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आतंकवाद की जड़ों में लहराती है मनोवैज्ञानिक विचारधारा : भारती

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से हनुमान गेट स्थित आश्रम में आयोजित साप्ताहिक सत्संग में साध्वी सत्या भारती ने चर्चा के दौरान समाज के भीतर व्याप्त बुराइयों में से आतंकवाद का उल्लेख किया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Dec 2018 07:09 PM (IST)Updated: Mon, 24 Dec 2018 12:07 AM (IST)
आतंकवाद की जड़ों में लहराती है मनोवैज्ञानिक विचारधारा : भारती
आतंकवाद की जड़ों में लहराती है मनोवैज्ञानिक विचारधारा : भारती

जागरण संवाददाता, जगाधरी : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से हनुमान गेट स्थित आश्रम में आयोजित साप्ताहिक सत्संग में साध्वी सत्या भारती ने चर्चा के दौरान समाज के भीतर व्याप्त बुराइयों में से आतंकवाद का उल्लेख किया।

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उन्होंने कहा कि आतंकवाद मात्र दहशत नहीं है। दरअसल यह आतंक का वाद है। इसकी जड़ों में एक मनोवैज्ञानिक विचारधारा लहराती है। जो आतंक या दहशत की विचारधारा को प्रसारित करती है। आतंकवाद मनोवैज्ञानिक युद्ध का अस्त्र है। अर्थात इस आतंक का मूल कारण अज्ञानता और शक्ति का गठजोड़ है।

उन्होंने कहा कि जब एक अज्ञानी व्यक्ति के हाथ में शक्ति का प्रतीक खडग आता है, तो प्रलय का विध्वंसकारी अध्याय ही रचित होता है। मानवीय विचारों व निष्ठाओं का गला घोंट रही इस विकट समस्या के समाधान के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, परंतु परिणाम ना के बराबर है। अगर किसी कंटीले पेड़ को समाप्त करना है तो पत्तों या टहनियों को नहीं, उसको मूल से समाप्त करना होगा। ठीक यही कार्य हमें आतंकवाद के विषय में भी करना होगा।

उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवन में ज्ञान व प्रकाश को प्रथम स्थान देना होगा। ज्ञान से अभिप्राय है। जानना। एक पूर्ण संत के शरणागत हो, उसकी कृपा द्वारा ही उस प्रकाश का दर्शन किया जा सकता है। जैसे अंगुलीमाल ने समय के पूर्ण संत महात्मा बुद्ध की शरण को प्राप्त कर उस दिव्य प्रकाश का दर्शन अपने भीतर किया। यही बुराई का नाश करने का एकमात्र उपाय है। अत: हमें भी अपनी बुराइयों के नाश के लिए समय के संत की शरण को प्राप्त करना होगा।


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