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रंधावा ने अल्जीरिया में फंसे 23 युवकों की कराई वतन वापसी, न वेतन न मिल रहा था भरपेट खाना

दिल्ली व पंजाब के एजेंटों ने सब्जबाग दिखाकर इन युवकों को विदेश में भेजा। चीन की कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम तो मिला लेकिन वेतन मांगने पर धमकी मिलती थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 04:20 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 04:20 AM (IST)
रंधावा ने अल्जीरिया में फंसे 23 युवकों की कराई वतन वापसी, न वेतन न मिल रहा था भरपेट खाना

पोपीन पंवार, यमुनानगर :

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छह माह से अल्जीरिया में फंसे 23 युवकों की हरनेक सिंह रंधावा हेल्पलाइन की मदद से वतन वापसी हो गई है। दिल्ली व पंजाब के एजेंटों ने सब्जबाग दिखाकर इन युवकों को विदेश में भेजा। चीन की कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम तो मिला, लेकिन वेतन मांगने पर धमकी मिलती थी। काम करने के बाद भी भरपेट खाना नहीं मिला।

यह बात एजेंटों को बताई गई तो उन्होंने बात ही करनी बंद कर दी। वतन लौट रहे युवकों ने एयरपोर्ट से वीडियो जारी कर एजेंटों से बचने का संदेश दिया। कहा कि ऐसे देशों में न आएं। किसी भी देश में जाने से पहले एग्रीमेंट लें और उसे अच्छी तरह से पढ़ने के बाद ही जाएं। युवकों ने मदद के लिए हेल्पलाइन का शुक्रिया किया।

इन राज्यों के युवक फंसे थे :

पंजाब के 14, उत्तर प्रदेश के दो, बिहार के चार, चंडीगढ़, झारखंड और राजस्थान के एक-एक सहित 23 युवक विदेश में फंस गए थे।

जगतार के परिजनों ने किया था संपर्क :

यमुनानगर के थाना छप्पर निवासी हरनेक सिंह रंधावा कनाडा में परिवार सहित रहते हैं। उन्होंने विदशों में जाकर काम करने वालों की मदद के लिए हेल्पलाइन बना रखी है। 40 देशों में रह रहे भारतीय इस हेल्पलाइन के सदस्य जुड़े हैं। टीम के सदस्य जालंधर निवासी कमलजीत सिंह का पड़ोसी जगतार सिंह अल्जीरिया में फंसा हुआ था। उसके स्वजनों ने कुवैत में कमलजीत सिंह से संपर्क साधा। तब हरनेक सिंह रंधावा ने जगतार सिंह से संपर्क किया। फिर पता चला कि यहां पर एजेंटों ने 30 भारतीयों को फंसा दिया है। धोखा दिया एजेंटों ने :

पीड़ितों के मुताबिक दिसंबर 2019 में दिल्ली के एजेंट कपूर व पंजाब के एजेंट ध्यान सिंह के माध्यम से 30 युवकों का ग्रुप अल्जीरिया में गया। एजेंटों ने दो से तीन लाख रुपये लिए और वादा किया था कि उनको अमेरिकन 800 डालर प्रति माह वेतन मिलेगा। युवक चीन की कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहे थे। युवकों ने बताया कि काम करने का कोई समय तय नहीं था। रहने के लिए बहुत गंदी जगह थी। काम ज्यादा करने पर भी भरपेट खाना नहीं मिलता था। जेल में भी भरपेट खाना मिल जाता है, लेकिन यहां पर रोटी ही नहीं मिलती थी। छह माह से वेतन नहीं दिया गया। वेतन मांगने पर उनको डराया जाता था। कॉल करनी शुरू की कंपनी में

हेल्पलाइन में 3617 सदस्य हैं। सदस्यों ने बारी-बारी से कंपनी में काल करनी शुरू की। अल्जीरिया की राजधानी अल्जीरियस में भारतीय दूतावास में रंधावा ने संपर्क किया। यहां पर दूतावास के अधिकारी अभय व विष्ट से बात हुई। उनके माध्यम से कंपनी व अल्जीरियस के प्रशासन पर दबाव बनाया गया। युवकों की दयनीय हालत की वीडियो वायरल की। तब कंपनी युवकों को मुक्त करने के लिए तैयार हुई। उनके पास टिकट के पैसे नहीं थे। हेल्पलाइन व उक्त दोनों अधिकारी की मदद से 23 टिकटों का इंतजाम किया गया। सात युवक यहां से यूरोप कंट्री जाएंगे।


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