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एसटीपी का पानी यमुना में छोड़ने को लेकर सिचाई व पब्लिक हेल्थ के अधिकारी आमने सामने

सरकार की ओर से बजट जारी होने के बावजूद भी अधिकारियों ने इस पर कोई काम नहीं किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 05:52 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 06:16 AM (IST)
एसटीपी का पानी यमुना में छोड़ने को लेकर सिचाई व पब्लिक हेल्थ के अधिकारी आमने सामने
एसटीपी का पानी यमुना में छोड़ने को लेकर सिचाई व पब्लिक हेल्थ के अधिकारी आमने सामने

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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पश्चिमी यमुना नहर को शहर के नाले व डिच ड्रेन का पानी गंदा कर रहा है। नियमानुसार यमुना व यमुना नहर में किसी भी तरह का पानी नहीं छोड़ा जा सकता। पब्लिक हेल्थ के चीफ इंजीनियर एमके राणा ने कहा कि एसटीपी से ट्रीट कर साफ पानी यमुना में छोड़ा जा रहा है। जिस पर सिचाई विभाग के एक्सईएन हरदेव कांबोज ने कहा कि यमुना में किसी ट्रीट या अनट्रीट किसी भी तरह का पानी नहीं छोड़ा सकता। इस बारे में यमुना में पानी गिराने वालों को कई बार नोटिस भी जारी किया जाता है। इस को लेकर अब दोनों विभागों के अधिकारी आमने-सामने हो गए। एक दूसरे को नियमों का हवाला देने लगे। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री रतनलाल कटारिया के दौरे के दौरान यह मामला सामने आया। वह एसटीपी परवालो में अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारा पूरा ध्यान यमुना की शुद्धता पर है। अधिकारियों से भी इसकी रिपोर्ट ली जाएगी, ताकि यमुना को स्वच्छ करने के लिए ठोस प्लानिग की जा सके। उनके साथ में डीसी मुकुल कुमार, निगम कमिश्नर धर्मवीर सिंह, निजी सचिव राजेश सपरा, मेयर मदन चौहान, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के आरओ निर्मल कश्यप भी दौरे के दौरान साथ रहे।

आबादी के हिसाब से 57 एमएलडी पर्याप्त

पब्लिक हेल्थ के चीफ इंजीनियर एमके राणा ने कहा कि शहर की आबादी के हिसाब से 57 एमएलडी के प्लांट पर्याप्त है। यह पानी पीने के प्रयोग किया जाता है। फिलहाल 54 एमएलडी के एसटीपी बनाए गए हैं। तीन एमएलडी पानी के लिए लाइन बिछाने का कार्य अमरूत योजना के तहत चल रहा है। बैठक के दौरान सामने आया कि 64 एमएलडी पानी यमुना में गिर रहा है। लेकिन यह कहां से आ रहा है। इसका कोई जवाब किसी के पास नहीं था। केंद्रीय मंत्री रतनलाल ने कहा कि यदि मानक के अनुरूप पानी नहीं आ रहा है, तो वहां पर सीईटीपी लगाए जाने चाहिए। नहीं दे पाए जवाब, सब साध गए चुप्पी

पानी में गंदगी की मात्रा अचानक अधिक होने पर मंत्री के साथ दिल्ली से आए डाक्टर प्रवीण कुमार ने कहा कि यहां पर प्रदूषण विभाग व पब्लिक हेल्थ के अधिकारी मौजूद है। दोनों बताएं कि बीओडी 200 तक कैसे पहुंच रही है। उनके कई बार कहने पर भी अधिकारी कोई जवाब नहीं दे पाए।

इस दौरान कई और मुद्दों पर भी चर्चा हुई। केंद्रीय मंत्री के सामने मेयर मदन चौहान भी पब्लिक हेल्थ व सिचाई विभाग के अधिकारियों पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इच्छा शक्ति हो तो 15 दिन में यमुना में गिरने वाले रुक जाएं। नगर निगम के कार्य की एनओसी के लिए भी कई कई दफा फोन करने पड़ते हैं। विभागों के बीच काम को उलझा दिया जाता है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।

बजट का नहीं हुआ उपयोग

विधायक घनश्याम दास अरोड़ा ने यमुना की सफाई न होने पर अधिकारियों को कठघरे में खड़ा किया। कहा कि पांच करोड़ रुपये का बजट उन्होंने जारी कराया। यह पैसा बचा हुआ है। इस बजट का सदुपयोग नहीं हुआ। इससे बड़ा पाप नहीं हो सकता। दड़वा डेयरी प्लांट का गंदा पानी आ रहा यमुना में

केंद्रीय मंत्री कटारिया ने अधिकारियों के साथ नहर में गिर रहे नालों का भी निरीक्षण किया। इस दौरान फतेहपुर पुल के पास नहर में गिर रहे नाले को देखा। इसमें गंदा पानी आ रहा था। नगर निगम के एससी आनंद स्वरूप ने बताया कि यह दड़वा डेयरी प्लांट से पानी आ रहा है। डेयरी संचालक गोबर भी पानी के साथ बहाते हैं। इसके लिए बायो गैस प्लांट लगाने की तैयारी है। जिस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह नाला एसटीपी के पास से होते हुए नहर में गिर रहा है। इसे एसटीपी में ले सकते हैं। इससे नहर में गंदा पानी नहीं आएगा।


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