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मालिकाना हक लेने में नहीं दुकानदारों की दिलचस्पी, तीन माह में 288 ने करवाया रजिस्ट्रेशन

20 साल व इससे अधिक समय से काबिज दुकानदार मलिकाना हक के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। जून माह में योजना का शुभारंभ हुआ था जबकि अब तक केवल 288 ने ही रजिस्ट्रेशन करवाया है। करीब 250 फाइलें ऐसी हैं जो बिल्डिग ब्रांच की वेरिफिकेशन न होने से पेंडिग हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 07:20 AM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 07:20 AM (IST)
मालिकाना हक लेने में नहीं दुकानदारों की दिलचस्पी, तीन माह में 288 ने करवाया रजिस्ट्रेशन
मालिकाना हक लेने में नहीं दुकानदारों की दिलचस्पी, तीन माह में 288 ने करवाया रजिस्ट्रेशन

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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20 साल व इससे अधिक समय से काबिज दुकानदार मलिकाना हक के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। जून माह में योजना का शुभारंभ हुआ था, जबकि अब तक केवल 288 ने ही रजिस्ट्रेशन करवाया है। करीब 250 फाइलें ऐसी हैं जो बिल्डिग ब्रांच की वेरिफिकेशन न होने से पेंडिग हैं। योजना के दायरे में 1545 दुकानदार आते हैं। हालांकि रजिस्ट्रेशन के लिए 30 सितंबर अंतिम तारीख है। किन जिस गति से आवेदन हो रहे हैं, उससे नहीं लगता कि संतोषजनक आंकड़ा छू पाएंगे। निगम की ओर से इस बारे दुकानदारों को विशेष रूप से जागरूक किया जा रहा है। कार्यालय में दुकानदारों की सुविधा के लिए हेल्प डेस्क बनाया गया है ताकि नियम व शर्तों को पूरा करने में दिक्कत न आए। बावजूद इसके योजना दुकानदार दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। इनसेट

ये बताए जा रहे कारण

- रजिस्ट्रेशन के लिए परिवार पहचान पत्र जरूरी है। जबकि ऐसे दुकानदारों की संख्या कम नहीं है जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। सब्जी मंडी व अनाज मंडी यमुनानगर में ऐसे दुकानदार हैं।

- दुकानों का किराया कम है जबकि कलेक्टर रेट अधिक है। जिसके चलते दुकानदार मालिकाना हक के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।

- दुकानों की सब-लेटिग भी मालिकाना हक की राह में रोड़ा बन रही है। दुसरे के नाम रजिस्ट्री करवाने से गुरेज किया जा रहा है। इनसेट

यहां दुकानों की संख्या अधिक :

शहर की मीरा बाई मार्केट, वर्कशाप रोड, शिवाजी मार्केट, रामपुरा, इंदिरा मार्केट, जवाहर मार्केट, यमुनानगर अनाजमंडी व सब्जी मंडी कन्हैया चौक के नजदीक निगम की दुकानें हैं। संपत्ति पर अपना मालिकाना हक लेने के लिए पोर्टल पर आनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन से एक माह तक निगम की ओर से दावे व आपत्तियां ली जाएंगी। उसके सात दिन बाद अलाटमेंट हो जाएगी। शहरी स्थानीय निकाय की संपत्ति पर 20 साल व उससे ज्यादा समय तक के किराएदारों को मालिकाना हक दिया जाएगा। निगम की दुकान व अन्य संपत्ति की रजिस्ट्री अपने नाम कराने के लिए कलेक्टर रेट में 20 से 50 फीसदी तक की छूट प्रदान की जाएगी। इनसेट

ये दस्तावेज जरूरी :

प्रापर्टी अपने नाम करवाने के लिए लाभपात्र को योग्यता संबंधित दस्तावेज, साइट प्लान, तल अनुसार निर्मित भवन प्लान स्वयं सत्यापित करके आवेदन के साथ देना होगा। आवेदन के साथ अधिकार को प्रमाणित करने के लिए निगम द्वारा जारी आबंटन पत्र, संपत्ति स्थानांतरण पत्र, वास्तविक आबंटी या उप किराएदारी का समझौता पत्र, संबंधित संपत्ति को प्रमाणित करने वाला निगम का रिकार्ड, किराए की रसीद, बिजली या पानी कनेक्शन की प्रतिलिपि, संबंधित संपत्ति का सेल टैक्स, वेट, जीएसटी में से एक का संबंधित रजिस्ट्रेशन नंबर, परिवार पहचान पत्र, आयकर रिर्टन या फायर एनओसी की प्रतिलिपि में से एक लगाना होगा। इनसेट

योजना दुकानदारों के हित में :

मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना पूरी तरह दुकानदारों के हित में है। दुकानदारों की सुविधा के लिए निगम कार्यालय में हेल्प डेस्क भी बनाया हुआ है। हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक दुकानदार योजना का लाभ उठाएं। इसके लिए विभिन्न माध्यमों से जागरूक भी किया जा रहा है।

अजय सिंह तोमर, कमिश्नर, नगर निगम।


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