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सपना ने बदला पढ़ाई का तरीका, सरकारी स्कूल प्राइवेट को दे रहा मात

नया गांव की राजकीय प्राथमिक पाठशाला भी अन्य स्कूलों की तरह ही है, लेकिन यहां पर टीचर के पढ़ाने और बच्चों के पढ़ने का तरीका अलग है। कक्षा में बैठकर बच्चे पढ़ाई तो करते हैं, लेकिन अनोखे ढंग से। खेल-खेल में बच्चों को पढ़ने का नया तरीका सिखा रही हैं स्कूल की टीचर सपना सैनी। ये उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि कल तक जो बच्चे अपना और अपने परिवार के किसी सदस्य का नाम ठीक से नहीं लिख पाते थे। वे आज अंग्रेजी में बात करते हैं। नया गांव की राजकीय प्राथमिक पाठशाला भी अन्य स्कूलों की तरह ही

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Aug 2018 12:12 AM (IST)Updated: Mon, 13 Aug 2018 12:12 AM (IST)
सपना ने बदला पढ़ाई का तरीका, सरकारी स्कूल प्राइवेट को दे रहा मात
सपना ने बदला पढ़ाई का तरीका, सरकारी स्कूल प्राइवेट को दे रहा मात

राजेश कुमार, यमुनानगर

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नया गांव की राजकीय प्राथमिक पाठशाला भी अन्य स्कूलों की तरह ही है, लेकिन यहां पर टीचर के पढ़ाने और बच्चों के पढ़ने का तरीका अलग है। कक्षा में बैठकर बच्चे पढ़ाई तो करते हैं, लेकिन अनोखे ढंग से। खेल-खेल में बच्चों को पढ़ने का नया तरीका सिखा रही हैं स्कूल की टीचर सपना सैनी। ये उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि कल तक जो बच्चे अपना और अपने परिवार के किसी सदस्य का नाम ठीक से नहीं लिख पाते थे। वे आज अंग्रेजी में बात करते हैं। शिक्षा विभाग भी सपना सैनी को स्टार टीचर के सम्मान से सम्मानित कर चुका है।

पाठशाला के प्रति गांव के लोगों का नजरिया दो साल पहले तक ठीक नहीं था। बच्चे अपनी मर्जी से स्कूल आते थे। जब चाहा कक्षा को बीच में ही छोड़ घर निकल जाते थे। सितंबर 2016 में स्कूल में सपना सैनी टीचर आई। उनके पढ़ाने का तरीका बच्चों को पंसद आया। यहां बच्चे प्राइवेट स्कूलों की तरह ही वर्दी में टाई-बेल्ट लगाकर आते हैं।

खेल-खेल में करातीं पढ़ाई

शहर के टैगोर गार्डन निवासी सपना सैनी बताती हैं कि स्कूल में ब्लैक बोर्ड का इस्तेमाल न के बराबर किया जाता है। कक्षा का पाठ्यक्रम एक्टीविटी से कराया जाता है। अलग-अलग टीम बनाकर बच्चों को पढ़ाया जाता है। जैसे बुक ऑन द टेबल। बच्चे बुक को टेबल पर रखकर उस वाक्य को दोहराते हैं। ¨पकी अंडर द ट्री। उसी नाम की छात्रा को पेड़ के नीचे खड़े किया जाता है इससे सभी को वाक्य आसानी से समझ आ जाता है।

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स्कूल की दीवारों पर है पूरा सिलेबस

स्कूल की दीवारों को देखकर बाहर से आने वाला कोई भी व्यक्ति ये नहीं कह सकता कि ये कोई राजकीय स्कूल है, क्योंकि देखने में किसी प्ले स्कूल जैसा ही लगता है। स्कूल की दीवारों पर बच्चों का पूरा सिलेबस पेंट कराया गया है। सुंदरीकरण प्रतियोगिता में यह स्कूल जगाधरी खंड में प्रथम था, जिसके तहत 50 हजार रुपये की ग्रांट मिली थी।

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यू-ट्यूब पर खोजती हैं सरलीकरण के तरीके

सपना सैनी ने बताया कि प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने का तरीका अलग है। जिस कारण सरकारी स्कूलों के बच्चे पढ़ाई में पिछड़ जाते हैं, जबकि एक टीचर का कर्तव्य है कि वो पढ़ाने का काम ईमानदारी से करें। यदि बच्चे ऐसे ही पिछड़ते रहें तो वे बड़े होकर क्या बनेंगे। यही सोचकर उन्होंने पढ़ाने का तरीका बदला। सबसे पहले ये देखना होगा कि टीचर जो पढ़ा रहा है वो बच्चों की समझ में आ भी रहा है या नहीं। पढ़ाई का सरलीकरण कर दिया जाए तो सभी की समझ में आ जाएगा। इसके लिए वे यू-ट्यूब पर भी पढ़ाने का तरीका खोजती हैं।

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सफलता पर एक नजर

जिले के टॉप 10 स्कूलों की सूची में मॉडल टाउन के प्राइमरी स्कूल के साथ संयुक्त रूप से पहले स्थान पर।

-मंथली टेस्ट व वार्षिक परीक्षा में स्कूल जिला में पहले स्थान पर।

-बरखा सीरीज में जिलास्तरीय प्रतियोगिता में इस स्कूल के बच्चों ने प्रथम व द्वितीय स्थान हासिल किया।

-स्कूल में दो टीचर हैं। सक्षम की श्रेणी में सबसे पहले सक्षम होने वाले स्कूलों में नया गांव का नाम प्रथम स्थान पर है।


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