बदल रही सोच : सूनी गोद में सुनाई दे रही बेटियों की किलकारी : रेनू शर्मा
लिंगानुपात में सुधार और बेटियों को बेटों जैसा मान दिलाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग जोर लगा रहा है। कार्यक्रमों से महिलाओं को जागरूक भी किया जा रहा है। कड़ी निगरानी भी है। यही कारण है कि जिले में एक हजार बेटों के पीछे अब बेटियों की संख्या 948 तक पहुंची है।
लिंगानुपात में सुधार और बेटियों को बेटों जैसा मान दिलाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग जोर लगा रहा है। कार्यक्रमों से महिलाओं को जागरूक भी किया जा रहा है। कड़ी निगरानी भी है। यही कारण है कि जिले में एक हजार बेटों के पीछे अब बेटियों की संख्या 948 तक पहुंची है। इसके अलावा हर वर्ग के हितों की रक्षा और उनको न्याय दिलाने के लिए सखी मंच तैयार किया। यह जानकारी महिला एवं बाल विकास विभाग की सीडीपीओ रेनू शर्मा ने दैनिक जागरण संवाददाता संजीव कांबोज से विशेष बातचीत के दौरान दी।
लिगानुपात में सुधार के लिए महिला एवं बाल विभाग की ओर से क्या-क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
लिगानुपात में बड़ा सुधार आया है। लिग जांच और भ्रूणहत्या जैसे अपराध को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर रेड भी की जाती है। संदिग्ध मामलों पर नजर रखते हैं। महिलाओं को विशेष तौर पर जागरूक किया जाता है, जिनके पास पहली बेटी है और दूसरी बार गर्भवती हैं, ऐसे महिलाओं पर हमारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता निगरानी रखती हैं, क्योंकि सभी का रिकार्ड आंगनबाड़ी केंद्रों पर होता है।
गोद सूनी होने पर पहले बेटों को ही गोद लिया जाता था। क्या अब मानसिकता में बदलाव है?
जबरदस्त बदलाव है। अकेले रादौर में हमने 14 बेटियों को गोद दिलाया है। ये बड़ी बात है। इसके लिए हमारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सुपरवाइजर महिलाओं को जागरूक करती हैं।
जागरूकता के लिए विभागीय स्तर पर क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
बेटियों के प्रति मान सम्मान बढ़ाने के लिए कुंआ पूजन जैसे कार्यक्रम किए जा रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों पर कन्याओं का जन्मदिन मनाया जाता है। गांव में जागरूकता रैलियां और प्रभात फेरियां निकाली जाती है।
सखी मंच क्या है? किस तरह काम करता है?
सखी मंच ऐसा मंच है, जिसमें गांव के बुद्धिजीवियों को शामिल कर कमेटी बनाई जाती है। इसमें डॉक्टर, मास्टर, एडवोकेट या अन्य पढ़े लिखे व्यक्ति शामिल हो सकते हैं। यदि गांव में किसी भी वर्ग के महिला, पुरुष, लड़का या लड़की को कोई समस्या है। उसको किस भी तरह से प्रताड़ित किया जाता है तो उसको इस मंच के माध्यम से न्याय दिलाया जाएगा। हर गांव में सखी मंच मनाया जाएगा।
प्रदेश में सख्ती होने के कारण उप्र और पंजाब में लिग जांच के मामले सामने आते हैं। रोकथाम के लिए क्या प्रयास है?
देखिए, लिग जांच और हत्या पर महिला एवं बाल विकास विभाग व स्वास्थ्य विभाग कड़ी निगरानी रखे हुए है। ऐसे मामले अब न के बराबर हैं। यही कारण है कि पांच वर्ष की अवधि में लिगानुपात में रिकार्ड सुधार हुआ है। हरियाणा में हम दूसरे नंबर पर खड़े हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों पर लाइट की बड़ी समस्या है। गर्मियों में नौनिहालों को परेशानी झेलनी पड़ती है?
इसका समाधान विभाग ने कर दिया है। जो भवन विभाग के हैं, उनमें सोलर लाइट की व्यवस्था कर दी है। रादौर में 65 और बिलासपुर में 74 सोलर सिस्टम लग चुके हैं।
गर्भवती महिलाओं में खून की कमी रहती है। कैसे पूरा करें?
खानपान पर सही तरीके से ध्यान न देने के कारण रक्त की कमी होती है। समय-समय आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महिलाओं को आहार बारे जानकारी देती हैं। महिलाएं गुड़ चना, हरी सब्जियां व ताजे फलों का सेवन करें। सीजनल सब्जियां खाएं।
बच्चों को कुपोषण से कैसे बचाया जा सकता है?
छह माह तक मां अपने दूध के सिवाय कुछ न दे। उसके बाद ऊपरी आहार का विशेष ख्याल रखें। हमने हर आंगनबाड़ी केंद्र पर चार्ट उपलब्ध कराया हुआ है। बच्चे को केवल दूध पर ही निर्भर न रखें।