानगर: जिले में 1300 खिलाड़ी गोल्ड मेडल के लिए पसीना बहा रहे हैं। खेल विभाग की नीतियां इनकी मेहनत पर पानी फेरने के लिए पूरे तैयार हैं। विभाग के पास साधनों का अभाव है। न तो तेजली खेल स्टेडियम की हालात सही और न ही राजीव गांधी खेल स्टेडियमों में पर्याप्त सुविधाएं हैं। देखरेख के अभाव में ये स्टेडियम खंडहर बनते जा रहे हैं। हालात यह हैं कि कहीं ग्राउंड में घास उगा हुआ तो कहीं लाखों रुपये की लागत से बने भवन टूटकर बिखर रहे हैं। यहां न कोच हैं और मैनेजर। ऐसे में खिलाड़ियों की खेप कैसे तैयार को सकती है, इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। बता दें कि जिले में आठ खेल स्टेडियम हैं जो सुविधाओं से महरूम हैं। 63 एकड़ में बना है तेजली स्टेडियम

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खेलने के लिए खिलाड़ियों के पास जगह की कमी थी। इस कमी को पूरा करने के लिए ग्राम पंचायत तेजली ने 63 एकड़ जमीन खेल स्टेडियम के लिए दी थी। पंचायत ने शर्त रखी थी कि स्टेडियम का नाम तेजली गांव के नाम पर होगा। तभी से इसे तेजली खेल परिसर के नाम से जाना जाता है। वर्ष 1994 में स्टेडियम अस्तित्व में आया था। देखरेख के लिए चौकीदार भी नहीं

63 एकड़ में फैले तेजली खेल परिसर की देखभाल के लिए एक भी चौकीदार नहीं है। कायदे से यहां पर तीन चौकीदार होने चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। चौकीदार नहीं होने से यहां कोई भी बिना रोक टोक के आ जा सकता है। सारा दिन मैदानों में लावारिस पशु घूमते रहते हैं। न पेयजल और न शौचालय

खेल परिसर में पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है। पीने के पानी के लिए जो नल लगे थे उनकी टोटियां चोर उतारकर ले गए। पानी पीने की जगह पर खिलाड़ी शौच करने लगे हैं। शौचालयों की हालत इतनी खस्ता है कि इनके पास खड़ा होना भी मुश्किल है। हालांकि सरकार शौचालय बनाने पर जोर दे रही है, लेकिन खेल मैदान में यह व्यवस्था भी नहीं है। मिलनी चाहिए सभी सुविधाएं

एथलीट गुरमेज और अरुण का कहना है कि जब तक कोच व अन्य सुविधाएं नहीं मिलेंगी तब तक कोई भी खिलाड़ी बुलंदी को नहीं छू सकता। बिना गुरु के तो अर्जुन बना नहीं जा सकता, क्योंकि जो बातें एक कोच बता सकता है वे हम एक दूसरे को बता कर नहीं सीख सकते। सरकार को चाहिए कि कोच के अलावा सभी सुविधाएं दी जाए, जिससे कि हम भी आगे बढ़ सकें। कोई भी यही सोच कर खेल को चुनता है कि भविष्य में वह अपना नाम चमकाएगा। ये हैं स्टेडियम के हालात

बता दें कि राजीव गांधी खेल स्टेडियम शरारती तत्वों की शरण स्थली और बरातघर बनकर रह गए। मूलभूत सुविधाएं नाम की कोई चीज यहां पर नहीं है। न बिजली पानी की व्यवस्था है और न ही साफ सफाई की। खेल स्टेडियमों में न सफाई की व्यवस्था है। सफाई के अभाव में घास और झाड़ियां उगी हैं। दिनभर पशु विचरण करते हुए देखे जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त शरारती तत्वों द्वारा भवन के सीसे तक नहीं बख्शे। शीशे पर पत्थर मारकर चटका दिया। आवश्यकता पड़ने पर खेल स्टेडियम बरात घर के तौर पर प्रयोग किए जा रहे हैं। बाद में न साफ-सफाई रामभरोसे छोड़ दी जाती है। कहने-सुनने वाला कोई है नहीं और पंचायत विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। यहां बने हैं स्टेडियम

-राजीव गांधी खेल परिसर बरसान : 6 एकड़

-गोलनी : 6 एकड

- नागल : 6 एकड़

- कोटड़ाखास : 6 एकड़

- लाहड़पुर : 6 एकड़

- छछरौली : 6 एकड

- मिनी स्टेडियम बहादुरपुर : 6 एकड़

- खारवन : 6 एकड़ वर्जन

खेल स्टेडियमों में सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है जल्दी ही सभी स्टेडियमों में आवश्यक सुविधाएं मुहैया करा दी जाएंगी।

राजेंद्र कुमार गुप्ता, जिला खेल अधिकारी।


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