एक दो तीन चार भगवान गणपति की जय जयकार
उड़ता गुलाल बैंडबाजों की धुन ढोल की थाप पर उत्साह व श्रद्धा के साथ हर कोई भगवान गणपति उत्सव में रंगा हुआ था। एक दो तीन चार गणपति जी की जय जयकार। गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ। इस तरह के जयघोष दिनभर गूंजते रहे।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : उड़ता गुलाल, बैंडबाजों की धुन, ढोल की थाप पर उत्साह व श्रद्धा के साथ हर कोई भगवान गणपति उत्सव में रंगा हुआ था। एक दो तीन चार गणपति जी की जय जयकार। गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ। इस तरह के जयघोष दिनभर गूंजते रहे। इससे पूरा वातावरण भक्ति से सराबोर हो गया। इस बार प्रशासन के अच्छे प्रयासों से उत्सव पर कोई अनहोनी नहीं हुई। दिनभर पुलिस और अन्य कर्मचारी व्यवस्था को संभाले रहे। ड्यूटी मजिस्ट्रेट लगाए गए थे।
पश्चिमी यमुना नहर पर जिदल पार्क के पीछे बने श्रीराधा कृष्ण मंदिर के घाट पर सुबह से श्रद्धालु पहुंचने शुरू हो गए। यहां का नजारा देखते ही बना। श्रद्धालु नाचते हुए आए। घाट पर तैनात श्रद्धालुओं ने भगवान गणेश की प्रतिमा विसर्जित कराई। किसी को पानी के बीच में जाने नहीं दिया गया। इसी तरह दड़वा घाट और पुराना हमीदा में भी यही स्थिति रही। श्रद्धालुओं की भीड़ से शहर में कई स्थानों पर जाम की स्थिति बनी रही।
बूड़िया में क्रेन से कराया विसर्जित
बूड़िया में भगवती आर्ट व श्रीबालाजी क्लब की ओर से शोभायात्रा निकाली गई। पश्चिमी यमुना नहर के पुल पर पहुंचे। यहां क्रेन की मदद से भगवान गणपति को विसर्जित किया गया। यहां हजारों लोग पुल पर खड़े थे। जो इन पलों को मोबाइल में कैद कर रहे थे। इस दौरान विक्की रघुवंशी, विपिन, विक्की,तरुण, निखिल, दर्शन, शैंकी, मिटू, साहिल, डिपल, वंश ने जलसेवा की।
इसलिए किया जाता है विसर्जन
श्रद्धानुसार लोग अपने अनुसार बप्पा का पूजा के दिन निर्धारित करते हैं। उसके बाद उनका विसर्जन जरूर करते हैं। विर्सजन भी भगवान का उतने ही धूमधाम से किया जाता है, जितना की स्थापना के समय उनका स्वागत होता है। मान्यता है कि बिना विसर्जन बप्पा की पूजा पूरी नहीं मानी जाती। इसलिए विसर्जन करना जरूरी होता है।
यहां पर इको फ्रेंडली बनाई गई थी मूर्ति
माडल टाउन के लोगों ने पर्यावरण संरक्षण का परिचय देते हुए इको फ्रेंडली भगवान गणपति की मूर्ति बनाई। क्लब के पदाधिकारी मनीष मलिक ने बताया कि सभी कॉलोनी के लोगों ने टब में विसर्जन किया। बाद में मिट्टी को प्रसाद के तौर पर वितरित किया गया। इससे श्रद्धा भी बढ़ी और पर्यावरण संरक्षण हुआ है।