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बस कागजों में रह गए जमींदार, रोटी के पड़े लाले, गुजारा हुआ मुश्किल

कल तक जिनका नाम बड़े जमींदारों में शुमार था, आज वे भूमिहीन हो गए हैं। हथनीकुंड बैराज से लेकर दिल्ली तक ऐसे किसानों की संख्या कम नहीं है जिनकी पूरी जमीन यमुना में आई बाढ़ की भेंट चढ़ गई है। महापंचायत में भी काफी संख्या में ऐसे किसान आए। पीड़ित किसान सांसत में हैं। ¨चता यह सता रही है कि गुजारा कैसे होगा? सरकार सहायता के लिए आगे नहीं आ रही है और भूमिहीन हो चुके किसानों की लिस्ट लंबी होती जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 11:58 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 11:58 PM (IST)
बस कागजों में रह गए जमींदार, रोटी के पड़े लाले, गुजारा हुआ मुश्किल
बस कागजों में रह गए जमींदार, रोटी के पड़े लाले, गुजारा हुआ मुश्किल

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कल तक जिनका नाम बड़े जमींदारों में शुमार था, आज वे भूमिहीन हो गए हैं। हथनीकुंड बैराज से लेकर दिल्ली तक ऐसे किसानों की संख्या कम नहीं है जिनकी पूरी जमीन यमुना में आई बाढ़ की भेंट चढ़ गई है। महापंचायत में भी काफी संख्या में ऐसे किसान आए। पीड़ित किसान सांसत में हैं। ¨चता यह सता रही है कि गुजारा कैसे होगा? सरकार सहायता के लिए आगे नहीं आ रही है और भूमिहीन हो चुके किसानों की लिस्ट लंबी होती जा रही है।

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किसानों का दर्द उनकी जुबानी

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जठलाना निवासी विनोद कुमार। 20 एकड़ जमीन थी। अब मात्र तीन एकड़ रह गई है। 17 एकड़ जमीन यमुना में समा चुकी है। हर वर्ष बाढ़ आती है और जमीन को बहा ले जाती है। दिनरात एक ही ¨चता रहती है कि अब क्या होगा? मुआवजे के नाम पर सरकार हाथ खड़ा कर देती है। बचाव के लिए ¨सचाई विभाग की ओर से लगाए गए स्टड पानी के तेज बहाव के साथ बह गए, क्योंकि स्टड लगाना महज औपचारिकता होती है।

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गुमथला निवासी अशोक कुमार। अपनी 10 एकड़ जमीन थी। 10 एकड़ ही ठेके पर ली हुई थी, लेकिन इस यमुना में आई बाढ़ के कारण सारी जमीन यमुना के आगोश में चली गई। लहलहाती फसल बर्बाद हो गई। परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो गया है। सरकार को चाहिए कि हम जैसे पीड़ित किसानों की सहायता के लिए कदम बढ़ाए। हर वर्ष जमीन यमुना में गिर जाती है, लेकिन मुआवजे के नाम पर फूटी कोड़ी नहीं मिलती। फोटो : 17

गुमथला निवासी उदय पाल। 11 एकड़ जमीन थी। अब दो एकड़ बची है। अपनी आंखों से ही अपनी बर्बादी का मंजर देखा। जो दो एकड़ बची है, उसका भी पता नहीं कब यमुना अपने अंदर समेट ले। क्योंकि बचाव के लिए तो पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। हर वर्ष ऐसा ही हाता है। क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ है। कम से कम नुकसान की भरपाई तो हो। फोटो 18

किसान कली राम। कभी नहीं सोचा था कि इस कदर भूमिहीन हो जाएंगे। 14 एकड़ जमीन में फसल लहलहाती थी, लेकिन अब एकड़ भी नहीं रही। इसी प्रकार किसान रमेश कुमार के पास पांच एकड़ थे, उसके पास भी एक बीघा तक नहीं रहा। क्षेत्र में बहुत से किसान ऐसे हैं जो भूमिहीन हो चुके हैं। उनके पास आय का और कोई साधन भी नहीं है। भूमि कटाव को रोकने के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, परिणाम शून्य रहते हैं।

वर्जन

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विधानसभा में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के किसानों की मांगों को प्राथमिकता के साथ रखा है। सीएम मनोहर लाल से भी भी इस बारे विशेष बात हुई है। बाढ़ के कारण हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी। यह आश्वास सीएम ने दिया है। उप्र व हरियाणा में आवाजाही के लिए नगली घाट पर जल्द पुल बनवाया जाएगा।

श्याम ¨सह राणा, विधायक रादौर।


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