जनसंख्या नियोजन : हर घर जाकर जागरूकता का पाठ पढ़ाती है डॉ. आरती
उस तरफ या इस तरफ कौन देखें किस तरफ हर तरफ बेरोजगारी है बढ़ता जनसंख्या विस्फोट खाने की महामारी है। रोटी कपड़ा मकान नहीं डिजिटल देश की तैयारी है। ये पंक्तियां चरितार्थ होती है हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या पर।
नितिन शर्मा, यमुनानगर:
उस तरफ या इस तरफ, कौन देखें किस तरफ, हर तरफ बेरोजगारी है, बढ़ता जनसंख्या विस्फोट, खाने की महामारी है। रोटी कपड़ा मकान नहीं डिजिटल देश की तैयारी है। ये पंक्तियां चरितार्थ होती है हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या पर। इन पंक्तियों की महत्ता को समझा डॉ. आरती सिंह नैन ने। वे कहती हैं कि जनसंख्या से उत्पन्न होने वाली समस्याओं से हम सभी वाकिफ हैं, लेकिन इस ओर ध्यान देने का समय किसी के पास नहीं है। इस पर नियंत्रण के लिए सरकारी और निजी स्तर पर प्रयास भी हो रहे हैं। लेकिन ये पर्याप्त नहीं हैं। सेक्टर 18 की रहने वाली डॉ.आरती नैन फैमिली प्लानिग एसोसिएशन ऑफ इंडिया से जुड़ी हैं। परिवार नियोजन के लिए 18 हजार महिलाओं को जागरूक कर चुकी हैं।
डॉ. आरती बताती हैं सभी लोग तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर बात तो करते हैं, पर गंभीरता नहीं दिखाते। इस पर गहन अध्ययन के बाद निष्कर्ष निकाला कि जनसंख्या की बढ़ती गति भविष्य के लिए खतरे की घंटी है। इस दिशा में सभी को काम करने की जरूरत है। इसी सोच के साथ वे इस क्षेत्र में आई। डिग्री के बाद जॉब भी ऐसी मिली कि लोगों को जागरूक करने के लिए हर घर जाकर प्राकृतिक साधनों के इस्तेमाल का पाठ पढ़ा रही हैं। नसबंदी व बंध्याकरण के लिए महिलाओं व पुरुषों को काउंसिलिग से प्रोत्साहित करती हैं। इतना ही नहीं स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचा भी रही हैं। वर्ष 2016 में बतौर डॉक्टर ज्वाइन एफपीएआइ में किया। उन्होंने ड्यूटी समझ कर जॉब नहीं की। ड्यूटी के बाद भी अपना कार्य किया। पहले आफिस में समझाया फिर फील्ड में उतरीं
पहले महिलाओं अपने आफिस में परिवार नियोजन के बारे में बताया। शुरू में उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। ऐसा नहीं था कि उन्होंने बातचीत में यही बताया कि बड़ा परिवार नहीं होना चाहिए। पहले महिलाओं की मानसिक स्थिति को समझा। उसके बाद ही अपनी बात को उनको सामने रखा। जब ये बात दिनचर्या में बदली तो मुश्किलें आसान होती चली गई। उन्होंने एक के बाद एक सेमिनार लगाया। सेमिनार स्लम एरिया तक सीमित नहीं रहे। शहर की कॉलोनियों को कवर किया। जिले के विभिन्न गांवों तक गई। उनके प्रयास से 25 महिलाओं और 140 पुरुष प्रेरित हुए। डॉ. आरती ने सोनीपत से बीएएमएस किया है। इनके पति पशुपालन विभाग में कार्यरत हैं। इनकी दो बेटियां हैं। ऑफिस और परिवार में बेहतर तालमेल बनाकर रखती हैं। लोगों का भ्रम दूर होना आवश्यक
डॉ. नैन बताती हैं कि जब वे फील्ड में जाती हैं तो बातचीत में सामने आया कि लोग जागरूक है। भ्रम ज्यादा है। कई तरह की भ्रांतियां पाले हैं। ये भी बड़ा कारण है कि पुरुष इस तरफ गौर नहीं करते। महिलाओं से उम्मीद करते हैं कि वे इस दिशा में कदम आगे बढ़ाए। उन्होंने पहले यही काम किया उनके सवालों का जवाब दिया। तब जाकर पुरुष इस ऑपरेशन को कराने के लिए तैयार हुए। इनके प्रयास से आज पुरुष और महिलाएं उनके पास आपरेशन से पूर्व काउंसिलिग के लिए आने लगे हैं।