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दामला गोशाला में घट रही गोवंश, कोर्ट में पहुंचा मामला, 11 फरवरी में होगी सुनवाई

दामला गोशाला में गोवशों की संख्या घटने पर मामला हाईकोर्ट में चला गया है। अब इस मामले की सुनवाई 11 को होनी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 08:20 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 08:20 AM (IST)
दामला गोशाला में घट रही गोवंश, कोर्ट में पहुंचा मामला, 11 फरवरी में होगी सुनवाई
दामला गोशाला में घट रही गोवंश, कोर्ट में पहुंचा मामला, 11 फरवरी में होगी सुनवाई

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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दामला गोशाला में गोवशों की संख्या घटने पर मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया। 11 फरवरी को मामले में सुनवाई होगी। गोशाला समिति के प्रधान सौरव सिगला के मुताबिक 14 सितंबर को गोशाला की कमान पंचायत को सौंपी गई थी। रिकार्ड के मुताबिक उस समय यहां पर 250 गोवंश थे। उनका दावा है कि अब यहां पर गोवंशों की संख्या 150 तक रह गई है। ये गोवंश कहां गए। इस बारे में पूछा गया, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया। इसीलिए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। पहले समिति चला रही थी गोशाला

सात साल से चल चल रही गोशाला को अब पंचायत चला रही है। पहले इसे लाला वधवाराम गोशाला समिति चला रही थी। समिति के खिलाफ आवाज उठी और मामला कोर्ट में चला गया। उसके बाद समिति से खाली कराने की प्रक्रिया प्रशासन ने की थी। लाकडाउन से पहले अधिकारियों ने जमीन खाली कराने का प्रयास किया। तब इसका विरोध हुआ कि गोवंश को कहां पर लेकर जाएं। विपक्ष भी गोशाला में जाने लगा। जिस कारण प्रशासन ने उस समय यह मामला ठंड बस्ते में डाल दिया था। दशकों से चल रहा है विवाद

गोशाला को लेकर विवाद 1992 से चल रहा है। दामला निवासी रिटायर एमई विनोद गुप्ता के मुताबिक गांव में 45 कनाल एक मरले जमीन सड़क के पास पंचायत की है। इस पर आनंद प्रकाश ने 1992 में कब्जा था। इस बाबत 1995 में केस डीडीपीओ की कोर्ट डाला गया। 1997 में फैसला आया कि जमीन पंचायत की है। आनंद प्रकाश तब कलेक्टर के पास शिकायत लेकर चला गया। उसकी शिकायत वहां पर साल 1999 में शिकायत खारिज हो गई। इसके बाद प्रकाश ने अंबाला मंडल कमिश्नर के वहां अपील की और फैसला प्रकाश के हक में आ गया। शिकायतकर्ता ने बताया कि इसको लेकर वे साल 2000 में हाईकोर्ट चले गए और वहां से स्टे मिल गया। 2013 में हाईकोर्ट ने पंचायत की जमीन करार देते हुए अवैध कब्जा करार दे दिया। हाईकोर्ट के फैसले को लेकर प्रकाश सुप्रीम कोर्ट चला गया। वहां पर शिकायत डिसमिस हो गई। तब यह जमीन पंचायत को दे दी। 2013 में वहां पर गोशाला के लिए सोसाइटी रजिस्टर्ड करा ली और वहां गोशाला खोल दी गई। ग्राम पंचायत ने गोशाला को जमीन देने के लिए रेजुलेशन पास कर दिया। इसको लेकर फिर से अधिकारियों के पास गए। कोर्ट के आर्डर दिखाए तो 18 दिसंबर 2015 डीडीपीओ ने जमीन से गोशाला हटाने के लिए लिखा। इस मामले में सरपंच को सस्पेंड कर दिया गया था। आरोप था कि उसने गांव के पंचायत जमीन को गोशाला को देने का प्रस्ताव पास किया। बाद में कोर्ट के स्टे के बाद सरपंच को बहाल हो गया था। रोड से लगती जमीन में से 18 कनाल 18 मरले जमीन गोशाला को देने के लिए प्रस्ताव पंचायत ने 2013 में पास कर दिया। यह केस अभी भी अदालत में है।


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