सड़कों पर निजी अस्पतालों का कब्जा, प्रशासनिक कार्रवाई का निकला दम
शहर में 50 बड़े निजी अस्पताल हैं। रोजाना हजारों की संख्या में मरीज इलाज को पहुंचते हैं। ज्यादातर निजी अस्पतालों में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। अस्पताल प्रबंधन ने सड़कों को अपनी निजी पार्किंग बना कर कब्जा किया हुआ है। हैरत की बात तो ये है कि प्रशासन भी मूक दर्शक बन सारा खेल देख रहा है। नियमों को ताक पर रख रहे प्रबंधन पर कार्रवाई के नाम पर प्रशासन का दम निकला प्रतीत होता है। नतीजन आमजन को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जागरण टीम ने पड़ताल की तो अधिकतर निजी अस्पतालों में पार्किंग व्यवस्था नहीं मिली। हालांकि कुछ में व्यवस्थाएं दुरुस्त थी। माडल टाउन के एक अस्पताल ने तो पार्क को पार्किंग बनाया हुआ था। वहां के बाशिदे सैर भी नहीं कर पा रहे।
जागरण पड़ताल :
जागरण संवाददाता, यमुनानगर
शहर में 50 बड़े निजी अस्पताल हैं। रोजाना हजारों की संख्या में मरीज इलाज को पहुंचते हैं। ज्यादातर निजी अस्पतालों में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। अस्पताल प्रबंधन ने सड़कों को अपनी निजी पार्किंग बना कर कब्जा किया हुआ है। हैरत की बात तो ये है कि प्रशासन भी मूक दर्शक बन सारा खेल देख रहा है। नियमों को ताक पर रख रहे प्रबंधन पर कार्रवाई के नाम पर प्रशासन का दम निकला प्रतीत होता है। नतीजन आमजन को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जागरण टीम ने पड़ताल की तो अधिकतर निजी अस्पतालों में पार्किंग व्यवस्था नहीं मिली। हालांकि कुछ में व्यवस्थाएं दुरुस्त थी। माडल टाउन के एक अस्पताल ने तो पार्क को पार्किंग बनाया हुआ था। वहां के बाशिदे सैर भी नहीं कर पा रहे। विशेषज्ञ ने बताया कि नियम के तहत अस्पताल में जितने बेड हैं, उससे चार गुना ज्यादा चारपहिया वाहन पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए। अधिकारी करते हैं कार्रवाई की बात, पर ठोस प्लान नहीं :
अस्पताल में आए मरीज और उनके तीमारदारों के वाहनों को पार्किंग की सुविधा देना अस्पताल का काम है। जबकि शहर के अधिकतर अस्पतालों में पार्किंग नहीं है। लोगों द्वारा वाहनों को इधर-उधर खड़े करने से यातायात बाधित हो रहा है। जिससे आए दिन लोग घंटों जाम से जूझते हैं। निजी अस्पताल या नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई का कोई ठोस प्लान प्रशासन के पास नहीं है हालांकि अधिकारी कार्रवाई के दावे जरूर करते हैं। बिना नियमों को पूरा किए अस्पताल बनाने की एनओसी निगम की ओर से कैसे मिली ये भी विचारणीय विषय है। घरों में खुले क्लीनिक, नियम ताक पर :
कुछ अस्पताल, नर्सिंग होम को छोड़कर अन्य में पार्किंग की सुविधा नहीं है। ज्यादातर क्लीनिक, नर्सिंग होम नियम का पालन नहीं करते और न ही उनके पास मरीजों के लिए सुविधाएं हैं। अधिकतर डाक्टर रहने के लिए बनाए गए आवास में ही नर्सिंग होम खोल रखे हैं। जहां न पार्किंग की सुविधा है न ही फायर विभाग से एनओसी। किसी आपात स्थिति में निकलने के लिए इमरजेंसी निकास की व्यवस्था भी नहीं है। इससे किसी भी समय कोई बड़ा हादसा हो सकता है। क्या कहते हैं लोग :
सरस्वती नगर निवासी रामचंद्र, गौरव, महेश का कहना है कि पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से सड़क पर गाड़ी खड़ी करना मजबूरी है। सड़क पर बाइक खड़ी करने से गिरने या टूटने का डर बना रहता है। वहीं चोरी होन का भय भी बना रहता है। राहगीर शमशेर सिंह का कहना है कि लोगों द्वारा आधी सड़क तक गाड़ी खड़ी करने के कारण घंटों जाम से जूझना पड़ता है। जिससे लोग समय पर अपना कार्य को लेकर नहीं पहुंच पाते। रेलवे लाइन पर अधिकतर निजी अस्पताल हैं जहां जाम की स्थिति आमतौर पर बनी रहती है। निगम की ओर से होती है कार्रवाई :
नगर निगम के मेयर मदन चौहान का कहना है कि नगर निगम की ओर से समय-समय पर अतिक्रमण कर रहे प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई का अभियान चलाया जाता है। सड़कें आमजन के लिए हैं। इन पर अतिक्रमण करने वाले प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।